‘अनुपम खेर ख़ुद का अभिनय संस्थान चलाते हैं, वे एफटीआईआई अध्यक्ष कैसे बन सकते हैं’

एफटीआईआई के छात्रों ने अनुपम खेर की नियुक्ति पर उठाए सवाल, बताया हितों के टकराव का मामला.

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अनुपम खेर. (फोटो साभार: फेसबुक)

एफटीआईआई के छात्रों ने अनुपम खेर की नियुक्ति पर उठाए सवाल, बताया हितों के टकराव का मामला.

अनुपम खेर. (फोटो साभार: फेसबुक)
अनुपम खेर. (फोटो साभार: फेसबुक)

पुणे: भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के प्रमुख के पद पर अभिनेता अनुपम खेर को नियुक्त किए जाने के फैसले पर सवाल उठाते हुए संस्थान के छात्र संघ ने आरोप लगाया है कि यह हितों के टकराव का मामला है क्योंकि खेर मुंबई में अपना खुद का अभिनय प्रशिक्षण संस्थान चलाते हैं.

एफटीआईआई छात्र संघ (एफएसए) ने साथ ही देश में असहिष्णुता को लेकर बहस के दौरान खेर द्वारा दिए गए बयानों तथा सरकार के कुछ विचारों का प्रचार करने की उनकी कोशिशों पर भी आपत्ति जताई.

हालांकि छात्र संघ ने साफ किया कि जहां तक खेर की योग्यता एवं साख की बात है, उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. एफएसए के अध्यक्ष रॉबिन जॉय ने कहा, जहां तक खेर की योग्यता एवं साख की बात है, कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन क्योंकि वह मुंबई में अपना खुद का अभिनय प्रशिक्षण संस्थान ‘एक्टर प्रिपेयर्स’ चलाते हैं और अब उन्हें एक सरकारी संस्थान का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा गया है जिसमें यकीनन हितों का टकराव होता है.

उन्होंने कहा, सवाल यह है कि एक निजी उपक्रम का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को कैसे किसी सरकारी संस्थान का नेतृत्व करने के लिए कहा जा सकता है.

यह पूछे जाने पर कि क्या वे खेर की नियुक्ति का उसी तरह से विरोध करेंगे जिस तरह से उनके पूर्ववर्ती छात्रों ने 2015 में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति को लेकर किया था, जॉय ने कहा कि वह इस समय कुछ नहीं कह सकते, आगे की कार्रवाई पर फैसला एफएसए की आम सभा की बैठक में किया जाएगा.

काश मुझे अपना काम पूरा करने का और समय मिलता: गजेंद्र चौहान

एफटीआईआई के प्रमुख का कार्यकाल पूरा करने जा रहे गजेंद्र चौहान ने बुधवार को कहा कि उन्होंने पुणे स्थित संस्थान में एक 20—20 मैच खेला है. उन्होंने कहा कि काश सरकार ने उन्हें उनका काम पूरा करने के लिए और समय दिया होता.

जून, 2015 में एफटीआईआई प्रमुख के तौर पर नियुक्ति के बाद से चौहान का कार्यकाल विवादों से भरा रहा. उनकी नियुक्ति के तुरंत बाद छात्र इसे राजनीति से प्रेरित फैसला मानते हुए विरोध स्वरूप 139 दिन हड़ताल पर रहे. छात्रों की दलील थी कि चौहान की नियुक्ति राजनीति से प्रेरित थी.

चौहान ने जनवरी, 2016 में पद संभाला. टीवी धारावाहिक महाभारत में युधिष्ठिर की भूमिका निभाने के कारण चर्चित रहे गजेंद्र चौहान ने करीब दो साल तक एफटीआईआई के अध्यक्ष का पदभार संभाला और इस साल मार्च में उनका कार्यकाल पूरा हो गया.

चौहान ने कहा, मैंने अनुपमजी को अपनी शुभकामनाएं दी हैं. मैंने जो काम शुरू किया था, काश सरकार ने उसे पूरा करने के लिए मुझे और समय दिया होता. मेरे पास उसे करने के लिए एक साल दो महीने थे.

