नागपुर: अंडा सेल के पास सीसीटीवी कैमरा लगाने के ख़िलाफ़ जीएन साईबाबा ने भूख हड़ताल की धमकी दी

माओवादी संबंधों के लिए नागपुर केंद्रीय जेल में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा के अंडा सेल के सामने शौचालय और स्नान क्षेत्र की फुटेज रिकॉर्ड करने के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे के विरोध में उनकी पत्नी और भाई ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में उनकी निजता के हनन का हवाला देते हुए कैमरे हटाने की मांग की गई है.

GN Saibaba PTI
जीएन साईबाबा. (फाइल फोटो: पीटीआई)

माओवादी संबंधों के लिए नागपुर केंद्रीय जेल में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा के अंडा सेल के सामने शौचालय और स्नान क्षेत्र की फुटेज रिकॉर्ड करने के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे के विरोध में उनकी पत्नी और भाई ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में उनकी निजता के हनन का हवाला देते हुए कैमरे हटाने की मांग की गई है.

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जीएन साईबाबा. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में नागपुर शहर की एक जेल में माओवादी संबंधों के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा ने शौचालय और नहाने के क्षेत्र की फुटेज रिकॉर्ड करने के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे के विरोध में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाने की धमकी दी है.

उनकी पत्नी और भाई ने बीते शनिवार को राज्य के गृह मंत्री को पत्र लिखकर सीसीटीवी कैमरे को हटाने की मांग की है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साईबाबा फिलहाल नागपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं. इससे पहले उनके वकील ने आरोप लगाया था कि जेल अधिकारियों ने उन्हें प्लास्टिक की पानी की बोतल देने से इनकार कर दिया था.

शनिवार को अपने पत्र में साईंबाबा की पत्नी वसंता कुमारी और उनके भाई जी. रामदेवुदु ने लिखा, ‘मंगलवार (10/05/2022) को जेल अधिकारियों ने उनके अंडा सेल के सामने एक वाइड-एंगल सीसीटीवी कैमरा लगाया है, जो टॉयलेट और नहाने की जगह सहित पूरे सेल के वीडियो को कैप्चर कर सकता है. इसलिए वह पेशाब के लिए शौचालय और कैमरे के सामने स्नान भी नहीं कर सकते, क्योंकि कैमरा 24×7 घंटे सब कुछ का रिकॉर्ड करता है.’

पत्र में सवाल उठाया गया कि अब जीएन साईंबाबा ऐसे हालात में कैसे रह सकते हैं?

उन्होंने लिखा गया है, ‘उनकी मदद करने वाले भी इस कैमरे से भयभीत हैं, क्योंकि वे लगातार कैमरे के सामने आते हैं. यह स्पष्ट रूप से उन्हें डराने और अपमानित करने के लिए है. यह उनकी निजता का हनन करने का एक जरिया है.’

पत्र के अनुसार, ‘उसकी निजता, जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार खतरे में है, क्योंकि वह शौचालय का उपयोग या स्नान नहीं कर सकते हैं, या कैमरे के सामने कपड़े नहीं बदल सकते हैं, जो न सिर्फ 24 घंटे चल रहा है, बल्कि सब कुछ रिकॉर्ड भी कर रहा है और इस रिकॉर्डिंग को जेल अधीक्षक के कार्यालय में लगातार देखा जा रहा है.’

उनके परिवार ने कहा कि कैदी कहीं आने-जाने (गतिशीलता) के अधिकार और कुछ अन्य को छोड़कर सभी संवैधानिक अधिकारों के हकदार हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘इन तनावपूर्ण परिस्थितियों में जब तक कैमरा हटा नहीं दिया जाता है, उन्होंने अनिश्चितकाल के लिए भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.’

पत्र के अनुसार, डॉ. जीएन साईबाबा दो दिनों के भीतर नागपुर केंद्रीय जेल में भूख हड़ताल शुरू करने की योजना बना रहे हैं.

उन्होंने कहा कि साईंबाबा पहले से ही हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (हृदय की समस्या), हाई ब्लड प्रेशर, पक्षाघात, रीढ़ संबंध बीमारी, हॉर्न सेल रोग, पैंक्रियाटाइटिस के साथ-साथ मस्तिष्क में सिस्ट सहित विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं.

पत्र में साईबाबा के उनके परिजनों ने कहा, ‘हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप तत्काल कार्रवाई करें और उन्हें गोपनीयता, गरिमा प्रदान करें तथा नागपुर केंद्रीय जेल में संबंधित व्यक्तियों को सीसीटीवी कैमरों को हटाने का निर्देश दें, जो उनकी गोपनीयता को दांव पर लगा रहे हैं.’

पत्र में साईबाबा के स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के लिए आवश्यक उचित इलाज प्रदान करने, उनकी पात्रता के अनुसार उन्हें पैरोल देने और उन्हें उचित दवा और आवश्यक चिकित्सा सहायता प्राप्त करने में सक्षम बनाने (जो नागपुर में उपलब्ध नहीं है) की मांग की गई है.

बता दें कि अक्टूबर 2020 में साईबाबा ने जेल में भूख हड़ताल की थी, जब कथित तौर पर जेल प्रबंधन ने उन्हें महीने भर तक किताबें, कपड़े और दवाएं देने से इनकार कर दिया था.

साईबाबा 90 फीसदी से अधिक शारीरिक तौर पर अक्षम हैं और ह्वीलचेयर पर रहते हैं. उन्हें 2017 में माओवादियों से संपर्क रखने और माओवादी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्र अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी.

उन पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप थे. अदालत ने साईबाबा और अन्य को कठोर गैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत सजा सुनाई थी.

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