पाकिस्तान: प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव ख़ारिज करने का फैसला रद्द

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी से जुड़े नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष क़ासिम सूरी ने बीते तीन अप्रैल को उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था. शीर्ष अदालत ने नेशनल असेंबली को बहाल करते हुए नौ अप्रैल की सुबह अविश्वास प्रस्ताव आयोजित करने के लिए सत्र बुलाने का आदेश दिया है.

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A shopkeeper tunes a television screen to watch the speech of Pakistani Prime Minister Imran Khan, at his shop in Islamabad, Pakistan, March 31, 2022. REUTERS/Akhtar Soomro

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी से जुड़े नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष क़ासिम सूरी ने बीते तीन अप्रैल को उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था. शीर्ष अदालत ने नेशनल असेंबली को बहाल करते हुए नौ अप्रैल की सुबह अविश्वास प्रस्ताव आयोजित करने के लिए सत्र बुलाने का आदेश दिया है.

पाकिस्तान के इस्लामाबाद शहर में अपनी दुकान पर देश के प्रधानमंत्री इमरान खान के भाषण को सुनता एक ​दुकानदार. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बृहस्पतिवार को तब झटका लगा, जब देश के उच्चतम न्यायालय ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी के विवादास्पद फैसले को रद्द कर दिया.

शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए नेशनल असेंबली को बहाल करने का आदेश दिया कि संसद भंग करने और चुनाव कराने का प्रधानमंत्री का कदम ‘असंवैधानिक’ था.

इसके साथ ही अदालत ने नेशनल असेंबली के अध्यक्ष को 9 अप्रैल सुबह 10 बजे अविश्वास प्रस्ताव आयोजित करने के लिए सत्र बुलाने का आदेश दिया है.

प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा, ‘उपाध्यक्ष का फैसला संविधान और कानून के विपरीत था और इसका कोई कानूनी प्रभाव नहीं था और इसे रद्द किया जाता है.’

जस्टिस बंदियाल ने कहा, ‘उपाध्यक्ष ने तीन अप्रैल को एक फैसला सुनाया था. 28 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर अनुमति दी गई थी. अध्यक्ष के फैसले को असंवैधानिक घोषित किया जाता है.’

अदालत ने प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को नेशनल असेंबली भंग करने की सलाह को भी ‘असंवैधानिक’ घोषित किया.

पीठ में जस्टिस इजाजुल अहसन, जस्टिस मोहम्मद अली मजहर मियांखेल, जस्टिस मुनीब अख्तर और जस्टिस जमाल खान मंडोखेल भी शामिल थे. पीठ ने प्रधानमंत्री खान और उनके कैबिनेट को तीन अप्रैल की स्थिति के अनुसार उनके पदों पर बहाल कर दिया.

शीर्ष अदालत ने स्पीकर को 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे नेशनल असेंबली का सत्र बुलाने का आदेश दिया, ताकि अविश्वास प्रस्ताव पर मत-विभाजन किया जा सके. अदालत ने आदेश दिया कि यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है तो नए प्रधानमंत्री का चुनाव कराया जाए.

प्रधानमंत्री खान को सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी दलों को 342 सदस्यीय सदन में 172 सदस्यों की आवश्यकता है और पहले से ही उन्होंने जरूरत से ज्यादा संख्या बल दिखाया है. अब खान के सामने पाकिस्तान के इतिहास में पहला ऐसा प्रधानमंत्री होने की संभावना है, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव से बाहर कर दिया जाएगा.

क्रिकेटर से नेता बने 69 वर्षीय खान ‘नया पाकिस्तान’ बनाने के वादे के साथ 2018 में सत्ता में आए थे, लेकिन जरूरी वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने की बुनियादी समस्या को दूर करने में बुरी तरह विफल रहे. नेशनल असेंबली का वर्तमान कार्यकाल अगस्त, 2023 में समाप्त होना था.

कोई भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है. शीर्ष अदालत के फैसले से पहले उच्चतम न्यायालय के अंदर और आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी.

इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से जुड़े कासिम सूरी ने तीन अप्रैल को खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करते हुए नेशनल असेंबली भंग कर दिया था.

सूरी ने दावा किया था कि यह सरकार को गिराने के लिए ‘विदेशी साजिश’ से जुड़ा है और इसलिए यह विचार के योग्य नहीं है. अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने के कुछ देर बाद राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था.

