आईसीजे के भारतीय जज ने रूस के ख़िलाफ़ वोट दिया, विदेश मंत्रालय ने कहा- उनका निजी मत

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने बीते 16 मार्च रूस को आदेश दिया था कि वह यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध रोके. अदालत के आदेश का 13 न्यायाधीशों ने समर्थन किया था, जबकि दो ने इसके ख़िलाफ़ मतदान किया था. भारत से न्यायाधीश दलवीर भंडारी ने रूस के ख़िलाफ़ मतदान किया था.

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Demonstrators attend a rally in support of Ukraine after Russian President Vladimir Putin authorized a military operation in eastern Ukraine, in Prague, Czech Republic, February 24, 2022. REUTERS/David W Cerny

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने बीते 16 मार्च रूस को आदेश दिया था कि वह यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध रोके. अदालत के आदेश का 13 न्यायाधीशों ने समर्थन किया था, जबकि दो ने इसके ख़िलाफ़ मतदान किया था. भारत से न्यायाधीश दलवीर भंडारी ने रूस के ख़िलाफ़ मतदान किया था.

नीदरलैंड के हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने बीते बृहस्पतिवार (17 मार्च) को कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में न्यायाधीश निजी तौर पर वोट देते हैं. मंत्रालय की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब भारतीय न्यायाधीश दलवीर भंडारी ने संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत में रूस के खिलाफ मतदान किया था.

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने बुधवार (16 मार्च) को रूस को आदेश दिया था कि वह यूक्रेन के खिलाफ युद्ध रोके और कीव के आग्रह को मंजूरी दी थी.

अदालत के आदेश का 13 न्यायाधीशों ने समर्थन किया था, जबकि दो ने इसके खिलाफ मतदान किया था. आदेश के खिलाफ मतदान करने वालों में रूस से उपाध्यक्ष किरिल जेवोर्गियन और चीन से न्यायाधीश शीउ हांगिन शामिल हैं. भारत से न्यायाधीश दलवीर भंडारी ने रूस के खिलाफ मतदान किया था.

इस बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि वे निजी तौर पर वोट देते हैं और वे गुण-दोष के आधार पर वोट देते हैं. उन्होंने कहा कि आईसीजे में न्यायाधीश कैसे वोट करते हैं, इसके बारे में टिप्पणी करना उपयुक्त नहीं है.

इस विषय पर कई सवालों के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि वे (जस्टिस भंडारी) भारत के नागरिक हैं, जो आईसीजे में निजी हैसियत से सदस्य हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा कि न्यायाधीश मुद्दों पर कैसे वोट करते हैं.’

हालांकि, आईसीजे के फैसले बाध्यकारी हैं, लेकिन इन्हें लागू करने का कोई सीधा प्रावधान नहीं है. अतीत में ऐसे कई दुर्लभ मामले सामने आए हैं, जिनमें देशों ने इसके फैसले की अनदेखी की है.

वहीं, बता दें कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना करने वाले कई प्रस्तावों पर मतदान से परहेज किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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