प्रेस क्लब ने पत्रकारों पर हमले और यूपी पेपर लीक मामले में गिरफ़्तारी की निंदा की

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने दिल्ली के बुराड़ी में हुए ‘हिंदू महापंचायत’ कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों पर हुए कथित हमले और उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में 12वीं कक्षा की परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले में तीन पत्रकारों की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए कहा कि हाल के दिनों में मीडियाकर्मियों पर सिलसिलेवार हमलों के मद्देनज़र यह कहा जा सकता है कि ये लोग प्रेस को पूरी तरह से बंद करने पर तुले हुए हैं.

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प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने हिंदू महापंचायत के दौरान पत्रकारों पर हुए कथित हमले के दोषियों की गिरफ्तारी और बलिया के तीन पत्रकारों की तत्काल रिहाई की मांग की. (फोटो: पीटीआई)

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने दिल्ली के बुराड़ी में हुए ‘हिंदू महापंचायत’ कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों पर हुए हमले और उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में 12वीं कक्षा की परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले में तीन पत्रकारों की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए कहा कि हाल के दिनों में मीडियाकर्मियों पर सिलसिलेवार हमलों के मद्देनज़र यह कहा जा सकता है कि ये लोग प्रेस को पूरी तरह से बंद करने पर तुले हुए हैं.

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने हिंदू महापंचायत के दौरान पत्रकारों पर हुए कथित हमले के दोषियों की गिरफ्तारी और बलिया के तीन पत्रकारों की तत्काल रिहाई की मांग की. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में बीते दिनों हुए ‘हिंदू महापंचायत’ के दौरान पत्रकारों पर हुए कथित हमले की मंगलवार को निंदा करते हुए दोषियों की ‘तत्काल’ गिरफ्तारी की मांग की.

इसके अलावा प्रेस क्लब ने उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 12वीं कक्षा की परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले में तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी की भी निंदा करते हुए कहा कि पुलिस ने इन पत्रकारों को ही आरोपी बना दिया, जबकि उन्होंने पेपर लीक होने की घटना को ‘उजागर’ किया था.

प्रेस क्लब ने बलिया के इन तीन पत्रकारों की तत्काल रिहाई की मांग की.

दिल्ली पुलिस ने तीन अप्रैल को आयोजित विवादास्पद ‘हिंदू महापंचायत’ कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों के साथ बदसलूकी का दावा किए जाने के बाद समुदायों के बीच कथित तौर पर नफरत फैलाने के आरोप में दो ट्विटर हैंडल संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. इनमें एक ट्विटर हैंडल एक पत्रकार और दूसरा एक समाचार पोर्टल का है.

इस कार्यक्रम को कवर करने गए पांच पत्रकारों के साथ दक्षिणपंथियों की भीड़ द्वारा कथित तौर पर मारपीट करने का मामला भी सामने आया था, जिनमें चार मुस्लिम पत्रकार शामिल थे.

एक समाचार पोर्टल में काम करने वाले दिल्ली के पत्रकार मीर फैसल ने एक ट्वीट में आरोप लगाया था कि उन्हें एक साथी पत्रकार के साथ मुस्लिम होने के कारण ‘हिंदू भीड़’ ने पीटा था.

समाचार पोर्टल ‘आर्टिकल 14’ ने उसी दिन ट्वीट किया था, ‘पांच पत्रकार, जिनमें से चार मुस्लिम थे, उक्त समाचार पोर्टल के लिए ‘असाइनमेंट’ पर थे, उन्हें मुखर्जी नगर पुलिस थाने ले जाया गया, जब कार्यक्रम में भीड़ ने उन पर हमला किया और वीडियो को डिलीट कर दिया.’

हालांकि, पुलिस ने पत्रकारों को हिरासत में लिए जाने से इनकार किया था. कुछ अन्य पत्रकारों की इस शिकायत पर दो प्राथमिकी दर्ज की गईं कि उनके साथ मारपीट की गई.

महापंचायत में विवादास्पद हिंदुत्ववादी नेता और धर्मगुरु यति नरसिंहानंद ने कथित तौर पर हिंदुओं को अपने अस्तित्व के लिए लड़ने को हथियार उठाने का आह्वान करते हुए कहा था कि अगर कोई मुसलमान देश का प्रधानमंत्री बन गया तो 20 साल में 50 प्रतिशत हिंदू धर्मांतरित हो जाएंगे.

प्रेस क्लब ने अपने बयान में कहा, ‘तीन अप्रैल को दिल्ली के बुराड़ी मैदान में आयोजित हिंदू महापंचायत के दौरान जिस तरह से पांच पत्रकारों पर हमला किया गया था, उसकी प्रेस क्लब ऑफ इंडिया निंदा करता है.’

रिपोर्ट के मुताबिक, बुराड़ी में हिंसा के अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार नहीं करने के लिए प्रेस क्लब ने दिल्ली पुलिस की भी खिंचाई की.

संगठन ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि दिल्ली पुलिस मूकदर्शक बनी रही और ‘बुराड़ी हमले में शामिल दोषियों’ को गिरफ्तार नहीं किया.

प्रेस निकाय ने ‘सांप्रदायिक रूप से गुंडों’ की गिरफ्तारी और उन घटनाओं की श्रृंखला में न्यायिक जांच शुरू करने की मांग की, जिनके कारण पत्रकारों पर हमला हुआ.

बयान में कहा गया, ‘हाल के दिनों में मीडियाकर्मियों पर सिलसिलेवार हमलों के मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि ये लोग प्रेस को पूरी तरह से बंद करने पर तुले हुए हैं.

पिछले हफ्ते हुई एक अन्य घटना में पुलिस ने उत्तर प्रदेश स्कूल परीक्षा बोर्ड के कक्षा 12 के अंग्रेजी प्रश्न पत्र के लीक होने में कथित भूमिका के लिए बलिया में तीन पत्रकारों अजीत ओझा, दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता को अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था.

गौरतलब है कि बीते 30 मार्च को इंटरमीडिएट की अंग्रेजी परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हो गया था और हल किया गया प्रश्न पत्र इंटरनेट पर वायरल हो गया था. इसके बाद 24 जिलों में अंग्रेजी की परीक्षा निरस्त कर दी गई थी.

मामले में तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी से स्थानीय पत्रकारों में रोष पैदा हो गया, जिन्होंने दो अप्रैल को बलिया में पुलिस और जिला प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की.

प्रेस क्लब ने तीनों पत्रकारों की गिरफ्तारी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की और पुलिस की कार्रवाई को मनमाना बताया.

तीनों पत्रकारों की तुरंत रिहाई की मांग करते हुए प्रेस क्लब ने कहा, ‘बलिया जिला प्रशासन की ओर से उन पत्रकारों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार करना अत्यधिक निंदनीय है, जिन्होंने 12वीं की परीक्षा के अंग्रेजी के प्रश्नपत्र के लीक होने का खुलासा किया था.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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