एफटीआईआई बुनियादी समस्याओं का सामना कर रहा है

गजेंद्र चौहान ने कहा, एफटीआईआई बुनियादी समस्याओं का सामना कर रहा है और उसे एक अच्छे प्रशासक की जरूरत है. मुझे यकीन है कि अनुपमजी इन समस्याओं के हल की दिशा में काम करेंगे.

चौहान ने कहा कि उनकी नियुक्त को लेकर हुए विवाद के कारण बहुत सारा काम लंबित हो गया. उन्होंने कहा, बदकिस्मती से मेरे कार्यकाल के दौरान हुए विवाद के कारण बहुत सारे मुद्दों का ढेर जमा हो गया. मैंने 20—20 क्रिकेट मैच खेला और काम पूरा करने के लिए अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ दिया. मेरा लक्ष्य एफटीआईआई के खोये गौरव को बहाल करना था और उसमें मैं कुछ हद तक सफल रहा, लेकिन कुछ अब भी लंबित हैं.

काफी सम्मानित महसूस कर रहा हूं: खेर

गौरतलब है कि जानेमाने अभिनेता अनुपम खेर को बुधवार को पुणे स्थित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. एफटीआईआई के अध्यक्ष पद पर 62 साल के खेर अभिनेता गजेंद्र चौहान की जगह लेंगे. मार्च में खत्म हुआ चौहान का कार्यकाल काफी विवादों में रहा था.

नियुक्ति के बाद खेर ने कहा कि प्रतिष्ठित एफटीआईआई का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर वह काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा, मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता से अपने कर्तव्य का पालन करूंगा.

दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक अनुपम खेर 500 से ज्यादा फिल्मों और कई नाटकों में काम कर चुके हैं. सिनेमा और कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें 2004 में पद्मश्री और 2016 में पद्मभूषण से नवाजा गया था.

सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं खेर

सात मार्च 1955 को शिमला में पैदा हुए खेर ने शहर के डीएवी स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी की. वह केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष और एनएसडी के निदेशक भी रह चुके हैं.

हिंदी फिल्मोद्योग के सबसे उम्दा अभिनेताओं में एक माने जाने वाले खेर ने 1982 में आगमन फिल्म से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी, लेकिन 1984 में महेश भट्ट निर्देशित फिल्म सारांश से खेर का सितारा चमका.

सारांश फिल्म की रिलीज के वक्त खेर महज 28 साल के थे, लेकिन इस फिल्म में उन्होंने मध्य वर्ग के एक ऐसे सेवानिवृत्त व्यक्ति की भूमिका निभाई जो अपने बेटे की मौत का कष्ट झेल रहा है.

फिल्म सारांश से चमका सितारा

सारांश के बाद खेर ने अनिल कपूर, शाहरुख खान, सलमान खान और अक्षय कुमार जैसे बड़े बॉलीवुड सितारों के साथ काम किया. उनके साथ की गई फिल्मों में खेर कभी विलेन की भूमिका में नजर आए तो कभी हास्य भूमिका निभाई.

साल 2002 में खेर ने ओम जय जगदीश फिल्म से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने की कोशिश की लेकिन इस फिल्म को कामयाबी नहीं मिली.

खेर उन चुनिंदा भारतीय अभिनेताओं में से हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में भी काम करने का मौका मिला. उन्होंने बेंड इट लाइक बेकहम, लस्ट, कॉशन और ऑस्कर से नवाजी गई सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक जैसी फिल्मों में काम किया है.

खेर ने अपनी जिंदगी पर आधारित ‘कुछ भी हो सकता है’ नाम का एक नाटक भी लिखा और उसमें अभिनय भी किया. एफटीआईआई का अध्यक्ष नियुक्त होने पर खेर के सहकर्मियों और समकालीनों ने उन्हें बधाई दी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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