अदालत ने एएसआई को कुतुब मीनार परिसर से भगवान गणेश की मूर्तियां नहीं हटाने का दिया निर्देश

दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को अगले आदेश तक यहां कुतुब मीनार परिसर से भगवान गणेश की दो मूर्तियों को नहीं हटाने के आदेश दिए. एक याचिका में कहा गया था कि प्राचीन काल से परिसर में भगवान गणेश की दो मूर्तियां हैं और उन्हें आशंका है कि एएसआई उन्हें केवल कलाकृतियां मानते हुए किसी राष्ट्रीय संग्रहालय में भेज सकता है.

कुतुब मीनार. (फोटोः रॉयटर्स)

दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को अगले आदेश तक यहां कुतुब मीनार परिसर से भगवान गणेश की दो मूर्तियों को नहीं हटाने के आदेश दिए. एक याचिका में कहा गया था कि प्राचीन काल से परिसर में भगवान गणेश की दो मूर्तियां हैं और उन्हें आशंका है कि एएसआई उन्हें केवल कलाकृतियां मानते हुए किसी राष्ट्रीय संग्रहालय में भेज सकता है.

कुतुब मीनार. (फोटोः रॉयटर्स)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को अगले आदेश तक यहां कुतुब मीनार परिसर से भगवान गणेश की दो मूर्तियों को नहीं हटाने के आदेश दिए.

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश निखिल चोपड़ा ने 13 अप्रैल के अपने आदेश में कहा, ‘निर्देश दिया जाता है कि सुनवाई की अगली तारीख तक यथास्थिति बनाई रखी जाए.’

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 अप्रैल की तारीख निर्धारित की है.

न्यायाधीश ने कहा, ‘हालांकि वह एएसआई की इस बात से प्रभावित हैं कि वे इस चरण में मूर्तियों को हटाने पर विचार नहीं कर रहे हैं. एएसआई के वकील ने कहा है कि उसके पास इस बात के कोई निर्देश नहीं हैं कि क्या निकट भविष्य में इन मूर्तियों को हटाए जाने की कोई संभावना है अथवा नहीं, ऐसे में याचिकाकर्ता की चिंता कि एएसआई इन मूर्तियों को एक राष्ट्रीय संग्रहालय में भेज सकती है कि अनदेखी नहीं की जा सकती.’

अदालत ने अधिवक्ता हरिशंकर जैन द्वारा जैन भगवान तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की ओर से दायर वाद में यह आदेश दिया. वाद में दावा किया गया है कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने 27 मंदिर आंशिक तौर पर ध्वस्त किए थे और उसी मलबे से परिसर के अंदर कुवातुल इस्लाम मस्जिद का निर्माण कराया था.

जैन ने कहा कि प्राचीन काल से परिसर में भगवान गणेश की दो मूर्तियां हैं और उन्हें आशंका है कि एएसआई उन्हें केवल कलाकृतियां मानते हुए किसी राष्ट्रीय संग्रहालय में भेज सकता है.

एएसआई ने इस याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि याचिकाकर्ता की आशंकाएं निर्मूल हैं, क्योंकि एएसआई फिलहाल मूर्तियों को कहीं भी हटाने या स्थानांतरित करने पर विचार नहीं कर रहा है.

दो मूर्तियों को ‘उल्टा गणेश’ और ‘पिंजरे में गणेश’ कहा जाता है और 12वीं शताब्दी के स्मारक के परिसर में स्थित हैं, जिसे 1993 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था.

‘उल्टा गणेश’ प्रतिमा परिसर में कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद की दक्षिण-मुखी दीवार का हिस्सा है, जबकि लोहे के पिंजरे में बंद दूसरी मूर्ति जमीनी स्तर के करीब है और उसी मस्जिद का हिस्सा है.

मालूम हो कि हाल ही में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से राजधानी दिल्ली स्थित कुतुबमीनार परिसर में लगी गणेश की इन दो मूर्तियों को हटाने को कहा था.

इस संबंध में पिछले महीने एएसआई को पत्र भेजा गया था, जिसमें राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने कहा था कि मूर्तियों को राष्ट्रीय संग्रहालय में सम्मानजनक स्थान दिया जाना चाहिए, जहां इस तरह की अन्य प्राचीन वस्तुओं को रखा जाता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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