अदालत ने सूरी के इस कदम के कुछ घंटे बाद स्वत: संज्ञान लिया था. अदालत ने लगातार पांच दिन की सुनवाई के बाद दोपहर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता शहबाज शरीफ ने कहा कि अदालत ने निश्चित रूप से लोगों की अपेक्षाओं को पूरा किया है.

उन्होंने कहा, ‘अदालत ने इस फैसले से अपनी प्रतिष्ठा और स्वतंत्रता को मजबूत किया है. अदालत ने संसद और उसके सम्मान को भी मजबूत किया है.’

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला लोकतंत्र और संविधान की जीत है.

उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान के संस्थानों और उसके संविधान की रक्षा की गई है. अल्लाह की इच्छा, अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया अब पूरी हो जाएगी और हम चुनावी सुधार करेंगे और स्वच्छ एवं पारदर्शी चुनाव की ओर बढ़ेंगे.’

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए इसे न्याय और संविधान की जीत बताया. उन्होंने कहा, ‘कल को धन्यवाद दिवस के रूप में मनाया जाएगा.’

फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने फैसले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए खेद और निराशा व्यक्त की.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘इस दुर्भाग्यपूर्ण फैसले ने पाकिस्तान में राजनीतिक संकट को बढ़ा दिया है. तत्काल चुनाव देश में स्थिरता ला सकते थे. दुर्भाग्य से, लोगों के महत्व को नजरअंदाज कर दिया गया है. देखते हैं कि चीजें अब कैसे आगे बढ़ती हैं.’

इससे पहले जस्टिस बंदियाल ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के संबंध में उपाध्यक्ष के विवादास्पद फैसले को असंवैधानिक घोषित कर दिया. उन्होंने कहा, ‘वर्तमान सवाल यह है कि अब आगे क्या होगा.’

उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष का फैसला प्रथमदृष्टया अनुच्छेद 95 का उल्लंघन है.

जटिल मामले में पैरवी करने के लिए विभिन्न वकील अदालत में पेश हुए. उपाध्यक्ष सूरी की ओर से नईम बोखारी पेश हुए, प्रधानमंत्री खान के लिए इम्तियाज सिद्दीकी, राष्ट्रपति अल्वी की ओर से अली जफर पेश हुए और अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान सरकार की ओर से पेश हुए.

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की ओर से बाबर अवान, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के लिए रज़ा रब्बानी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ के लिए मखदूम अली खान पेश हुए.

विभिन्न पक्षों की ओर से पेश प्रमुख वकीलों के अलावा अदालत ने शहबाज शरीफ को भी बुलाया था. अदालत ने उनसे नेशनल असेंबली को भंग किए जाने और चुनाव घोषित किए जाने के कारण अनिश्चितता के मद्देनजर आगे के रास्ते पर उनका विचार पूछा.

शहबाज ने कहा कि देशद्रोही करार दिए जाने के बाद विपक्षी नेता कैसे चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं. उन्होंने फैसला अदालत पर छोड़ दिया, लेकिन आग्रह किया कि कानून के शासन का पालन किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘देशद्रोही कहे जाने के बाद हम अपने परिवारों का भी सामना नहीं कर सकते.’

शहबाज का इशारा उपाध्यक्ष के उस फैसले की ओर था कि अविश्वास प्रस्ताव को तथाकथित ‘विदेशी साजिश’ से जुड़ा है.

अदालत ने बिलावल को भी सुना, जिन्होंने चुनाव में जाने से पहले चुनाव कानूनों में जरूरी सुधार लाने का वादा किया.

अदालत के फैसले के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि वह हमेशा से पाकिस्तान के लिए संघर्ष करते रहे हैं और वह आखरी बॉल तक संघर्ष करेंगे.

बीते बृहस्पतिवार को खान ने ट्वीट किया, ‘मैंने कल (शुक्रवार) कैबिनेट की बैठक बुलाई है. इसके साथ ही संसदीय दल की बैठक भी बुलाई है. और मैं कल देश को संबोधित भी करूंगा. देश के लिए मेरा संदेश ये है कि मैं हमेशा से पाकिस्तान के लिए संघर्ष करता रहा हूं. और आखिरी बॉल तक संघर्ष करूंगा.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)