बिहार: जीतन राम मांझी का भाजपा पर परोक्ष हमला, कहा- राम में विश्वास नहीं करता

बिहार सरकार में गठबंधन सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) पार्टी के कर्ता-धर्ता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की यह विवादास्पद टिप्पणी रामनवमी पर निकले जुलूसों के दौरान कई राज्यों में बड़े पैमाने पर हुई सांप्रदायिक झड़पों के बाद आई है.

//
Gaya: HAM(S) Chief Jitan Ram Manjhi addresses during an election meeting, at Tekari in Gaya district, Monday, Oct. 19, 2020. (PTI Photo)(PTI19-10-2020 000193B)Gaya: HAM(S) Chief Jitan Ram Manjhi addresses during an election meeting, at Tekari in Gaya district, Monday, Oct. 19, 2020. (PTI Photo)(PTI19-10-2020 000193B)

बिहार सरकार में गठबंधन सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) पार्टी के कर्ता-धर्ता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की यह विवादास्पद टिप्पणी रामनवमी पर निकले जुलूसों के दौरान कई राज्यों में बड़े पैमाने पर हुई सांप्रदायिक झड़पों के बाद आई है.

जीतन राम मांझी (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने गठबंधन सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर एक परोक्ष हमला करते हुए कहा है कि वे ‘राम’ में विश्वास नहीं करते हैं.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में मांझी ने कहा, ‘मैं राम में विश्वास नहीं करता. राम भगवान नहीं थे. राम, तुलसीदास और वाल्मिकी द्वारा अपना संदेश देने के लिए रचे गए किरदार थे ‘

उनकी यह विवादास्पद टिप्पणी रामनवमी पर निकले जुलूसों के दौरान कई राज्यों में बड़े पैमाने पर हुई सांप्रदायिक झड़पों के बाद आई है. कुछ साल पहले अपनी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) बनाने वाले दलित नेता मांझी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा के गठबंधन में एक महत्वूपूर्ण सहयोगी माना जाता है.

अपनी बात को विस्तार से बताते हुए मांझी ने कहा, ‘उन्होंने (तुलसीदास और वाल्मीकि ने) रामायण लिखी थी और उनके लेखन में कई अच्छे सबक हैं. हम ऐसा मानते हैं. हम तुलसीदास और वाल्मीकि में विश्वास रखते हैं, राम में नहीं.’

पूर्व मुख्यमंत्री ने दलितों पर अत्याचार का हवाला देकर ब्राह्मणों पर हमला करते हुए कहा, ‘अगर आप राम में विश्वास करते हैं, तो हमने हमेशा जो कहानी सुनी है वह यह है कि राम ने शबरी के जूठे बैर खाए थे, लेकिन आप उस चीज को नहीं खाएंगे जिसे हम जूठा कर लें, लेकिन कम से कम उसे तो खा लीजिए जिसे हम छूते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘दुनिया में केवल दो जातियां हैं, अमीर और गरीब.’

पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मौत के बाद मुसहर महादलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मांझी राज्य में वर्तमान में सबसे महत्वपूर्ण दलित नेता हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनके संबंध कभी मधुर तो कभी कड़वे रहे हैं.

मांझी को प्रसिद्धि तब मिली थी जब नीतीश कुमार ने उन्हें संक्षिप्त अवधि के लिए मुख्यमंत्री नियुक्त किया था, लेकिन मांझी के खिलाफ पार्टी के विभिन्न नेताओँ द्वारा शिकायत किए जाने के चलते उन्हें जल्द ही हटा दिया गया.

उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने जद (यू)-भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में फिर से शामिल होने से पहले, 2018 और 2020 के बीच राष्ट्रीय जनता पार्टी-कांग्रेस गठबंधन के साथ हाथ मिलाया था. उनके बेटे संतोष मांझी फिलहाल नीतीश कुमार सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.

जानकारों द्वारा राम पर मांझी की टिप्पणी को सत्तारूढ़ गठबंधन में अपनी उपयोगिता दिखाने के एक और प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे समय पर उनकी टिप्पणी अधिक महत्वपूर्ण जान पड़ती है जब विधानसभा में सबसे बड़ा दल भाजपा शासन और सत्तारूढ़ गठबंधन में सबसे मजबूत स्थिति में है.

हाल ही में देखा गया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय कुमार सिन्हा पर विधानसभा में तीखे तेवर दिखाए थे. उन्होंने सिन्हा पर ‘असंवैधानिक आचरण’ में लिप्त रहने और आपराधिक जांच में बाधा डालने के आरोप लगाए थे.

भगवा दल (भाजपा) ने भी हाल ही में अपने गठबंधन के भागीदार विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी थी. व्यवहारिक तौर पर वीआईपी अपने तीनों विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद भंग हो गई है, जिससे इसके कर्ता-धर्ता मुकेश सहनी अधर में लटक गए हैं.

जुलाई 2022 में सहनी की विधान परिषद की सदस्यता भी खत्म हो जाएगी, जिससे संभावना है कि वे अपनी विधान परिषद की सीट भी खो देंगे, क्योंकि भाजपा ने उनसे समर्थन वापस लेने के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं.

सिर्फ चार विधायकों वाले गठबंधन के एक छोटे से साझेदार के रूप में मांझी की पार्टी ‘हम’ भी इन हालिया घटनाक्रमों और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित होगी.

कुमार का भाजपा के साथ गठबंधन में होने के बावजूद अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता को बरकरार रखने का एक लंबा इतिहास रहा है. उन्होंने समय-समय पर भाजपा से अलग राजनीतिक रूख अख्तियार किया है, खासकर कि उन मुद्दों पर जो हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का कारण बन सकते हैं.

हालांकि, 2020 के चुनावों में भाजपा से पिछड़ने के बाद वे राजनीतिक टकराव से बचने के लिए पर्याप्त सावधानी बरत रहे हैं.

जब भाजपा द्वारा वीआईपी को बुरी तरह से खत्म कर दिया गया और इस पर उनके द्वारा स्पष्ट चुप्पी साध लेना या लखनऊ में आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उनका 45 डिग्री तक झुकना, ऐसे उदाहरण हैं जो संकेत करते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री का कद भाजपा के सामने बौना हो गया है.

इस पृष्ठभूमि में, आंबेडकर जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में राम पर मांझी की टिप्पणी न सिर्फ सवर्ण जातियों के नेतृत्व वाली भाजपा के लिए एक मजबूत राजनीतिक संदेश है, बल्कि भाजपा को विशेष तौर पर सत्तारूढ़ गठबंधन की विविधता पर जोर देने के लिए निर्देशित कर सकती है.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq