बीते आठ मई को अनंतनाग के मट्टन में आठवीं शताब्दी के संरक्षित मार्तंड सूर्य मंदिर के खंडहरों में हुई पूजा-अर्चना में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भाग लिया था. नियमों के अनुसार, केंद्र सरकार की लिखित अनुमति के बिना किसी संरक्षित स्मारक में बैठकें, स्वागत, दावत, मनोरंजन या सम्मेलन आयोजित नहीं किए जा सकते. हालांकि प्रशासन की ओर से कहा गया है कि उपराज्यपाल को अनुमति की ज़रूरत नहीं.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा अनंतनाग के मट्टन में आठवीं शताब्दी के संरक्षित मार्तंड सूर्य मंदिर के खंडहरों में हुई पूजा-अर्चना में भाग लेने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इसे लेकर चिंता जताई है.
संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करने वाले एएसआई इस संरक्षित स्मारक का संरक्षक है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि अनंतनाग में उसके द्वारा संरक्षित मार्तंड सूर्य मंदिर परिसर में आयोजित ‘पूजा’ नियमों का उल्लंघन है, जिसमें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा शामिल हुए थे. अधिकारियों ने कहा कि मुद्दा केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के समक्ष उठाया गया है.
हालांकि एएसआई द्वारा चिंता जताए जाने के बाद प्रशासन की ओर से कहा गया है कि उसके द्वारा संरक्षित मंदिर में पूजा के लिए उपराज्यपाल को किसी अनुमति की जरूरत नहीं.
अनंतनाग जिले के उपायुक्त डॉ. पीयूष सिंघला ने कहा कि कार्यक्रम को प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल व अवशेष अधिनियम-1959 के नियम 7(2) के तहत इजाजत थी.
बीते आठ मई को सिन्हा के प्राचीन मंदिर परिसर में ‘नवग्रह अष्टमंगलम पूजा’ में भाग लेने के एक दिन बाद एएसआई के अधिकारियों ने कहा कि इस पूजा के लिए संरक्षण निकाय से कोई अनुमति नहीं ली गई थी.
पूजा-अर्चना कार्यक्रम के लिए लिए केंद्रशासित प्रदेश के बाहर से पुजारियों को बुलाया गया था.
एएसआई के एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, ‘हमने अपनी चिंता जिला प्रशासन के समक्ष रखी है. उन्हें संदेश भेजा गया है कि यह हमारे नियमों का उल्लंघन है. पूजा के लिए हमसे कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी. उपराज्यपाल ने मंदिर के अंदर नहीं, बल्कि इसके बाहर पूजा-अर्चना की, हालांकि वह भी नियमों का उल्लंघन है.’
अधिकारी ने कहा कि एएसआई ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिला प्रशासन को अपनी नाराजगी से अवगत कराया है और इस मुद्दे पर चिंता जताई है.
प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1959 के नियम 7 (1) में कहा गया है कि केंद्र सरकार की लिखित अनुमति के बिना किसी संरक्षित स्मारक में बैठकें, स्वागत, दावत, मनोरंजन या सम्मेलन आयोजित नहीं किए जा सकते.
नियम 7 (2) कहता है कि यह ‘किसी मान्यता प्राप्त धार्मिक प्रथा या प्रथा के अनुसरण में’ आयोजित होने वाले किसी भी कार्यक्रम पर लागू नहीं होना चाहिए.
अधिकारियों ने कहा कि नियमों के अनुसार, यदि कोई स्थल संरक्षण निकाय के अधिकार क्षेत्र में आने के समय पूजा-अर्चना का एक कार्यात्मक स्थान था, तो वह पूजा स्थल बना रहेगा.
अधिकारियों ने कहा कि हालांकि, मार्तंड सूर्य मंदिर ऐसा स्थल नहीं है, इसलिए अनुमति की जरूरत थी.
ऐसे संरक्षित स्थल जो एएसआई के कार्यभार संभालने के समय पूजा स्थल थे, उनमें जामिया मस्जिद, श्रीनगर और फतेहपुर सीकरी मस्जिद शामिल हैं.
आठवीं शताब्दी का मार्तंड मंदिर भारत के सबसे पुराने सूर्य मंदिरों में से एक है और अमूल्य प्राचीन आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है.
Government is committed to protect and develop ancient sites of cultural & religious significance, transforming them into vibrant centers that will guide us on the path of righteousness and blesses this beautiful land with peace, happiness and prosperity.
— Manoj Sinha (@manojsinha_) May 9, 2022
बीते आठ मई को सिन्हा पूजा में शामिल हुए थे जो संतों, कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों और स्थानीय निवासियों की उपस्थिति में आयोजित की गई थी. उपराज्यपाल ने इस आयोजन को एक ‘दिव्य अनुभव’ करार दिया था.
इस अवसर पर सिन्हा ने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के प्राचीन स्थलों की रक्षा एवं विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई. बाद में सिन्हा ने मंदिर में विभिन्न सुविधाओं की समीक्षा की. इस दौरान क्षेत्र की पर्यटन क्षमता के दोहन पर भी चर्चा हुई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में यह मंदिर में आयोजित होने वाला दूसरा धार्मिक समारोह है.
बीते छह मई को 100 से अधिक हिंदू तीर्थयात्रियों ने इस संरक्षित मंदिर के अवशेषों में कुछ घंटों के लिए पूजा-अर्चना की थी. तीर्थयात्री अवशेषों के बीच एक पत्थर के मंच पर बैठे और हिंदू धर्मग्रंथों का पाठ किया था.
इस दल के नेता महाराज रुद्रनाथ अनहद महाकाल ने बताया था कि उन्होंने जिला अधिकारियों को मंदिर में पूजा करने की अपनी योजना के बारे में ईमेल किया था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)