घाटी छोड़ने वाले 610 कश्मीरी पंडितों की संपत्ति वापस की गई: सरकार

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार ने ऐसे लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए पिछले साल एक पोर्टल की शुरुआत की है, जो अत्याचार के कारण घाटी छोड़ने के लिए विवश हुए और जिनकी संपत्ति जबरन ले ली गई. केंद्र सरकार ऐसे लोगों की संपत्ति वापस लौटाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है.

(फोटो: रॉयटर्स)

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार ने ऐसे लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए पिछले साल एक पोर्टल की शुरुआत की है, जो अत्याचार के कारण घाटी छोड़ने के लिए विवश हुए और जिनकी संपत्ति जबरन ले ली गई. केंद्र सरकार ऐसे लोगों की संपत्ति वापस लौटाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को संसद में बताया कि अत्याचार के कारण घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडितों में से 610 लोगों की संपत्ति उन्हें वापस की गयी है और अन्य ऐसे लोगों की संपत्ति लौटाने के लिए वह प्रयासरत है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी.

राय ने कहा कि जम्मू कश्मीर के विभिन्न जिलों के जिलाधिकारी प्रवासी लोगों की अचल संपत्ति के कानूनी अभिरक्षक होते हैं और जम्मू कश्मीर सरकार ने ऐसे लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए पिछले साल एक पोर्टल की शुरुआत की है, जो अत्याचार के कारण घाटी छोड़ने के लिए विवश हुए और जिनकी संपत्ति जबरन ले ली गई.

राय ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसे लोगों की संपत्ति वापस लौटाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है और अब तक पोर्टल पर आवेदन करने वाले 610 आवेदकों की संपत्ति वापस की गई है.

जम्मू कश्मीर में लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार के विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए राय ने कहा कि जम्मू कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए 51,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं और इससे केंद्रशासित प्रदेश में 4.5 लाख युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है.

राय ने कहा सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के सुखद परिणाम सामने आए हैं और दुर्गम क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण में तेजी आने से आवागमन भी सुगम हुआ है.

उन्होंने कहा कि 2019 तक वहां प्रतिदिन औसतन 6.54 किलोमीटर सड़क बन रही थी है, लेकिन अब प्रतिदिन औसतन 20.68 किलोमीटर सड़क बन रही है.

उन्होंने कहा कि वहां एक हजार तक की आबादी वाली बस्तियां सड़कों से जुड़ गई हैं और 500 तक की आबादी वाली बस्तियों को 2023 तक सड़कों से जोड़ देने का प्रयास है.

उन्होंने कहा कि काजीगुंद-बनिहाल सुरंग बन जाने से श्रीनगर और जम्मू के बीच की दूरी तय करने में आसानी होगी और इस यात्रा में पहले जहां 10 घंटे लगते थे, वहीं अब यह यात्रा पांच घंटे 50 मिनट में पूरी होगी.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर विकास की राह पर है, वहां 24 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है तथा वहां आईआईटी एवं आईआईएम जैसे संस्थान भी स्थापित किए गए हैं.

राय ने कहा कि 2019 से अब तक राज्य में लगभग 26,303 पदों की पहचान की गई है और भर्ती की प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने कहा कि सरकार उन प्रवासी कश्मीरियों को नौकरी देने के लिए तैयार है जो वहां वापस बसना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार ने 2020-21 में 841 और 2021-22 में 1,264 लोगों को नौकरी दी है.

जम्मू कश्मीर के लिए 2015 में घोषित करीब 58,400 करोड़ रुपये के विकास पैकेज के बारे में राय ने कहा कि परियोजनाओं को तेजी से लागू किया जा रहा है और कई परियोजनाएं पूरी हो गई हैं. उन्होंने कहा कि जल्दी ही बाकी परियोजनाओं को पूरा कर लिया जाएगा.

मालूम हो कि इससे पहले पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने कहा था कि वह कश्मीर में आतंकवादी हिंसा के चलते अपने घरों से पलायन कर गए कश्मीरी पंडितों की पैतृक संपत्ति को बहाल करने के प्रयास कर रही है तथा अभी तक नौ संपत्तियों को उनके उचित एवं वास्तविक स्वामियों को वापस कर दिया गया है.

गौरतलब है कि 5 अगस्त, 2019 को केंद्र ने प्रभावी रूप से अनुच्छेद 370, जो तत्कालीन राज्य को विशेष दर्जा देता था, को रद्द कर दिया था. साथ ही गैर-स्थानीय लोगों को जम्मू और कश्मीर में अचल संपत्ति खरीदने या रखने, वहां स्थायी रूप से बसने या राज्य प्रायोजित छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ प्राप्त करने से रोक लगाने वाले अनुच्छेद 35ए भी निरस्त कर दिया था.

सरकार ने अगस्त 2021 में लोकसभा को सूचित किया था कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद से जम्मू कश्मीर में यहां से बाहर के केवल दो लोगों ने दो संपत्तियां खरीदी हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)