मेहसाणा ज़िले के वडनगर के ग्यारह परिवारों ने शहर में मिली कुछ वास्तुशिल्प संरचनाओं के संरक्षण के लिए ‘बफर ज़ोन’ को लेकर राज्य सरकार द्वारा उनकी ज़मीन अधिग्रहित करने को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी है. परिवारों का कहना है कि सरकार ने सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन किए बिना अधिग्रहण की अनुमति दी.
अहमदाबाद: गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर के निवासियों ने शहर में मिले कुछ वास्तुशिल्प संरचनाओं के संरक्षण के लिए ‘बफर जोन’ को लेकर उनकी जमीन अधिग्रहित करने के राज्य सरकार के कदम को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खुदाई परियोजना चलाई जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहनगर वडनगर के ग्यारह परिवारों ने इस संबंध में उच्च न्यायालय से राज्य सरकार की अधिसूचना को रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.
परिवारों का कहना है कि राज्य सरकार ने इन स्थापत्य संरचनाओं के रखरखाव के मकसद से बनाए जाने वाले ‘बफर जोन’ के लिए सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (एसईए) अध्ययन किए बिना भूमि अधिग्रहण की अनुमति दी.
निवासियों ने पिछले हफ्ते अधिसूचना के खिलाफ एक याचिका दायर की और सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष शास्त्री की खंडपीठ के समक्ष मामले को उठाया गया. बाद में पीठ ने सुनवाई 11 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी.
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि पुरातात्विक विभाग शहर में खोजे गए वास्तुशिल्प संरचनाओं के संरक्षण के लिए एक ‘विशेष परियोजना’ के तहत ‘बफर जोन’ बनाने के लिए वहां मौजूद 30 परिवारों को उनकी जमीन के बदले अलग स्थान पर जमीन देना चाहता है.
वकील ने कहा कि यह एसईए अध्ययन के बिना किया जा रहा है क्योंकि सरकार इसे एक विशेष परियोजना मानती है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, याचिका के अनुसार, भूमि अधिग्रहण अधिनियम में राज्य के संशोधन की धारा 10 (ए) सरकार को ऐसी विशेष परियोजना के लिए बिना एसईए की आवश्यकता के भूमि अधिग्रहण करने की अनुमति देती है.
वकील ने कहा कि प्रभावित परिवार पिछले 50 वर्षों से वहां रह रहे हैं और प्रस्तावित बफर जोन ऐसी परियोजना नहीं है जिसके लिए बिना एसईए के भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होगी.
याचिकाकर्ताओं ने सुझाव दिया कि सरकार को प्रभावित परिवारों के मौजूदा घरों को खाली करने के लिए उत्खनन स्थल के बाईं ओर खाली जगह पर बफर जोन बनाने पर विचार करना चाहिए.
वडनगर में बड़े पैमाने पर उत्खनन कार्य किया जा रहा है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा अब तक कई वास्तुशिल्प स्थलों की खोज की गई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)