यह मामला बैंक द्वारा दिए गए एक फ़र्ज़ी ऋण से संबंधित है. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि 2011 और 2013 के बीच नियमों का उल्लंघन कर जाली दस्तावेज़ों के आधार पर आरईआई एग्रो समूह को 800 करोड़ रुपये का क़र्ज़ दिया गया. सीबीआई ने इस कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी मामला दर्ज किया है.
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने नियमों का उल्लंघन कर दिए गए कर्ज से हुए नुकसान को लेकर जम्मू और कश्मीर बैंक के पूर्व अध्यक्ष मुश्ताक अहमद शेख और 18 अन्य पर मामला दर्ज किया है.
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि मामला बैंक को हुए 800 करोड़ रुपये के नुकसान का है और यह कर्ज ‘आरईआई एग्रो’ को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बिना कुछ गिरवी रखे नियमों का उल्लंघन कर जारी किया गया था.
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने इस मामले में बैंक अधिकारियों के अलावा आरईआई एग्रो कंपनी के अध्यक्ष संजय झुनझुनवाला और वाइस प्रेसिडेंट तथा प्रबंध निदेशक संदीप झुनझुनवाला पर भी मामला दर्ज किया है.
इससे पहले मामले की छानबीन जम्मू कश्मीर की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा कर रही थी और प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि 2011 और 2013 के बीच नियमों का उल्लंघन कर जाली दस्तावेजों के आधार पर इस समूह को 800 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया. इससे बैंक को आठ सौ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
बैंक की मुंबई स्थित माहिम शाखा ने 550 करोड़ रुपये का ऋण दिया जबकि दिल्ली के वसंत विहार स्थित शाखा ने 139 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कंपनी ने बैंक के ऋण स्वीकृति आदेश में निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार किसानों को अग्रिम भुगतान करने के लिए बैंक की माहिम और वसंत विहार शाखाओं से संपर्क किया था.
एफआईआर में कहा गया है, ‘किसानों को कंपनी को धान उपलब्ध कराना था, बदले में कंपनी को उपज (धान) बेचनी पड़ी और कंपनी द्वारा प्राप्त अग्रिमों के बदले किश्तों के रूप में बैंक में धन जमा करना था.’
बैंक अधिकारियों और कंपनी को पता था कि धान के उत्पादन के लिए किसानों के बीच ऋण राशि का वितरण किया जाना है. लेकिन कंपनी द्वारा बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से इसका उल्लंघन किया गया, जिन्होंने संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) के माध्यम से ऋण के वितरण की अनुमति दी, हालांकि कंपनी को पहले ही धान मिल चुका था और वह ऐसी परिस्थितियों में ऋण देने की हकदार नहीं थी.
एफआईआर में कहा गया है, ‘पीई के दौरान की गई जांच के अनुसार, जेएलजी वास्तव में बिना अस्तित्व वाली संस्थाएं थीं, जिनकी साख और पूर्व इतिहास को बैंक द्वारा कभी सत्यापित नहीं किया गया था. इसका उद्देश्य कंपनी को अपने लाभ के लिए ऋण राशि को डायवर्ट करने की सुविधा देना था.’
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है, ‘बैंक ने नाबार्ड के दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन किया है, जिसमें जेएलजी (जो किसानों का एक समूह है) के सदस्य एक ही क्षेत्र/गांव से होने चाहिए, लेकिन इस पहलू को जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से बैंक के अधिकारियों द्वारा अनदेखा किया गया था.’
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों में कहा गया है कि यह आश्चर्यजनक था कि इन मामलों में बैंक द्वारा कोई ठोस सुरक्षा नहीं ली गई थी.
प्राथमिकी में कहा गया है, ‘ये ऋण और अग्रिम भुगतान जम्मू कश्मीर बैंक की माहिम (मुंबई) और वसंत विहार (नई दिल्ली) शाखा के अधिकारियों द्वारा उनके तत्कालीन अध्यक्ष मुश्ताक अहमद शेख के संरक्षण में कई वर्षों से एक साजिश के तहत वितरित दिए गए थे…’
प्राथमिकी में कहा गया है कि ऐसा बैंक के लोकसेवकों के रूप में अपने अधिकार का दुरुपयोग करके, कंपनी के प्रमोटरों संजय झुनझुनवाला और संदीप झुनझुनवाला के हितों की सेवा करने के लिए योजनाबद्ध और पूर्व-नियोजित तरीके से किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)