महाराष्ट्र-बंगाल में केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग, भाजपा हर हाल में सत्ता चाहती है: शरद पवार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का देश के दो राज्यों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. एक पश्चिम बंगाल है और दूसरा महाराष्ट्र है. यह स्पष्ट है कि जो देश पर शासन कर रहे हैं, वे इन दो राज्यों में किसी भी क़ीमत पर सत्ता चाहते हैं.

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एनसीपी प्रमुख शरद पवार. (फोटो: पीटीआई)

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का देश के दो राज्यों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. एक पश्चिम बंगाल है और दूसरा महाराष्ट्र है. यह स्पष्ट है कि जो देश पर शासन कर रहे हैं, वे इन दो राज्यों में किसी भी क़ीमत पर सत्ता चाहते हैं.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार. (फोटो: पीटीआई)

जलगांव: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को भाजपा पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि केंद्रीय एजेंसियों का बड़े पैमाने पर महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में इस्तेमाल किया जा रहा क्योंकि केंद्र में जो शासन कर रहे हैं वे किसी भी हाल में इन दो राज्यों की सत्ता चाहते हैं.

पवार ने संवाददाताओं से संवाद करते हुए कहा कि मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) और भाजपा जैसी पार्टियों द्वारा मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर दिए गए हालिया बयान से राज्य का महौल खराब हो सकता है.

पवार ने यह भी संकेत दिया कि सत्तारूढ़ महा विकास अघाडी (एमवीए) के घटक शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस अगले विधानसभा चुनाव में भी साथ मैदान में उतर सकते हैं. महाराष्ट्र में वर्ष 2024 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

राज्य में पैदा हो रही बिजली संकट पर पवार ने कहा कि एमवीए सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और इसके समाधान के लिए सभी कदम उठा रही है.

इससे पहले एक कार्यक्रम में बोलते हुए राकांपा अध्यक्ष ने उनके केंद्रीय कृषि मंत्री रहने के दौरान किसानों की 72 हजार करोड़ रुपये की कर्ज माफी की प्रशंसा की.

पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘केंद्रीय एजेंसियों का देश के दो राज्यों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. एक पश्चिम बंगाल है और दूसरा महाराष्ट्र है. यह स्पष्ट है कि जो देश पर शासन कर रहे हैं, वे इन दो राज्यों में किसी भी कीमत पर सत्ता चाहते हैं.’

उन्होंने कहा कि इन दो राज्यों की जनता और निर्वाचित प्रतिनिधि भी सरकार बनाने के लिए भाजपा का सहयोग नहीं कर रहे हैं, ऐसे में जिनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है वे इन दो राज्यों में हस्तक्षेप करने में व्यस्त हैं जिसके नतीजे में छापेमारी की जा रही है.

राकांपा अध्यक्ष पार्टी यह सहयोग एकनाथ खडसे की टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे जो इस कार्यक्रम में मौजूद थे.

उनसे पूछा गया कि महाराष्ट्र की स्थिति जांच एजेंसी की छापेमारी के संदर्भ में कैसे अलग होती अगर भाजपा नेताओं को कथित अनियमितता के लिए जेल हुआ होता.

कुछ पार्टियों द्वारा मस्जिदों के ऊपर लगे लाउडस्पीकर को निशाना बनाने के सवाल पर पवार ने कहा कि लोगों को सांप्रदायिक सदभाव सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होकर खड़े होने की जरूरत है.

एक सवाल के जवाब में पवार ने कहा कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे अपने हालिया भाषण और बयान से हो सकता है कि हिंदुत्व के रास्ते को टटोल रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि एक ऐसी पार्टी के बारे में बात करने की जरूरत नहीं है जिसे चुनाव में लोगों ने खारिज कर दिया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बिजली संकट पर उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र के अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य भी कोयले की कमी का सामना कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस मुद्दे के बारे में बहुत गंभीर हैं और जल्द ही लोगों राहत देने का लक्ष्य रखे हैं.

