बीरभूम हिंसा: 20 गिरफ़्तार, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पर लगाया दोषियों को बचाने के प्रयास का आरोप

बीरभूम ज़िले के बोगतुई गांव में 22 मार्च को पंचायत स्तर के टीएमसी नेता की कथित हत्या के कुछ घंटों के बाद क़रीब एक दर्जन मकानों में आग लगने से दो बच्चों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी. इसे लेकर विपक्षी भाजपा ने टीएमसी पर निशाना साधा है, वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि हिंसा की ऐसी घटनाएं पेट्रोल और अन्य वस्तुओं के दामों में वृद्धि जैसे मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए रची गई साज़िश का परिणाम हैं.

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पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट में टीएमसी नेता की कथित हत्या के बाद कई घर जला दिए गए थे. (फाइल फोटो: पीटीआई)

बीरभूम ज़िले के बोगतुई गांव में 22 मार्च को पंचायत स्तर के टीएमसी नेता की कथित हत्या के कुछ घंटों के बाद क़रीब एक दर्जन मकानों में आग लगने से दो बच्चों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी. इसे लेकर विपक्षी भाजपा ने टीएमसी पर निशाना साधा है, वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि हिंसा की ऐसी घटनाएं पेट्रोल और अन्य वस्तुओं के दामों में वृद्धि जैसे मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए रची गई साज़िश का परिणाम हैं.

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट में टीएमसी नेता की कथित हत्या के बाद कई घर जला दिए गए. (फोटो: पीटीआई)

कोलकाता/रामपुरहाट: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसा के सिलसिले में अब तक कम से कम 20 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी.

इस हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी. रामपुरहाट के बोगतुई गांव में मंगलवार (22 मार्च) को तड़के करीब एक दर्जन मकानों में आग लगने से दो बच्चों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई.

यह घटना सोमवार (21 मार्च) को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पंचायत स्तर के एक नेता की कथित हत्या के कुछ घंटों के भीतर हुई.

तृणमूल कांग्रेस के नेता की हत्या के बाद रामपुरहाट शहर के बाहरी इलाके में स्थित बोगतुई गांव में कथित तौर पर करीब एक दर्जन मकानों में आग लगा दी गई थी. ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ लोगों ने अपने नेता की हत्या के प्रतिशोध में मकानों में आग लगा दी.

इस घटना के सिलसिले में 22 मार्च को 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘इस मामले में नौ और लोगों की गिरफ्तारी होने के बाद हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है. हम यह पता लगाने के लिए उनसे पूछताछ कर रहे हैं कि क्या इस घटना में और लोग शामिल थे.’

पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कुछ आरोपी गांव से भाग गए हैं. हम उनका पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.’

उन्होंने यह भी कहा कि फॉरेंसिक विशेषज्ञ ‘घटना की प्रकृति’ के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए क्षतिग्रस्त मकानों की जांच कर रहे हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, गिरफ्तार किए सभी आरोपी स्थानीय निवासी हैं और 20-25 वर्ष आयु वर्ग के हैं. वे प्राथमिकी में नामजद 22 लोगों में से हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को जब उन्हें कोर्ट में पेश किया गया तो वकीलों ने उनका प्रतिनिधित्व करने से इनकार कर दिया.

रामपुरहाट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सौविक डे ने घटना को ‘भयानक, भयावह और बर्बर’ बताते हुए 10 आरोपियों को रिमांड पर लेते हुए बाकी को 14 दिनों की पुलिस हिरासत भेज दिया.

चूंकि किसी भी वकील ने 20 आरोपियों का प्रतिनिधित्व नहीं किया, इसलिए मजिस्ट्रेट ने आरोपियों से पूछा कि क्या उनके पास अदालत को बताने के लिए कुछ है.

उनमें से कुछ ने मजिस्ट्रेट से कहा कि उनका घटना से कोई संबंध नहीं है और उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है. उनकी दलीलों पर संज्ञान लेते हुए मजिस्ट्रेट ने अनुमंडल विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष को आरोपियों के लिए वकील नियुक्त करने का निर्देश दिया.

पुलिस ने सभी 20 आरोपियों पर हत्या, आगजनी और दंगा करने का आरोप लगाया है. पुलिस हिरासत में भेजे गए 10 लोगों में आजाद चौधरी, इंताज शेख, माफिजुल शेख, असीम शेख, रुस्तम शेख, रोहन शेख, नयन दीवान, माफिउद्दीन शेख, नजीर हुसैन और तौसीब शेख शामिल हैं.

सरकारी वकील सुरजीत सिन्हा ने कहा, ‘बंगाल में ऐसा जघन्य अपराध पहले कभी नहीं देखा गया. पुलिस को दस लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है.’

सिन्हा ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि पुलिस को बाकी लोगों से पूछताछ करने की जरूरत नहीं है. उनसे बाद में पूछताछ की जा सकती है.’

इसी बीच, राज्य फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला की एक टीम ने बोगतुई में अपराध स्थल का निरीक्षण किया.  सूत्रों के अनुसार, फॉरेंसिक विशेषज्ञों को आग से तबाह घर में खून के निशान मिले हैं, जिसके अंदर सात जले हुए शव मिले थे.

सूत्रों ने कहा, खून के निशान मिलना, यह संकेत देता है कि पीड़ितों पर पहले हमला किया गया था. आरोप है कि आरोपी पेट्रोल के अलावा हथियारों और बमों से लैस थे.

सूत्रों ने आगे कहा कि शव एक ढेर में मिले थे, अगर पीड़ित भागने की पूरी कोशिश कर रहे थे तो ऐसा नहीं होना चाहिए था.

पश्चिम बंगाल सरकार ने घटना की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) ज्ञानवंत सिंह की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

जिले के शीर्ष खुफिया अधिकारी निलंबित

पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को बोगतुई सामूहिक हत्याकांड के बाद बीरभूम में जिला खुफिया अधिकारी को निलंबित कर दिया. इसके अलावा ग्यारह नागरिक स्वयंसेवकों को भी निलंबित कर दिया गया है.

इससे पहले राज्य सरकार ने रामपुरहाट के प्रभारी निरीक्षक और एसडीपीओ को हटा दिया था.

तृणमूल उपप्रधान की हत्या और उसके बाद प्रतिशोधात्मक हिंसा पर समय पर कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए जिले के शीर्ष खुफिया अधिकारी को निलंबित कर दिया गया.

पीड़ितों और उनके परिवारों ने भी स्थानीय पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने बहुत देर से जवाब दिया.

डीजीपी मनोज मालवीय अब एसआईटी अधिकारियों के साथ रामपुरहाट में तैनात हैं.

राष्ट्रीय महिला आयोग ने बंगाल पुलिस प्रमुख से हस्तक्षेप करने को कहा

इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक से बीरभूम हिंसा मामले में हस्तक्षेप करने और कड़ी कार्रवाई करने को कहा है. इस हिंसा में महिलाओं और बच्चों समेत कुल आठ लोगों की मौत हुई है.

एनसीडब्ल्यू ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को इस मामले में की गई कार्रवाई के बारे में उसे 24 घंटे के भीतर जानकारी देने को भी कहा है.

राष्ट्रीय महिला आयोग ने बंगाल के डीजीपी मनोज मालवीय को एक पत्र लिखकर इस घटना पर चिंता व्यक्त की और कहा कि उसने प्रभावित क्षेत्रों में महिलाओं के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय करने में पुलिस अधिकारियों की ओर से हुई ‘चूक’ को गंभीरता से लिया है.

