यूपी: क्रिकेट मैच में पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने के आरोपी कश्मीरी छात्र जेल से रिहा

आरोप है कि अक्टूबर 2021 में टी-20 विश्व कप क्रिकेट मैच में पाकिस्तान से भारत के हारने पर आगरा में पढ़ रहे तीन कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी की थी. उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह, साइबर आतंकवाद और सामाजिक द्वेष फैलाने की धाराओं में मुक़दमा दर्ज हुआ था. तब से वे जेल में बंद थे. 30 मार्च को उन्हें ज़मानत मिल गई थी, लेकिन कोई ज़मानतदाता न मिलने के चलते वे रिहा नहीं हो पा रहे थे.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

आरोप है कि अक्टूबर 2021 में टी-20 विश्व कप क्रिकेट मैच में पाकिस्तान से भारत के हारने पर आगरा में पढ़ रहे तीन कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी की थी. उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह, साइबर आतंकवाद और सामाजिक द्वेष फैलाने की धाराओं में मुक़दमा दर्ज हुआ था. तब से वे जेल में बंद थे. 30 मार्च को उन्हें ज़मानत मिल गई थी, लेकिन कोई ज़मानतदाता न मिलने के चलते वे रिहा नहीं हो पा रहे थे.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: तीन कश्मीरी छात्र जो महीने भर पहले राजद्रोह के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद भी जमानतदाता (गारंटर) नहीं मिलने के चलते जेल में बंद थे, आखिरकार सोमवार की शाम जेल से बाहर आ गए.

इनायत अल्ताफ शेख, शौकत अहमद घनी और अर्शिद यूसुफ को पिछले साल 16 अक्टूबर को विश्वकप में पाकिस्तान के हाथों भारत की हार पर कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थित नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, छात्रों को कानूनी सहायता प्रदान कर रहे जम्मू कश्मीर छात्र संघ के प्रवक्ता नासिर खुहमी ने कहा, ‘उन्होंने बहुत कष्ट झेले, आगरा सत्र न्यायालय में मारपीट से लेकर सुनवाई में बार-बार होने वाली देरी का सामना करना पड़ा. आखिरकार, सोमवार को वे रिहा हो गए. गांरटरों के अभाव में रिहाई में देरी हुई.’

बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में टी-20 विश्व कप क्रिकेट मैच में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की हार हो गई थी. आरोप है कि तीनों कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की थी. उनके खिलाफ राजद्रोह, साइबर आतंकवाद और सामाजिक द्वेष फैलाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था. तब से वे जेल में बंद हैं. जनवरी माह में उनके खिलाफ चार्जशीट पेश हुई थी.

पुलिस ने उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना), 505 (1) (बी) (जनता में डर पैदा करने की मंशा रखने वाले) और मैच के बाद ‘भारत के खिलाफ’ वॉट्सऐप पर कथित तौर पर संदेश भेजने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2008 की धारा 66एफ (साइबर आतंकवाद के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया था.

बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस ने एफआईआर में धारा 124-ए (राजद्रोह) भी जोड़ दी थी. ऐसा तब किया गया जब राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने वालों पर राजद्रोह का मुकदमा कायम होगा.

भाजपा के स्थानीय नेताओं की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था. बाद में इन छात्रों को निलंबित कर दिया गया था.

शुरुआत में छात्रों को आगरा में कानूनी सहायता तक पहुंच से वंचित रखा गया था, क्योंकि उनके ऊपर ‘एंटी-नेशनल’ होने का ठप्पा लगा था, इसलिए वकील कथित तौर पर उनकी पैरवी करने से इनकार कर रहे थे.

इसके बाद छात्रसंघों और स्वयंसेवकों ने मथुरा में उनके लिए कानूनी मदद का इंतजाम किया. तीनों मामले को आगरा से मथुरा स्थानांतरित कराने के लिए कोर्ट भी गए.

द वायर  ने छात्रों के परिवारों द्वारा बार-बार मानवीय आधार पर जमानत दिए जाने की अपील करने के संबंध में भी रिपोर्ट की थी. छात्रों के खिलाफ राजद्रोह के आरोप और उनकी कैद ने विश्व भर में सुर्खियां बटोरी थीं.

वहीं, तीनों को जमानत देने के अपने आदेश में न्यायाधीश अजय भनोट ने कहा था कि अदालत सीधे जमानत आवेदन पर विचार कर रही है, जो एक ‘असाधारण परिस्थिति’ है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 मार्च को तीनों को ज़मानत दी थी.