उत्तर प्रदेश में अब किसी नए मदरसे को नहीं मिलेगा सरकारी अनुदान

उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने बताया कि अब प्रदेश के किसी भी अन्य मदरसे को अनुदान सूची में शामिल नहीं किया जाएगा, लेकिन जिन मदरसों को वर्तमान में सरकारी अनुदान प्राप्त हो रहा है उन्हें यह मिलता रहेगा. उन्होंने कहा कि हम मौजूदा मदरसों की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रहे हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने बताया कि अब प्रदेश के किसी भी अन्य मदरसे को अनुदान सूची में शामिल नहीं किया जाएगा, लेकिन जिन मदरसों को वर्तमान में सरकारी अनुदान प्राप्त हो रहा है उन्हें यह मिलता रहेगा. उन्होंने कहा कि हम मौजूदा मदरसों की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रहे हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब किसी भी नए मदरसे को सरकारी अनुदान नहीं दिया जाएगा. राज्य मंत्रिमंडल ने यह फैसला किया है.

प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बुधवार को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला किया गया है.

उन्होंने बताया कि अब प्रदेश के किसी भी अन्य मदरसे को अनुदान सूची में शामिल नहीं किया जाएगा, लेकिन जिन मदरसों को वर्तमान में सरकारी अनुदान प्राप्त हो रहा है, उन्हें यह मिलता रहेगा.

अंसारी ने इस फैसले के कारण के बारे में पूछे जाने पर बताया कि प्रदेश में इस वक्त 560 मदरसों को सरकारी अनुदान प्राप्त हो रहा है. यह एक बड़ा ढांचा है. पहले उसे बेहतर बनाने की जरूरत है.

सरकार का ध्यान मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर है, इसीलिए अब इस सूची में किसी नए मदरसे को शामिल नहीं किया जाएगा.

इस सवाल पर कि क्या भविष्य में इस रोक को हटाया भी जा सकता है, अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री ने कहा, ‘अभी तो यही है, बाद की बाद में देखी जाएगी.’

गौरतलब है कि राज्य में कुल 16461 मदरसे हैं, जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान प्राप्त हो रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, दानिश आजाद अंसारी ने कहा, ‘हमारा विचार संख्या की तुलना में गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना है. हमारे पास पहले से ही 558 सहायता प्राप्त मदरसे हैं. हर जिले में कम से कम तीन सहायता प्राप्त मदरसे हैं. राज्य में कुल 16,000 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जिनमें से लगभग 7,000 में आधुनिक शिक्षा शुरू की गई है. इसलिए इंफ्रास्ट्रक्चर की कोई कमी नहीं है. अब, हम मौजूदा मदरसों की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रहे हैं.’

अंसारी ने कहा, ‘हम अपने छात्रों की बेहतरी के लिए निर्णय लेते रहते हैं. यह भी एक ऐसा ही निर्णय है.’

सूत्रों ने बताया कि 2013 में समाजवादी पार्टी की सरकार ने 146 मान्यता प्राप्त मदरसों को सहायता प्राप्त सूची में शामिल किया था. अगले दो शैक्षणिक वर्षों में 100 मदरसों को सरकारी अनुदान सूची में शामिल किया गया और शेष 46 पर निर्णय तब से लंबित है.

इस बीच, राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने मदरसों को अनाप-शनाप मान्यता देकर उन्हें अनुदान सूची में शामिल किया, मगर वे गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं दे पा रहे थे.

उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सपा और बसपा की सरकारों ने अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए उनके मदरसों को अनुदान सूची में शामिल किया, मगर इससे मदरसा शिक्षा का कोई भला नहीं हुआ.

गौरतलब है कि यूपी सरकार का यह फैसला राज्य के सभी मदरसों में राष्ट्रगान गाना अनिवार्य करने के कुछ दिनों बाद आया है.

उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों में बीते 12 मई से राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का गायन अनिवार्य कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार ने नौ मई को सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को इस आशय का आदेश जारी किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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