दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश, इतिहासकार विक्रम संपत के ख़िलाफ़ मानहानिकारक सामग्री हटाए ट्विटर

रटगर्स यूनिवर्सिटी की इतिहासकार ऑड्रे ट्रुशके और अमेरिका में भारत के दो अन्य इतिहासकारों- जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर अनन्या चक्रवर्ती और सांता क्लारा यूनिवर्सिटी के रोहित चोपड़ा ने हिंदुत्व विचारक सावरकर की दो खंड की जीवनी के लेखक विक्रम संपत पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगाया है.

विक्रम संपत. (फोटो साभार: फेसबुक)

रटगर्स यूनिवर्सिटी की इतिहासकार ऑड्रे ट्रुशके और अमेरिका में भारत के दो अन्य इतिहासकारों- जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर अनन्या चक्रवर्ती और सांता क्लारा यूनिवर्सिटी के रोहित चोपड़ा ने हिंदुत्व विचारक सावरकर की दो खंड की जीवनी के लेखक विक्रम संपत पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगाया है.

विक्रम संपत. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्विटर को साहित्यिक चोरी के आरोपों को लेकर इतिहासकार विक्रम संपत के खिलाफ इतिहासकार डॉ. ऑड्रे ट्रुशके द्वारा पोस्ट किए गए कुछ मानहानिकारक ट्वीट को हटाने का निर्देश दिया है.

ट्वीट हटाने के अनुरोध वाली संपत की याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस अमित बंसल ने कहा कि ट्वीट मानहानिकारक प्रकृति के हैं और इनमें ‘उन्हीं पत्रों’ के लिंक हैं, जिनके प्रकाशन पर पूर्व में अदालत द्वारा रोक लगाई गई थी. उन्होंने कहा कि वादी की ओर से प्रथमदृष्टया मामला बनता है.

संपत का आवेदन विनायक दामोदर सावरकर पर उनके काम के संबंध में उन पर लगाए गए साहित्यिक चोरी के आरोपों पर ट्रुशके और अन्य के खिलाफ उनके मानहानि के मुकदमे का हिस्सा है.

अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ पारित अंतरिम आदेशों के बावजूद ट्रुशके ने ट्विटर पर ‘वादी के खिलाफ अपमानजनक सामग्री पोस्ट करना जारी रखा’ और उसके सामने पेश होने में विफल रहीं.

अदालत ने दो मई के अपने आदेश में कहा, ‘प्रथमदृष्टया वादी की ओर से मामला बनता है… इस तथ्य को देखते हुए कि प्रतिवादी संख्या-1 (ट्रुशके) इस अदालत में पेश नहीं हुई हैं और उसकी कार्यवाही में शामिल नहीं हो रही हैं, प्रतिवादी संख्या-4/ट्विटर को निर्देश दिया जाता है कि वह मौजूदा याचिका में अनुरोध ‘ए’ में उल्लेखित ट्वीट को हटाए.’

अदालत ने कहा, ‘मेरे विचार में, वर्तमान आवेदन की विषय वस्तु के संबंध में ट्वीट की प्रकृति मानहानिकारक हैं और उक्त ट्वीट में उन्हीं पत्रों के संदर्भ में एक लिंक पोस्ट किया गया है, जिसके प्रकाशन पर इस न्यायालय द्वारा 18 फरवरी 2022 और 24 फरवरी 2022 के आदेश द्वारा रोक लगाई गई थी.’

अदालत ने ट्रुशके को याचिका पर अपना जवाब दायर करने के लिये चार हफ्ते का समय भी दिया.

अदालत ने 18 फरवरी को शिक्षाविद् ट्रुशके, डॉ. अन्नया चक्रबर्ती, डॉ. रोहित चोपड़ा और अन्य के खिलाफ पारित अंतरिम आदेश में कोई भी मानहानिकारक सामग्री और लंदन स्थित रॉयल हिस्टोरिकल सोसाइटी को लिखे गए उस पत्र के प्रकाशन पर सोमवार को रोक लगा दी थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि इतिहासकार विक्रम संपत ने विनायक दामोदर सावरकर पर अपनी कृति में साहित्यिक चोरी की है.

इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.

बीते 24 फरवरी को भी अदालत ने ट्विटर को ट्रुशकेे द्वारा किए गए कई ट्वीट्स को हटाने का निर्देश दिया था.

याचिका में वादी विक्रम संपत ने कहा है कि वह विनायक दामोदर सावरकर की समीक्षकों द्वारा प्रशंसित जीवनी के लेखक हैं और लंदन में रॉयल हिस्टोरिकल सोसाइटी के एक फेलो भी हैं, लेकिन कुछ प्रतिवादियों ने दो खंडों की जीवनी के संबंध में साहित्यिक चोरी के गंभीर आरोप लगाते हुए सोसायटी को पत्र लिखा था.

मालूम हो कि रटगर्स यूनिवर्सिटी की इतिहासकार ट्रुशके और अमेरिका में भारत के दो अन्य इतिहासकारों- जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर अनन्या चक्रवर्ती और सांता क्लारा यूनिवर्सिटी के रोहित चोपड़ा ने हिंदुत्व विचारक सावरकर की दो खंड की जीवनी के लेखक विक्रम संपत पर साहित्यिक चोरी (Plagiarism) का आरोप लगाया है.

इन तीनों शिक्षाविदों ने 2017 में संपत पर प्रकाशित सावरकर के लेखों में से एक में कई वाक्यों की ओर इशारा कर कहा कि इन वाक्यों को या तो सीधे शब्दशः उठा लिया गया है या उनमें बिना किसी संपादन के दोबारा रखा गया है.

द वायर ने अपनी रिपोर्ट में इन कथित समानताओं का तुलनात्मक विश्लेषण किया है. द वायर  को भेजे ईमेल में संपत ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि उन्होंने अपने काम में सभी का विधिवत आभार जताया है.

उन्होंने इस पत्र को ‘अपमानजनक’ बताते हुए कहा था कि वह इसके कंटेंट की रिपोर्टिंग को लेकर द वायर  सहित सभी संबंधित पक्षों के खिलाफ जल्द ही कानूनी कार्रवाई करेंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)