सुप्रीम कोर्ट ने शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में सपा नेता आज़म ख़ान को अंतरिम ज़मानत दी

इस संबंध में दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि 13.842 हेक्टेयर की विवादित ज़मीन इमामुद्दीन क़ुरैशी नाम के व्यक्ति की थी, जो देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए और भारत की नागरिकता छोड़कर पाकिस्तान की नागरिकता ले ली. उनकी ज़मीन को शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था, लेकिन सपा नेता ख़ान ने अन्य लोगों की मिलीभगत से उस भूखंड पर क़ब्ज़ा कर लिया था.

आजम खान. (फोटो साभार: एएनआई)

इस संबंध में दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि 13.842 हेक्टेयर की विवादित ज़मीन इमामुद्दीन क़ुरैशी नाम के व्यक्ति की थी, जो देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए और भारत की नागरिकता छोड़कर पाकिस्तान की नागरिकता ले ली. उनकी ज़मीन को शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था, लेकिन सपा नेता ख़ान ने अन्य लोगों की मिलीभगत से उस भूखंड पर क़ब्ज़ा कर लिया था.

समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने धोखाधड़ी के एक मामले में जेल में कैद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को बृहस्पतिवार को अंतरिम जमानत दे दी.

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उसे (न्यायालय को) मिले विशेषाधिकार का उपयोग करने के लिए यह एक उपयुक्त मामला है.

जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने खान को दो सप्ताह के भीतर नियमित जमानत के लिए याचिका दायर करने का निर्देश दिया तथा निचली अदालत से कहा कि वह शीर्ष न्यायालय की किसी भी टिप्पणी से प्रभावित हुए बगैर याचिका के गुण-दोष के आधार पर इस पर निर्णय करे.

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि नियमित जमानत के लिए याचिका पर फैसला आने तक खान अंतरिम जमानत पर रहेंगे.

पीठ ने कहा, ‘संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेषाधिकार का उपयोग करने के लिए यह एक उपयुक्त मामला है और याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत दी जाती है.’

आजम खान उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में जमीन हड़पने सहित कई अन्य मामलों में सीतापुर जेल में कैद हैं.

संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट के अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने और अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामलों में पूर्ण न्याय करने के लिए आदेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है.

इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने खान की जमानत याचिका का विरोध करते हुए उन्हें ‘भूमि कब्जा करने वाला’ और ‘आदतन अपराधी’ बताया था.

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने न्यायालय से कहा था कि खान ने जमीन हड़पने के मामले में जांच अधिकारी को कथित रूप से धमकी दी थी.

शीर्ष न्यायालय ने 17 मई को मामले पर सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

न्यायालय ने इससे पहले खान की जमानत अर्जी पर सुनवाई में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि यह न्याय का मजाक उड़ाने जैसा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय परियोजना के लिए शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में खान की जमानत याचिका पर पांच मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

हालांकि बीते 10 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान को मंगलवार को अंतरिम जमानत दे दी थी.

अदालत ने जमानत याचिका स्वीकार करते हुए कहा था कि जमानत किसी भी आरोपी का अधिकार है और जेल अपवाद है, इसलिए मानवीय आधार पर यह अदालत याचिकाकर्ता के खराब होते स्वास्थ्य, बढ़ती आयु और जेल में बिताई अवधि को ध्यान में रखते हुए कुछ शर्तों के साथ जमानत की अर्जी मंजूर करती है.

एफआईआर में यह आरोप लगाया गया था कि 13.842 हेक्टेयर की विवादित जमीन इमामुद्दीन कुरैशी नाम के व्यक्ति की थी जो देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए और भारत की नागरिकता छोड़कर पाकिस्तान की नागरिकता ले ली. उनकी जमीन को शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था, लेकिन खान ने अन्य लोगों की मिलीभगत से भूखंड पर कब्जा कर लिया.

इसके बाद खान और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर शत्रु संपत्ति हड़पने और करोड़ों रुपये से अधिक के सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी.

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान रोकथाम कानून के तहत रामपुर के अजीम नगर थाने में खान और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले द वायर  ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि आजम खान के खिलाफ 87 आपराधिक मामले लंबित हैं. इनमें से 84 एफआईआर साल 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद के दो वर्षों में दर्ज की गई थीं. इन 84 मामलों में से 81 मामले 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले और बाद की अवधि के दौरान दर्ज किए गए थे.

आजम खान के समर्थकों का मानना है कि ये एफआईआर उन्हें अनिश्चित काल तक जेल में रखने के इरादे से भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्राप्त शिकायतों के आधार पर दर्ज की गई हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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