सरकार ने शिपिंग कॉरपोरेशन की बिक्री की तैयारी की, सितंबर तक बोलियां आमंत्रित करने की संभावना

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर, 2020 में शिपिंग कॉरपोरेशन के रणनीतिक विनिवेश या निजीकरण को सैद्धांतिक मंज़ूरी दी थी. शिपिंग कॉरपोरेशन का निजीकरण अब चालू वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है. सरकार ने 2022-23 में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर, 2020 में शिपिंग कॉरपोरेशन के रणनीतिक विनिवेश या निजीकरण को सैद्धांतिक मंज़ूरी दी थी. शिपिंग कॉरपोरेशन का निजीकरण अब चालू वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है. सरकार ने 2022-23 में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सरकार शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) की बिक्री के लिए संभवत: सितंबर तक वित्तीय बोलियां आमंत्रित करेगी. एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि कंपनी की गैर-प्रमुख संपत्तियों को अलग करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वित्तीय बोलियां मंगाई जाएंगी.

रणनीतिक बिक्री प्रक्रिया के तहत सरकार शिपिंग हाउस और प्रशिक्षण संस्थान सहित शिपिंग कॉरपोरेशन की कुछ गैर-प्रमुख संपत्तियों को अलग कर रही है.

अधिकारी ने कहा, ‘गैर-प्रमुख संपत्तियों को अलग करने की प्रक्रिया काफी समय लेती है. हम तीन-चार माह में वित्तीय बोलियां मंगाने की स्थिति में होंगे.’

शिपिंग कॉरपोरेशन के निदेशक मंडल की पिछले सप्ताह हुई बैठक में कंपनी की गैर-प्रमुख संपत्तियों को शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लैंड एंड एसेट्स लि. (एससीआईएलएएल) को स्थानांतरित करने की अद्यतन योजना को मंजूरी दी गई. इनमें मुंबई का शिपिंग हाउस और पवई का मैरिटाइम ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट भी शामिल है.

कंपनी ने सोमवार को बीएसई को भेजी सूचना में कहा कि उसके निदेशक मंडल ने गैर-प्रमुख संपत्तियों को एससीआईएलएएल में स्थानांतरित करने की योजना में कुछ बदलावों को मंजूरी दे दी है.

इन संशोधनों पर पत्तन, पोत-परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय तथा दीपम विभाग की मंजूरी ली जाएगी.

शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के बही-खाते के अनुसार, उसकी गैर-प्रमुख संपत्तियों का मूल्य 31 मार्च, 2022 तक 2,392 करोड़ रुपये था.

कॉरपोरेशन के निदेशक मंडल ने कंपनी की गैर-प्रमुख संपत्तियों को अलग करने की योजना को पिछले साल अगस्त में मंजूरी दी थी. उसके बाद नवंबर, 2021 में एससीआईएलएएल का गठन किया गया था.

बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने अप्रैल, 2022 में शिपिंग कॉरपोरेशन को गैर-प्रमुख संपत्तियों को अलग करने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने को कहा है.

पिछले साल मार्च में सरकार को शिपिंग कॉरपोरेशन के निजीकरण के लिए कई बोलियां मिली थीं.

निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने दिसंबर, 2020 में कंपनी में सरकार की समूची 63.75 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए थे. हिस्सेदारी बिक्री के साथ ही कंपनी का प्रबंधन भी स्थानांतरित किया जाना है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर, 2020 में शिपिंग कॉरपोरेशन के रणनीतिक विनिवेश को सैद्धान्तिक मंजूरी दी थी.

शिपिंग कॉरपोरेशन का निजीकरण अब चालू वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है. सरकार ने 2022-23 में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.

मालूम हो कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के अपने बजट भाषण में कहा था कि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल लिमिटेड, पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड सहित कई विनिवेश कार्यक्रम 2021-22 में पूरे हो जाएंगे.

सरकार ने 2021-22 के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा था.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-22 में सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसई) नीति पेश करते हुए कहा था कि चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों की सरकारी कंपनियों का विनिवेश किया जाएगा. यह नीति रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में विनिवेश की स्पष्ट रूपरेखा पेश करेगी.

उन्होंने कहा था कि अगले वित्त वर्ष में आईडीबीआई बैंक, बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, नीलाचल इस्पात निगम लि. और अन्य कंपनियों का विनिवेश किया जाएगा. इसके अलावा एलआईसी के आईपीओ के लिए विधायी संशोधन भी 2021-22 में लाए जाएंगे.

बता दें कि पिछले 10 फरवरी को महापत्तन प्राधिकरण विधेयक 2020 को राज्यसभा में पारित कर दिया गया. यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है.

विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार इस विधेयक के जरिये बंदरगाहों को निजी हाथों में सौंपना चाहती है, क्योंकि इसमें बंदरगाहों के प्रबंधन के लिए 13 सदस्यीय बोर्ड का प्रस्ताव किया गया है, जिसके सात सदस्य गैर-सरकारी होंगे. ऐसी स्थिति में निर्णय लेने का अधिकार निजी क्षेत्र को मिल जाएगा और इससे देश की सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है.

हालांकि सरकार ने बंदरगाहों के निजीकरण के आरोप को इनकार किया और कहा कि बंदरगाहों को पीपीपी मॉडल (सार्वजनिक निजी भागीदारी) के तहत विकसित करने का फैसला किया है और इसी प्रक्रिया के तहत कोलकाता बंदरगाह का कायाकल्प किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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