गौतम नवलखा को जेल में पढ़ने के लिए पीजी वुडहाउस की किताब न देना हास्यास्पद: हाईकोर्ट

महाराष्ट्र की तलोजा जेल में एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जेल अधिकारियों ने प्रसिद्ध अंग्रेज़ी लेखक पीजी वुडहाउस की एक किताब देने से इनकार कर दिया. अधिकारियों ने तर्क दिया था कि इससे 'सुरक्षा को ख़तरा' हो सकता था. 

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महाराष्ट्र की तलोजा जेल में एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जेल अधिकारियों ने प्रसिद्ध अंग्रेज़ी लेखक पीजी वुडहाउस की एक किताब देने से इनकार कर दिया. अधिकारियों ने तर्क दिया था कि इससे ‘सुरक्षा को ख़तरा’ हो सकता था.

(फोटो साभार: यूट्यूब)

मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय सोमवार को उस समय हैरान रह गया, जब उसे यह बताया गया कि एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को महाराष्ट्र में तलोजा जेल के अधिकारियों ने ‘सुरक्षा को खतरा’ का हवाला देते हुए प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक पीजी वुडहाउस द्वारा लिखित एक किताब देने से इनकार कर दिया.

जस्टिस एसबी शुक्रे और जस्टिस जीए सनप की पीठ ने ‘सुरक्षा को खतरा’ के आधार पर किताब न दिए जाने को ‘हास्यास्पद’ करार दिया. पीठ नवलखा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपनी अधिक उम्र होने की वजह से तलोजा जेल से हटाकर घर पर नजरबंद किए जाने का अनुरोध किया है.

नवलखा के वकील युग चौधरी ने सोमवार को तलोजा जेल की दयनीय स्थिति को लेकर अफसोस जताया था और कहा था कि उनके मुवक्किल को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं प्रदान की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि नवलखा को तेज दर्द होने के बावजूद उन्हें बैठने के लिए कोई कुर्सी नहीं दी गई और इससे पहले उनका चश्मा चोरी हो गया था और जेल अधिकारियों ने उनके परिवार द्वारा भेजा गया चश्मा लेने से इनकार कर दिया था.

चौधरी ने कहा, ‘किताबें दिए जाने से इनकार किया जा रहा है. पीजी वुडहाउस की एक किताब उनके परिवार ने भेजी थी और जेल अधिकारियों ने इसे दो बार ‘सुरक्षा खतरा’ बताते हुए उन्हें सौंपने से इनकार कर दिया.’

पीठ ने जांच एजेंसी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के वकील संदेश पाटिल से पूछा कि क्या यह सच है.

जस्टिस शुक्रे ने कहा, ‘क्या यह सच है? वुडहाउस को सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है? यह वास्तव में हास्यास्पद है. वुडहाउस मराठी लेखक और हास्य रचनाकार पीएल देशपांडे के लिए प्रेरणास्रोत थे.’

जस्टिस शुक्रे ने कहा, ‘यह जेल अधिकारियों के रवैये को दर्शाता है. अभियोजन एजेंसी के रूप में एनआईए का काम यह सुनिश्चित करना है कि गिरफ्तार व्यक्ति का जीवन जेल में आरामदायक हो. कम से कम बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाना चाहिए.’

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, इसके बाद अदालत को बताया गया कि किताब बाद में नवलखा को दे दी गई थी.

पीठ ने सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के वकीलों की अनुपस्थिति पर भी नाराजगी जताई. बाद में, अतिरिक्त लोक अभियोजक संगीता शिंदे अदालत में पेश हुईं और उपस्थित नहीं होने के लिए माफी मांगी तथा पीठ से कोई आदेश पारित न करने का अनुरोध किया. पीठ ने शिंदे से लिखित माफी मांगने को कहा.

राज्य सरकार के जवाब से भी असंतुष्टि जाहिर करते हुए पीठ ने कहा कि अगर जेल अधिकारी जेल की परिस्थितियों पर ध्यान देने को लेकर चिंतित नहीं हैं, तो हमें सख्ती बरतनी होगी. हाईकोर्ट ने राज्य के महाधिवक्ता से आग्रह किया कि वे मामले को देखें और सुधारात्मक उपाय सुझाएं.

इस दौरान नवलखा के वकील युग चौधरी ने नवलखा द्वारा जेलर को लिखे पत्र के अंश भी अदालत को पढ़कर सुनाए और जेल के अमानवीय हालातों को बयान किया.

उक्त पत्र में नवलखा ने लिखा था कि ‘मैं नहीं चाहता कि मेरा हाल भी स्टेन स्वामी की तरह हो.’ चौधरी ने कहा कि नवलखा जीना चाहते हैं ताकि वह खुद को बेगुनाह साबित कर सकें.

इस पर हाईकोर्ट ने एनआईए के वकील से कहा कि नवलखा के वकील का कहना है कि जेल के जो हालात हैं, वह नजरबंदी को सही ठहराते हैं. अगर वे (राज्य सरकार) चिंतित नहीं हैं… हम सख्ती बरतेंगे.

जस्टिस शुक्रे ने मौखिक तौर पर कहा कि अगर सरकार हिरासत में लिए व्यक्ति को नजरबंद रखना चाहती है तो वह एक अलग बात है, लेकिन जब स्वयं आरोपी इसकी मांग करे तो यह अनोखा है.

अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा किन 3 दिसंबर 2021 के राज्य के जवाब को देखते हुए लगता है कि नवलखा के आरोप सही हो सकते हैं. सरकारी वकील की अनुपस्थिति से इन्हें और मजबूती मिलती है.

जस्टिस सनप ने कहा कि राज्य और एजेंसी (एनआईए) के बीच कोई तालमेल नहीं है.

गौरतलब है कि इससे पहले भी बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेल अधिकारियों को गौतम नवलखा का नया चश्मा वापस करने पर लगाई फटकार थी.

तब बताया गया था कि नवलखा का चश्मा तलोजा जेल से चोरी हो गया था. उनके परिवार ने डाक के माध्यम से नया चश्मा भेजा था, जिसे जेल अधिकारियों ने वापस कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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