एनसीडब्ल्यू ने कहा,

‘राष्ट्रीय महिला आयोग पश्चिम बंगाल में महिलाओं सहित अन्य लोगों के साथ हुई क्रूरता को लेकर बेहद विक्षुब्ध है. यह ध्यान में रखते हुए कि इस तरह के संकट के समय में महिलाएं और बच्चे सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं, यह अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.’

महिला आयोग ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक को मामले में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करना चाहिए और दोषियों को तुरंत गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.

बीरभूम में हिंसा फैलाने वालों के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई की जाएगी: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि बीरभूम जिले में हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध हों.

बनर्जी ने कहा कि वह स्थिति का जायजा लेने के लिए गुरुवार को जिले का दौरा करेंगी.

उन्होंने कहा, ‘बीरभूम की घटना के लिए जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से संबंध रखते हों.’

मुख्यमंत्री ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा कि उन्हें जिले का अपना दौरा एक दिन के लिए स्थगित करना पड़ा क्योंकि अन्य राजनीतिक दल पहले से ही वहां जुटे हुए हैं.

विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता घटनास्थल पर जाते समय ‘लंगचा’ (पड़ोसी बर्दवान जिले के शक्तिगढ़ क्षेत्र में बनने वाली मिठाई) का स्वाद लेने के लिए रुक गए.

बनर्जी ने आरोप लगाया कि हिंसा की ऐसी घटनाएं पेट्रोल और अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि जैसे चिंताजनक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए रची गई साजिश का परिणाम हैं.

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घटनास्थल का दौरा करने के लिए मंगलवार को पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसमें चार सांसद शामिल हैं.

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पर दोषियों को बचाने का प्रयास करने का आरोप लगाया

उधर, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इस घटना को लेकर बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर फिर से निशाना साधते हुए दावा किया कि राज्य सरकार की ओर से की गई कार्रवाई राजनीति से प्रभावित है और दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है.

राज्यपाल ने ममता को एक पत्र लिखकर यह बात कही.

धनखड़ ने मंगलवार (22 मार्च) को रामपुरहाट में आठ लोगों की मौत की इस घटना को ‘भयावह’ करार देते हुए कहा था कि राज्य पूरी तरह से ‘हिंसा और अराजकता’ की संस्कृति की गिरफ्त में है.

इस पर मुख्यमंत्री ने राज्यपाल की टिप्पणी की आलोचना की थी और कहा था कि उनका यह बयान अवांछनीय है.

धनखड़ ने बुधवार को बनर्जी को तीन पृष्ठों का एक पत्र लिखकर जवाब दिया और कहा कि मुख्यमंत्री ने घटना पर उनकी संयमित प्रतिक्रिया पर ‘आरोप लगाने वाला रुख’ अपनाया है.

राज्यपाल ने पत्र में कहा, ‘हमेशा की तरह आपने रामपुरहाट के इतिहास में सबसे भीषण नरसंहार को लेकर मेरी संयमित प्रतिक्रिया पर आरोप लगाने वाला रुख अपनाया है. स्तब्ध कर देने वाले इस नरसंहार की तुलना कई लोगों द्वारा राज्य में कुछ साल पहले हुई घटनाओं से की जा रही है. उस समय आप विपक्ष में थीं.’

उन्होंने कहा, ‘अलग-अलग रुख अपना कर आपने मुझ पर अवांछित बयान देने का आरोप लगाया. जो स्थिति है उसमें मैं मूकदर्शक बन कर नहीं रह सकता.’

राज्यपाल ने ममता से आत्मावलोकन करने का आह्वान करते हुए कहा कि इस दावे से ज्यादा हास्यास्पद कुछ नहीं हो सकता कि कुछ घटनाओं को छोड़कर राज्य हमेशा शांतिपूर्ण रहा है.

उन्होंने कहा, ‘आत्मावलोकन से पता चलेगा है कि आपके द्वारा उठाए गए कदम राजनीति से प्रभावित हैं.’

