केंद्र ने पीएफ़ पर ब्याज दर 8.5 से घटाकर 8.1 की, चार दशक के निचले स्तर पर

मार्च 2020 में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 2019-20 के लिए भविष्य निधि (पीएफ) जमा पर ब्याज दर सात साल में सबसे कम 8.5 फीसदी करने का फैसला किया था, जो 2018-19 में 8.65 फीसदी और 2017-18 में 8.55 फीसदी थी. वर्ष 1999 से वर्ष 2000 के बीच पीएफ पर 12 प्रतिशत ब्याज मिलता था, जो कि दो दशकों में एक तिहाई तक घट चुका है. 

(फोटो साभार: ईपीएफओ)

मार्च 2020 में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 2019-20 के लिए भविष्य निधि (पीएफ) जमा पर ब्याज दर सात साल में सबसे कम 8.5 फीसदी करने का फैसला किया था, जो 2018-19 में 8.65 फीसदी और 2017-18 में 8.55 फीसदी थी. वर्ष 1999 से वर्ष 2000 के बीच पीएफ पर 12 प्रतिशत ब्याज मिलता था, जो कि दो दशकों में एक तिहाई तक घट चुका है.

(फोटो साभार: ईपीएफओ)

नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा पर ब्याज दर में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में कटौती की गई है.

पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में ब्याज दर 8.5 प्रतिशत थी, जिसे घटाकर 8.1 फीसदी करने का प्रस्ताव शनिवार को पारित किया गया. यह बीते चार दशक से भी अधिक समय में सबसे कम ब्याज दर है.

इससे पहले ईपीएफ पर ब्याज दर सबसे कम 8 फीसदी 1977-78 में थी. बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के करीब पांच करोड़ सदस्य हैं.

श्रम मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में गुवाहाटी में हुई सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) की बैठक में ब्याज दर को 8.1 फीसदी करने की अनुशंसा की गई.

बयान में कहा गया, ‘सरकारी गजट में ब्याज दर आधिकारिक रूप से अधिसूचित की जाएगी. जिसके बाद ईपीएफओ अपने सदस्यों के खातों में ब्याज जमा करवा देगा.’

एनडीटीवी के मुताबिक, बोर्ड के फैसले पर बात करते हुए श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि ब्याज दर को मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों और बाजार की स्थिति को ध्यान में रखकर निर्धारित किया गया है.

बोर्ड की बैठक के बाद यादव ने कहा, ‘हमने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों और बाजार की स्थिति देखते के बाद ब्याज दर को 8.1 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी. हम ज्यादा जोखिम नहीं ले सकते हैं, क्योंकि हमें सामाजिक सुरक्षा और बाजार की स्थिति को ध्यान में रखना है. इसलिए यह फैसला लिया गया.’

इस संबंध में उन्होंने एक ट्वीट भी किया है.

एक सूत्र ने बताया, ‘ईपीएफओ की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की शनिवार को बैठक हुई, जिसमें वित्त वर्ष 2021-22 (31 मार्च 2022 को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष) के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर 8.10 फीसदी रखने का फैसला लिया गया.’

इस अनुशंसा को केंद्रीय वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा और उससे मंजूरी मिलने पर इसे अधिसूचित किया जाएगा.

सूत्रों ने कहा कि ईपीएफओ के पास जमा धन पर उसकी आय के आधार पर ब्याज दर तय की जाती है. जमाराशि 13 प्रतिशत बढ़ी है, वहीं ब्याज से आय केवल 8 प्रतिशत बढ़ी है.

सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) ने 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर 8.5 रखने का निर्णय मार्च 2021 में लिया था. इसे अक्टूबर 2021 में वित्त मंत्रालय ने मंजूरी दी थी.

अब सीबीटी के हालिया फैसले के बाद 2021-22 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर की सूचना वित्त मंत्रालय को अनुमोदन के लिए भेजी जाएगी.

मार्च 2020 में ईपीएफओ ने 2019-20 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर सात साल में सबसे कम 8.5 फीसदी करने का फैसला किया था, जो 2018-19 में 8.65 फीसदी और 2017-18 में 8.55 फीसदी थी.

कमाई कम होने के कारण ईपीएफओ को पहले भी ब्याज दरें कम करनी पड़ीं.

इस फैसले पर भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से ईपीएफओ पर ब्याज दर कम करने के फैसले पर पुन: विचार करने का अनुरोध किया.

सीतारमण के लिखे पत्र में विश्वम ने आरोप लगाया कि भाजपा नीत सरकार ने चार राज्यों में जीत के तुरंत बाद अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए हैं.

उन्होंने कहा, ‘ईपीएफ पर ब्याज दर 8.1 फीसदी से घटाकर 8.5 फीसदी करने का ईपीएफओ का फैसला न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि यह भी दिखाता है कि देश के कामकाजी लोगों के प्रति सरकार कोई चिंता नहीं रखती है.

वहीं, दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1999 से वर्ष 2000 के बीच ईपीएफ पर 12 प्रतिशत ब्याज मिलता था, जो कि दो दशकों में एक तिहाई तक घट चुका है. आखिरी बार ब्याज में बढ़ोतरी वित्त वर्ष 2018-19 में हुई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)