मेघालय के तीन गांवों को लोगों की इच्छा के विरुद्ध असम को दिया गया: एचएसपीडीपी प्रमुख

मेघालय के हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) प्रमुख केपी पांगियांग ने आरोप लगाया है कि तीन गांव - जॉयपुर, सलबाड़ी और हुवापाड़ा - लोगों की इच्छा के विरुद्ध असम को दे दिया गया. बीते मार्च में मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और असम के उनके समकक्ष हिमंता बिस्वा शर्मा ने सीमा विवादों के हल के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

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केपी पांगियांग. (फोटो साभार: ट्विटर/@MeghalayaNews24)

मेघालय के हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) प्रमुख केपी पांगियांग ने आरोप लगाया है कि तीन गांव – जॉयपुर, सलबाड़ी और हुवापाड़ा – लोगों की इच्छा के विरुद्ध असम को दे दिया गया. बीते मार्च में मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और असम के उनके समकक्ष हिमंता बिस्वा शर्मा ने सीमा विवादों के हल के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

केपी पांगियांग. (फोटो साभार: ट्विटर/@MeghalayaNews24)

शिलांग: मेघालय के हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) प्रमुख केपी पांगियांग ने आरोप लगाया है कि राज्य के तीन गांव लोगों की इच्छा के विरुद्ध एक समझौते के तहत असम को दे दिए गए हैं.

हाल ही में मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और असम के उनके समकक्ष हिमंता बिस्वा शर्मा ने अंतरराज्यीय सीमा विवादों के हल के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

सत्तारूढ़ मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (एमडीए) की सहयोगी हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) के नेता ने कहा, ‘तीन गांव जॉयपुर, सलबाड़ी और हुवापाड़ा को ग्रामीणों के खुलेआम यह कहने के बावजूद मेघालय का हिस्सा नहीं बनाया गया कि वे राज्य का हिस्सा बने रहना चाहते हैं.’

पांगियांग ने कहा कि वह एमडीए की अगली बैठक में इस मुद्दे को उठाएंगे. 60 सदस्यीय मेघालय विधानसभा में एचएसपीडीपी के दो विधायक हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इससे पहले तृणमूल कांग्रेस, जो राज्य में प्रमुख विपक्षी दल है, ने कहा था कि मेघालय सरकार ने जमींदारों की सहमति के बिना असम को अंतरराज्यीय सीमा से लगे जनजातीय भूमि के बड़े हिस्से को उपहार में दिया.

जयंतिया हिल्स के स्थानीय नेताओं ने भी अपने गांवों को असम को देने की संभावना पर चिंता व्यक्त की थी.

बीते मार्च में हस्ताक्षरित समझौते के अनुसार, पहले चरण में निपटारे के वास्ते लिए गए 36.79 वर्ग किमी विवादित क्षेत्र में से असम को 18.46 वर्ग किमी और मेघालय को 18.33 वर्ग किमी का पूर्ण नियंत्रण मिलेगा.

मेघालय मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने विधानसभा में बताया था कि मेघालय-असम सीमा पर 36 विवादित गांवों में से 30 गांवों को दोनों राज्यों की क्षेत्रीय समितियों ने मेघालय में रहने देने की सिफारिश की थी.

बीते 19 जनवरी को असम और मेघालय मंत्रिमंडलों ने दो पूर्वोत्तर राज्यों के बीच पांच दशक पुराने सीमा विवाद को हल करने के लिए ‘गिव-एंड-टेक’ फॉर्मूले को मंजूरी दी थी. दोनों पक्षों ने 12 विवादित क्षेत्रों में विवाद को चरणबद्ध तरीके से सुलझाने का संकल्प लिया था.

मालूम हो कि मेघालय को 1972 में असम से अलग करके राज्य बनाया गया था. दोनों राज्यों के बीच समस्या तब शुरू हुई जब मेघालय ने 1971 के असम पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती दी, जिसने मिकिर हिल्स या वर्तमान कार्बी आंगलोंग क्षेत्र के ब्लॉक एक और दो को असम को दे दिया.

मेघालय का तर्क है कि ये दोनों ब्लॉक तत्कालीन यूनाइटेड खासी और जयंतिया हिल्स जिले का हिस्सा थे, जब इसे 1835 में अधिसूचित किया गया था. वर्तमान में 733 किलोमीटर असम-मेघालय सीमा पर विवाद के 12 बिंदु हैं.

पिछले कुछ वर्षों में दोनों पड़ोसी राज्यों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले विभिन्न समुदायों के बीच कई झड़पें देखी हैं.

पिछले साल अगस्त में असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले और मेघालय के री-भोई जिले के बीच का क्षेत्र तनावपूर्ण हो गया था.

25 अगस्त 2021 को स्थिति तब गंभीर हो गई थी, जब मेघालय के कुछ लोगों ने स्थानीय पुलिस के साथ पश्चिम कार्बी आंगलोंग के उमलाफेर इलाके के पास कथित रूप से असम सीमा के अंदर घुसने की कोशिश की थी. उसके बाद दोनों राज्यों की पुलिस आमने-सामने आ गई थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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