पश्चिम बंगाल सरकार ने घटना की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) ज्ञानवंत सिंह की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

राज्यपाल ने कहा, ‘विशेष जांच दल का गठन मामले को दबाने और दोषियों को बचाने के लिए किया जा रहा है.’

अदालत ने दिल्ली सीएफएसएल को घटनास्थल से नमूने एकत्रित करने का आदेश दिया

इस बीच कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस घटना पर स्वत: संज्ञान लिया और बुधवार को घटना की फॉरेंसिक जांच के लिए दिल्ली सीएफएसएल को घटनास्थल से आवश्यक नमूने इकट्ठा करने का आदेश दिया है.

अदालत ने राज्य सरकार को गुरुवार को अपराह्न दो बजे तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की पीठ इस मामले पर गुरुवार दोपहर दो बजे सुनवाई करेगी.

पीठ ने स्वत: संज्ञान मामले और विभिन्न याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए पूर्वी बर्धमान के जिला जज की उपस्थिति में घटनास्थल पर सीसीटीवी लगाने और अगले आदेश तक रिकॉर्डिंग जारी रखने का निर्देश दिया.

अदालत ने दिल्ली की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (सीएफएसएल) को अविलंब घटनास्थल का दौरा करने का निर्देश दिया.

पीठ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को पूर्वी बर्धमान के जिला जज से विमर्श करके गवाहों और आगजनी में घायल नाबालिग लड़के की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया.

अदालत ने कहा कि इस मामले में निष्पक्ष जांच के लिए स्वत: संज्ञान वाली याचिका दर्ज की गई है.

विभिन्न जनहित याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं ने हिंसा की घटना की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या किसी अन्य एजेंसी द्वारा कराए जाने की मांग की है, जिसका नियंत्रण राज्य सरकार के अधीन नहीं हो.

राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता ने याचिका का पुरजोर विरोध किया और कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) मामले की जांच कर रही है और किसी अन्य एजेंसी को मामले को अंतरित करने की आवश्यकता नहीं है.

अधिवक्ता तरुण ज्योति तिवारी ने मंगलवार (22 मार्च) को कहा था कि उन्होंने और भाजपा अधिवक्ता प्रकोष्ठ के नौ अन्य सदस्यों ने खंडपीठ के समक्ष घटना का उल्लेख करते हुए याचिका दायर करने की अनुमति मांगी थी.

तिवारी ने यह भी कहा था कि पीठ ने उन्हें अनुमति दे दी है और जल्द ही एक मामला दायर किया जाएगा.

उम्मीद है ममता सरकार दोषियों को जरूर सजा दिलवाएगी: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीरभूम हिंसा पर दुख प्रकट किया और उम्मीद जताई कि राज्य सरकार दोषियों को जरूर सजा दिलाएगी.

बुधवार को  कोलकाता स्थित विक्टोरिया मेमोरियल में नवनिर्मित विप्लवी भारत दीर्घा का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार को आश्वस्त किया कि अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलवाने में जो भी मदद वह चाहेगी, केंद्र सरकार उसे मुहैया कराएगी.

अपने संबोधन की शुरुआत में उन्होंने कहा, ‘मैं इस हिंसक वारदात पर दुख व्यक्त करता हूं… अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं. मैं आशा करता हूं कि राज्य सरकार बंगाल की महान धरती पर ऐसा जघन्य पाप करने वालों को जरूर सजा दिलवाएगी.’

प्रधानमंत्री ने बंगाल की जनता से आग्रह किया कि वह ऐसी वारदात को अंजाम देने वाले लोगों और ऐसे अपराधियों का हौसला बढ़ाने वालों को कभी माफ न करे.

उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार की तरफ से मैं राज्य को इस बात के लिए आश्वस्त करता हूं कि अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलवाने में जो भी मदद वो चाहेगी, उसे मुहैया कराई जाएगी.’

इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय संस्कृमति मंत्री जी किशन रेड्डी भी मौजूद थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)