उत्तर प्रदेश: बुज़ुर्ग व्यक्ति अपनी बीमार पत्नी को ठेले पर लेकर अस्पताल पहुंचा, जांच के आदेश

मामला उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले का है. एक वृद्ध व्यक्ति द्वारा अपनी बीमार पत्नी को ठेले पर लेकर अस्पताल पहुंचने संबंधी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. मुख्य चिकित्सा अधिकारी के मुताबिक, महिला की उसी रात इलाज के दौरान मौत हो गई थी. 

/
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी पत्नी को ठेले में स्वास्थ्य केंद्र ले गया. (फोटो साभार: ट्विटर/@ikramalam7se8)

मामला उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले का है. एक वृद्ध व्यक्ति द्वारा अपनी बीमार पत्नी को ठेले पर लेकर अस्पताल पहुंचने संबंधी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. मुख्य चिकित्सा अधिकारी के मुताबिक, महिला की उसी रात इलाज के दौरान मौत हो गई थी.

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी पत्नी को ठेले में स्वास्थ्य केंद्र ले गया. (फोटो साभार: ट्विटर/@ikramalam7se8)

बलिया: उत्तर प्रदेश में बलिया के एक अस्पताल में एक वृद्ध द्वारा अपनी पत्नी को ठेले पर लेकर पहुंचने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह घटना जिले के अंदौर गांव की है. संबंधित वीडियो में अंदौर गांव का सकुल प्रजापति अपनी बीमार पत्नी जोगनी (55) को ठेले पर लेकर अस्पताल जाता दिखाई दे रहा है.

वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले पर ट्वीट करके राज्य की चिकित्सा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े किए हैं.

बृजेश पाठक ने ट्वीट किया, ‘बलिया, उत्तर प्रदेश के वायरल वीडियो में एक बुजुर्ग व्यक्ति मरीज को ठेले पर अस्पताल ले जाते दिखाई दे रहा है. जानकारी प्राप्त होने पर वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक को जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए.’

मुख्य चिकित्सा अधिकारी नीरज पांडे ने मंगलवार को बताया कि पाठक ने महानिदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) को मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा, ‘घटना 28 मार्च को हुई थी. पत्नी को मधुमेह (डायबिटीज) का रोग था. उनके पैरों में दर्द की शिकायत के बाद पति उन्हें एक ठेले में डालकर तीन से चार किलोमीटर की दूरी तय करके करीबी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गया. उनका कहना है कि उन्होंने एंबुलेंस को नहीं बुलाया क्योंकि उन्हें लगा कि यह केवल आपात स्थिति के मामलों में आती है. स्वास्थ्य केंद्र से वह उसे एक ऑटो-रिक्शा में जिला अस्पताल ले गया.’

मुख्य चिकित्सा अधिकारी के मुताबिक, महिला की उसी रात इलाज के दौरान मौत हो गई.

इस बारे में पूछे जाने पर सकुल प्रजापति ने बताया कि 28 मार्च को पत्नी को अस्पताल ले जाने का कोई साधन नहीं मिला तो वह उसे ठेले पर लेकर चिकलहार स्वास्थ्य केंद्र चला गया, जो उसके घर से तीन किलोमीटर दूर है.

उसने बताया कि चिकित्सकों ने कुछ दवाएं देकर उसकी पत्नी को जिला अस्पताल रेफर कर दिया, जिसके बाद वह अपनी पत्नी को पियारिया गांव में ठेले पर ही छोड़कर कपड़े और पैसे लेने घर गया तथा फिर पत्नी को टेंपो से लेकर अस्पताल पहुंचा.

पुलिस ने बताया कि अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी पत्नी की मौत हो गई.

सकुल ने दावा किया कि उसकी पत्नी की मौत रात करीब 11 बजे हुई और अस्पताल ने शव घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस मुहैया नहीं कराई, जिसके बाद उसने 1100 रुपये में निजी एंबुलेंस की.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी नीरज पांडे ने कहा, ‘उस आदमी को पत्नी के शव को गांव ले जाने के लिए एक निजी वैन किराए पर लेनी पड़ी. उनका कहना है कि उन्होंने अस्पताल में कुछ लोगों से शव वापस ले जाने के लिए एंबुलेंस या वाहन मांगा था, लेकिन मना कर दिया गया. हम पता लगा रहे हैं कि उसने अस्पताल के किसी अधिकारी से बात की या किसी निजी व्यक्ति से. वह निश्चित नहीं है कि उसने किससे बात की.’

इस घटना पर ट्वीट करते हुए सपा अध्यक्ष ने कहा,’उत्तर प्रदेश में चिकित्सा की झूठी उपलब्धि के झूठे विज्ञापनों में जितना खर्च किया जाता है, उसका थोड़ा-सा हिस्सा भी अगर सपा के समय सुधरी चिकित्सा सेवाओं पर लगातार खर्च किया जाता रहा होता तो आज भाजपा के राज में स्ट्रेचर एवं एंबुलेंस के अभाव में लोगों की जो जान जा रही हैं वो बचाई जा सकतीं थीं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)