आर्थिक संकट को लेकर श्रीलंका में लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी

श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन जैसे आवश्यक सामान की कमी हो गई है. देश में दिन में 13 घंटे तक बिजली गुल रहती है. इसके विरोध में बीते गुरुवार को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास के बाहर सैकड़ों प्रदर्शनकारी जमा हो गए और उनके इस्तीफ़े की मांग की थी. बाद में यह प्रदर्शन हिंसक हो गया था.

Demonstrators stand near a bus that was set on fire at the top of the road to Sri Lankan President Gotabaya Rajapaksa's residence during a protest against him as many parts of the crisis-hit country faced up to 13 hours without electricity due to a shortage of foreign currency to import fuel, in Colombo, Sri Lanka March 31, 2022. REUTERS/Dinuka Liyanawatte

श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन जैसे आवश्यक सामान की कमी हो गई है. देश में दिन में 13 घंटे तक बिजली गुल रहती है. इसके विरोध में बीते गुरुवार को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास के बाहर सैकड़ों प्रदर्शनकारी जमा हो गए और उनके इस्तीफ़े की मांग की थी. बाद में यह प्रदर्शन हिंसक हो गया था.

राष्ट्रपति आवास के बाहर प्रदर्शनकारियों आंसू गैस का इस्तेमाल करके तितर-बितर करते सुरक्षा बल. (फोटो: रॉयटर्स)

कोलंबो: श्रीलंका सरकार ने मौजूदा आर्थिक संकट को लेकर राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास के पास हुए हिंसक प्रदर्शन को शुक्रवार को ‘आतंकी कृत्य’ करार दिया और इस घटना के लिए विपक्षी दलों से जुड़े ‘चरमपंथी तत्वों’ को जिम्मेदार ठहराया है.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक संकट से जूझ श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के पास से ताजा विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं. प्रदर्शनकारियों ने बिजली की मांग को लेकर इस द्वीपीय राष्ट्र के मुख्य प्रशासनिक प्रांत के अंतर्गत आने वाले मोरातुवा के मेयर के आवास पर पथराव किया है.

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास के बाहर बृहस्पतिवार को विरोध प्रदर्शन के हिंसक होने के एक दिन बाद यह घटनाक्रम सामने आया है.

राष्ट्रपति आवास के बाहर गुरुवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारी जमा हो गए थे, जिन्होंने इस द्वीपीय राष्ट्र में भीषण आर्थिक संकट को दूर करने में राष्ट्रपति की विफलता को लेकर उनके इस्तीफे की मांग की.

प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा कि सरकार के कुप्रबंधन के कारण विदेशी मुद्रा संकट और गंभीर हो गया है. देखते ही देखते विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़क उठी थी.

आंदोलन के हिंसक होने से कई लोग घायल हो गए और वाहनों में आग लगा दी गई. राष्ट्रपति के आवास के पास लगे स्टील अवरोधक को गिराए जाने के बाद प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की.

इस संबंध में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया और कोलंबो शहर के अधिकांश हिस्सों में कुछ समय के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया.

कोलंबो के अधिकतर हिस्सों और केलानिया के उपनगरीय पुलिस डिवीजन में गुरुवार आधी रात को  लगाया गया यह कर्फ्यू शुक्रवार सुबह हटा दिया गया.

बता दें कि श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन जैसे आवश्यक सामान की कमी हो गई है. देश में हालत यह है कि दिन में 13 घंटे तक बिजली गुल रहती है.

डेली मिरर समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति के मीडिया प्रभाग द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास के पास हुई हिंसा में एक चरमपंथी समूह शामिल था.

बयान में कहा गया है कि घटना में शामिल लोगों में से कई को गिरफ्तार कर लिया गया है और इनमें से कई के संगठित चरमपंथी होने का पता चला है.

इस बीच, श्रीलंका के परिवहन मंत्री दिलुम अमुनुगामा ने पत्रकारों से कहा कि राष्ट्रपति आवास के पास हुई हिंसा एक ‘आतंकी कृत्य’ थी.

पर्यटन मंत्री प्रसन्ना रणतुंगा ने हिंसा के लिए विपक्षी दलों- समागी जान बालवेगया (एसजेबी) और जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) से जुड़े चरमपंथी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया.

राष्ट्रपति आवास के बाहर प्रदर्शन के दौरान एक बस में आग लगा दी गई. (फोटो: रॉयटर्स)

वहीं, स्वास्थ्य मंत्री केहेलिया रामबुक्वेला ने कहा कि राष्ट्रपति की जान खतरे में थी, क्योंकि प्रदर्शन खुफिया विफलता के कारण हुआ.

पुलिस ने कहा कि हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है. विपक्षी दलों से जुड़े वकीलों ने दावा किया कि पुलिस गिरफ्तार लोगों पर आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पीटीए) के तहत आरोप लगा सकती है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ईंधन, बिजली और दूध की कमी के बीच हुई झड़प में पांच पुलिसकर्मी और कम से कम एक प्रदर्शनकारी के घायल होने की सूचना है.

इंडियन एक्सप्रेस ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) के हवाले से लिखा है कि गुरुवार को प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए कथित तौर पर दो आर्मी बसों पर पथराव किया, जो कि राष्ट्रपति आवास के प्रवेश द्वार में खड़ी होकर अंदर जाने के मार्ग को अवरुद्ध कर रही थीं. उन्होंने कथित तौर पर एक बस में भी आग लगा दी और दमकल ट्रक (आग बुझाने वाला ट्रक) को जाने से रोक दिया.

पुलिस के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान पांच पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल हो गए और वाहनों को आग लगा दी गई.

इस बीच, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुमति मांगी है कि वे राज्य सरकार को श्रीलंका के तमिलों को मानवीय मदद देने की अनुमति प्रदान करें. बेरोजगारी और आसमान छूती महंगाई से बचकर कई आर्थिक शरणार्थी पहले ही राज्य में पहुंच चुके हैं.

भारी कर्ज में डूबा और कम विदेशी मुद्रा भंडार वाला श्रीलंका आयात के लिए भुगतान करने की स्थिति में नहीं है. भारत ने फरवरी और मार्च में इस देश को 2.4 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता का पैकेज दिया है.

साथ ही, भारत श्रीलंका की आर्थिक स्थिति में सुधार और विभिन्न संयुक्त परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति भी कर रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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