‘मुस्लिम बहुल इलाके में विस्फोट संबंधी मेरे बयान से दंगा टाला जा सका था’

राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि 12 मार्च, 1993 को एक मुस्लिम बहुल इलाके में भी एक विस्फोट होने के जिक्र वाले उनके बयान ने मुंबई में नए सिरे से सांप्रदायिक हिंसा नहीं होने दी थी.

भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने 29 साल पहले पवार द्वारा जानबूझ कर दिए गए एक असत्य बयान का बृहस्पतिवार को हवाला दिया और पवार की पार्टी (राकांपा) पर तुष्टिकरण की राजनीति में संलिप्त रहने का आरोप लगाया.

पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा था, ‘12 मार्च 1993 को, जब मुंबई सिलसिलेवार विस्फोटों से दहल गया था, शरद पवार जी ने एक मुस्लिम इलाके में एक और विस्फोट की कल्पना की. कानून व्यवस्था के बजाय तुष्टिकरण उनकी पहली प्राथमिकता थी. जब हम सांप्रदायिक सौहार्द्र की उम्मीद करते हैं तब इस तरह का यह दोहरा मानदंड क्यों?’

इस आरोप के बारे में जलगांव में संवाददाताओं द्वारा पूछे जाने पर पवार ने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था कि वह शहर में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के बाहरी ताकतों के मंसूबों को नाकाम करना चाहते थे.

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (फडणवीस ने) एक आरोप यह लगाया है कि मैंने घोषणा की थी कि बम विस्फोट 11 स्थानों (वास्तविक संख्या) के बजाय 12 स्थानों पर हुए हैं. मैंने एक मुस्लिम इलाके का (12वें विस्फोट स्थल के रूप में) जिक्र किया था.’

पवार ने कहा, ‘यह सौ फीसदी सही है. मैंने ऐसा कहा था. कारण कि जिन 11 स्थानों पर विस्फोट हुए थे उनमें सिद्धिविनायक मंदिर जैसे हिंदुओं के महत्वपूर्ण स्थान थे.’

पवार, उस वक्त महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने कहा, ‘मैंने विस्फोटों में इस्तेमाल की गई सामग्री की व्यक्तिगत रूप से जांच की थी… इस तरह की सामग्री भारत में नहीं बनती. इसका मतलब है कि एक पड़ोसी देश हिंदुओं और मुसलमानों को एक दूसरे से लड़ाना चाहता था और मुंबई को जलाना चाहता था. स्थानीय मुस्लिम इसमें शामिल नहीं थे…मैंने कहा था कि 12वां विस्फोट स्थल मोहम्मद अली रोड है. ताकि दंगा नहीं हो.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पवार ने आगे कहा कि इस घटना की जांच करने वाले जस्टिस श्रीकृष्ण आयोग ने कहा था कि अगर उन्होंने यह स्टैंड नहीं लिया होता, तो मुंबई जला होता.

फडणवीस पर पलटवार करते हुए पवार ने कहा, ‘इसलिए हमें ऐसे लोगों के बयानों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है जिन्हें समझ नहीं है और जो इस मुद्दे की गंभीरता को नहीं समझते हैं.’

बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती के मौके पर 14 ट्वीट्स की एक श्रृंखला में फडणवीस ने पवार पर आंबेडकर की इच्छाओं और मूल्यों के खिलाफ जाने का भी आरोप लगाया था.

राकांपा प्रमुख ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि फडणवीस उन्हें जातिवाद से क्यों जोड़ रहे हैं. पवार ने कहा कि राकांपा की राज्य इकाई के प्रमुख बनने के बाद से विभिन्न समुदायों के नेता रहे हैं.

पवार ने कहा, ‘यह नहीं दिखाता है कि पार्टी की नीति एक जाति तक सीमित है. उनके (फडणवीस) के पास कहने के लिए और कुछ नहीं है. इसलिए, वह इस तरह के आरोप लगा रहे हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)