कोई दल नहीं, बल्कि कुछ तत्व देश में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं: अल्पसंख्यक आयोग प्रमुख

विभिन्न शहरों में दो समुदायों के बीच हालिया हिंसक झड़पों पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख इकबाल सिंह लालपुरा ने कहा कि कोई राजनीतिक दल नहीं, बल्कि कुछ लोग देश में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे लोगों की पहचान की जानी चाहिए और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए. हालांकि उन्होंने पंजाब के पटियाला में बीते दिनों हुई हिंसक झड़प पर कहा कि राज्य सरकार इसे रोक सकती थी.

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इकबाल सिंह लालपुरा. (फोटो साभार: फेसबुक)

विभिन्न शहरों में दो समुदायों के बीच हालिया हिंसक झड़पों पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख इकबाल सिंह लालपुरा ने कहा कि कोई राजनीतिक दल नहीं, बल्कि कुछ लोग देश में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे लोगों की पहचान की जानी चाहिए और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए. हालांकि उन्होंने पंजाब के पटियाला में बीते दिनों हुई हिंसक झड़प पर कहा कि राज्य सरकार इसे रोक सकती थी.

इकबाल सिंह लालपुरा. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: विभिन्न राज्यों में दो समुदायों के बीच हालिया हिंसक झड़पों के संदर्भ में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) ने बुधवार को कहा कि कोई राजनीतिक दल नहीं, बल्कि कुछ लोग देश में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं. आयोग ने कानून प्रवर्तन अधिकारियों से उनकी पहचान करने और ‘साजिश’ का पता लगाने के लिए कहा.

आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘मैं किसी भी राजनीतिक दल को दोष नहीं दूंगा, लेकिन इन झड़पों के लिए मैं निश्चित रूप से कुछ तत्वों, कुछ लोगों को दोष दूंगा. वे किसी छिपे हुए मकसद से शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी पहचान की जानी चाहिए, उनकी साजिशों का खुलासा किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.’

हाल ही में पंजाब के पटियाला जिले में दो समूहों के बीच हिंसक झड़प पर लालपुरा ने कहा कि राज्य सरकार इसे रोक सकती थी. उन्होंने कहा, ‘जब तक राज्य सरकार की रिपोर्ट नहीं आती है, हम केवल मीडिया की खबरों पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘पटियाला की घटना पंजाब सरकार की अपराध को रोकने में एक स्पष्ट विफलता थी, जो कानून व्यवस्था बनाए रखने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है. कुछ कमी राज्य सरकार की ओर से थी.’

लालपुरा ने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग ने हाल में हुई हिंसा की सभी घटनाओं का संज्ञान लिया है और पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, गुजरात और बिहार सहित राज्य सरकारों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

मालूम हो कि बीते 10 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर​ हिंदुत्ववादी संगठन की ओर से निकले गए जुलूसों के दौरान गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की खबरें आई थीं.

राजस्थान के जोधपुर में हाल ही में हुई सांप्रदायिक झड़प पर सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को इस घटना की जांच सुनिश्चित करने को कहा है, ताकि शांति भंग करने की साजिश का पता चले और इसमें शामिल लोगों को न्याय के कठघरे में लाया जा सके.

उन्होंने कहा, ‘अपराधियों का कोई धर्म नहीं होता.’

मध्य प्रदेश में गोहत्या के आरोप में दो लोगों की पीट-पीट कर हत्या करने की मीडिया में आई खबर पर संज्ञान लेते हुए अल्पसंख्यक आयोग प्रमुख ने कहा कि आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर घटना की रिपोर्ट तलब की है.

लालपुरा ने कहा कि उन्होंने आयोग के अन्य सदस्यों के साथ हाल ही में दिल्ली में हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके का दौरा किया था.

उन्होंने कहा, ‘हमने संबंधित पक्ष से मुलाकात की. वे वहां बहुत खुशी से रह रहे हैं. मुसलमान कहते हैं कि वे हिंदुओं के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जबकि हिंदू कहते हैं कि वे मुसलमानों के ईद और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं.’

उन्होंने कहा कि जहांगीरपुरी में हुई हिंसा की घटना में कुछ बदमाश शामिल थे और मांग की कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. हमने दिल्ली पुलिस आयुक्त से (जहांगीरपुरी हिंसा पर) रिपोर्ट मांगी है.

मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर उठ रहे विवाद के जवाब में आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि ध्वनि नियंत्रण से संबंधित कानून लागू किया जाना चाहिए.

लालपुरा ने कहा, ‘अज़ान तो होनी ही चाहिए. लेकिन ध्वनि प्रदूषण का एक मुद्दा भी है. मेरा व्यक्तिगत विश्वास है कि देश के कानून का पालन किया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी धार्मिक समुदाय का हो और लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, चाहे वे धार्मिक स्थानों पर हों या बाजार, रेस्तरां या कहीं और.’

उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में भाजपा शासित नगर निकायों द्वारा चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान का भी समर्थन करते हुए कहा, ‘यह नई चीजों को बनाने, चीजों को सुधारने और अवैध अतिक्रमणों को हटाने की प्रक्रिया है, किसी को दंडित करने की नहीं.’

मालूम हो कि बीते 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर निकाले गए ऐसे ही एक जुलूस के दौरान राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें आठ पुलिसकर्मी और एक स्थानीय निवासी घायल हो गया था.

हिंसा की घटना के बाद बीते 20 अप्रैल को भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) द्वारा इस इलाके अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया था, जिस पर विवाद खड़ा हो गया था.

आरोप है कि अभियान के तहत आरोपियों के कथित अवैध निर्माणों को तोड़ा जा रहा था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं रोकी गई थी. कुछ घंटे बाद जब याचिकाकर्ता के वकील वापस शीर्ष अदालत पहुंचे, तब तोड़-फोड़ की कार्रवाई रुकी थी.

इसके बाद 21 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनडीएमसी के तोड़फोड़ अभियान पर दो हफ्ते की रोक लगा दी थी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह 20 अप्रैल को हुई तोड़फोड़ की कार्रवाई का संज्ञान लेगा, जो निगम को उसके आदेश से अवगत कराए जाने के बाद भी जारी रही थी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, लालपुरा ने कहा, ‘जहां तक ​​​​अल्पसंख्यकों को असुरक्षित महसूस करने का सवाल है, उनकी सुरक्षा के लिए आयोग मौजूद है. उनकी शैक्षिक और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने के लिए.’

उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल से 2 मई तक आयोग को 123 याचिकाएं मिलीं, जिनमें से नौ का निपटारा कर दिया गया है और 18 अन्य में रिपोर्ट मांगी गई है.

आयोग को 2021-22 में 2,076 याचिकाएं मिलीं, जिनमें से 1,492 का निपटारा कर दिया गया. 2020-21 में 1,463 मामले, जिनमें से 1,272 मामलों का निपटारा किया गया और 2019-2020 में 1670 मामले, जिनमें से 1,600 मामलों का निपटारा किया गया.

आयोग अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं की निगरानी भी करता है. लालपुरा के अनुसार, 2021-22 में 86,01,023 आवेदकों में से 56,50,832 को प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति दी गई. उन्होंने कहा कि 19,47,411 आवेदकों में से 7,03,346 को इसी अवधि में पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति प्रदान की गई.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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