एनएसए मामलों की समीक्षा के लिए तीन सदस्यीय सलाहकार बोर्ड का गठन

राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून या एनएसए सरकार को किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानने या लोक व्यवस्था को बाधित करने से रोकने के लिए उसे हिरासत में लेने का अधिकार देता है. इसके तहत किसी व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है. व्यक्ति को आरोप बताए बिना 10 दिनों तक हिरासत में भी रखा जा सकता है.

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Representative image of Tamil Nadu police. Photo: PTI.

राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून या एनएसए सरकार को किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानने या लोक व्यवस्था को बाधित करने से रोकने के लिए उसे हिरासत में लेने का अधिकार देता है. इसके तहत किसी व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है. व्यक्ति को आरोप बताए बिना 10 दिनों तक हिरासत में भी रखा जा सकता है.

(फोटोः रॉयटर्स)

नयी दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत दर्ज मामलों की समीक्षा के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के तीन जजों वाले एक सलाहकार बोर्ड का गठन किया है.

एनएसए के तहत बिना किसी आरोप के किसी व्यक्ति को एक वर्ष तक हिरासत में रखने की अनुमति है.

इस तरह के एक सलाहकार बोर्ड का गठन 1980 के कानून की धारा नौ के तहत किया गया है.

एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, जस्टिस योगेश खन्ना सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष होंगे, जबकि जस्टिस चंद्रधारी सिंह और जस्टिस रजनीश भटनागर उच्चाधिकार प्राप्त बोर्ड के सदस्य होंगे.

एनएसए सरकार को किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानने या लोक व्यवस्था को बाधित करने से रोकने के लिए उसे हिरासत में लेने का अधिकार देता है.

एनएसए के तहत किसी व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है. व्यक्ति को उसके खिलाफ आरोप बताए बिना 10 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है.

हिरासत में लिया गया व्यक्ति केवल सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है, लेकिन मुकदमे के दौरान वकील रखने की अनुमति नहीं दी जाती है.

एनएसए के प्रत्येक मामले में संबंधित सरकार हिरासत की तारीख से तीन सप्ताह के भीतर सलाहकार बोर्ड के समक्ष उन आधार पर पेश कर सकती है, जिन पर आदेश दिया गया है.

कानून के प्रावधान के मुताबिक, सलाहकार बोर्ड अपने समक्ष रखी गई सामग्री पर विचार करने और बंदी की बात सुनने के बाद संबंधित व्यक्ति की हिरासत की तारीख से सात सप्ताह के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश करेगा.

बोर्ड की रिपोर्ट में यह बताना होता है कि हिरासत के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं. ऐसे मामलों में जहां बोर्ड कहता है कि हिरासत का कोई पर्याप्त कारण नहीं है तो सरकार हिरासत आदेश को रद्द कर देगी और बंदी को तुरंत रिहा कर दिया जाएगा.

हिरासत में लिया गया शख्स सलाहकार बोर्ड की राय के बिना तीन महीने से अधिक की अवधि तक जेल में रह सकता है यह अवधि छह महीने से अधिक नहीं हो सकती.

बता दें कि एनएसए को 1980 में बनाया गया था, उस समय इंदिरा गांधी सरकार सत्ता में थी.

सरकार द्वारा 2020 में संसद में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2017 और 2018 में देश भर में लगभग 1,200 लोगों को एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया था.

मध्य प्रदेश ने एनएसए के तहत सबसे अधिक लोगों को हिरासत में लिया, उसके बाद उत्तर प्रदेश का स्थान है.

मध्य प्रदेश में, 2017 और 2018 में एनएसए के तहत 795 लोगों को हिरासत में लिया गया, जबकि समीक्षा बोर्ड द्वारा 466 को रिहा किया गया था और 329 लोगों को हिरासत में रखा गया.

उत्तर प्रदेश में एनएसए के तहत 2017 और 2018 के दौरान 338 लोगों को हिरासत में लिया गया जबकि समीक्षा बोर्डों ने 150 लोगों को रिहा किया गया और 188 को डिटेंशन में रखा गया.

वर्ष 2019 से एनएसए के तहत हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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