सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद दिवानी वाद वाराणसी ज़िला अदालत को ट्रांसफर किया

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद वाराणसी के सिविल जज रवि कुमार दिवाकर के समक्ष दायर दीवानी वाद अब वाराणसी जिला न्यायाधीश वाराणसी को ट्रांसफर किया जाएगा. पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी की एक निचली अदालत याचिका दायर कर आरोप लगाया गया था कि काशी विश्व​नाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदू देवी-देवता हैं और हिंदुओं को इस जगह पर प्रार्थना करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

(फोटो: रॉयटर्स)

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद वाराणसी के सिविल जज रवि कुमार दिवाकर के समक्ष दायर दीवानी वाद अब वाराणसी जिला न्यायाधीश वाराणसी को ट्रांसफर किया जाएगा. पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी की एक निचली अदालत याचिका दायर कर आरोप लगाया गया था कि काशी विश्व​नाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदू देवी-देवता हैं और हिंदुओं को इस जगह पर प्रार्थना करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली/इलाहाबाद: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा दायर दिवानी वाद की सुनवाई वाराणसी के दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) के पास से जिला न्यायाधीश (वाराणसी) को स्थानांतरित कर दी है.

न्यायालय ने कहा कि मामले की जटिलता और संवेदनशीलता को देखते हुए ​कहा कि बेहतर होगा कि एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी इसे देखे.

गौरतलब है कि विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह समेत पांच हिंदू महिलाओं ने अगस्त 2021 में अदालत में एक वाद दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा की मांग की थी.

इसके साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित सभी मंदिरों और देवी-देवताओं के विग्रहों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए अदालत से सर्वे कराने का अनुरोध किया था.

बीते अप्रैल मा​ह में वाराणसी की एक अदालत ने इस स्थान का सर्वेक्षण और वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए एक कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था. इस पर मस्जिद की देखरेख करने वाली कमेटी ने इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी, लेकिन उसी महीने इसे खारिज कर दिया गया. अदालत ने कोर्ट कमिश्नर के पक्षपाती होने का दावा करने वाली कमेटी की याचिका भी खारिज कर दी थी.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि वह दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) पर कोई आक्षेप नहीं लगा रही है, जो पहले से मुकदमे पर सुनवाई कर रहे थे.

सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि संसद के एक कानून के अनुसार निषेध संबंधी वाद पर दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की तरफ से कागजात के हस्तांतरण के बाद फैसला किया जाना चाहिए.

लाइव ​लॉ ​की रिपोर्ट के अनुसार न्यायालय ने कहा, ‘मामले की जटिलता और संवेदनशीलता को देखते हुए हमारा विचार है कि मुकदमे की सुनवाई एक जिला न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए. हम ट्रायल जज पर आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन इस तरह के मामले में अधिक अनुभवी वाला व्यक्ति बेहतर है. इससे सभी पक्षों के हितों की रक्षा होगी. वे जानते हैं कि इसे कैसे संभालना है.’

वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन), रवि कुमार दिवाकर के समक्ष दीवानी वाद अब वाराणसी जिला न्यायाधीश वाराणसी को स्थानांतरित किया जाएगा.

आदेश 7 नियम 11 के तहत दायर मस्जिद कमेटी के आवेदन पर ‘प्राथमिकता के आधार पर’ फैसला वही न्यायाधीश करेंगे.

आवेदन में ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के आलोक में वाद को अमान्य घोषित करने की मांग की थी. अधिनियम में यह कहा गया है कि भारत की स्वतंत्रता के समय पूजा स्थल के चरित्र को अदालतों द्वारा बदला नहीं जा सकता है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि 17 मई के उसके पिछले अंतरिम आदेश में उस क्षेत्र की सुरक्षा का निर्देश दिया गया हैं, जहां ‘शिवलिंग’ पाया गया है.

अदालत ने कहा कि मुसलमानों को मस्जिद परिसर में ‘नमाज’ अदा करने की अनुमति तब तक लागू रहेगी जब तक कि जिला न्यायाधीश वाद पर कोई फैसला नहीं ले लेते. इसके बाद संबंधित पक्षों को हाईकोर्ट का रुख करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया जाएगा.

पीठ ने जिला मजिस्ट्रेट को विवाद में शामिल पक्षों के साथ परामर्श कर मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए आने वाले मुसलमानों के लिए ‘वजू’ की पर्याप्त व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया.

शुक्रवार को अदालत में मस्जिद कमेटी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि यदि निचली अदालत में कार्यवाही जारी रहती है, तो ‘गंभीर समस्या’ हो सकती है.

अदालत ने मीडिया को ‘शिवलिंग’ की खोज के बारे में जानकारी के लीक होने पर भी ध्यान दिया – जिस पर कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा, जो ट्रायल कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल का नेतृत्व कर रहे थे, को हटा दिया गया था.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हमें दूसरे पक्ष को बताना चाहिए कि चयनात्मक लीक बंद होनी चाहिए. इसे अदालत में पेश किया जाना चाहिए. प्रेस को चीजें लीक न करें. आपको न्यायाधीश के सामने पेश होना चाहिए.’

सुप्रीम कोर्ट ने बीते बृहस्पतिवार को ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में वाराणसी की एक अदालत के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित करने के अनुरोध पर सहमति व्यक्त की थी. साथ ही वाराणसी की अदालत, जिसके समक्ष इस मामले की कार्यवाही लंबित है, से कहा था कि इस मामले में तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाए.

मालूम हो कि शीर्ष अदालत ने 17 मई को वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी मस्जिद में शृंगार गौरी परिसर के भीतर उस इलाके को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था, जहां एक सर्वेक्षण के दौरान एक ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया गया है. साथ ही मुसलमानों को ‘नमाज’ पढ़ने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया था.

हालांकि, शीर्ष न्यायालय ने दीवानी न्यायाधीश, वाराणसी के समक्ष आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जो ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े वाद की सुनवाई कर रहे हैं.

न्यायालय ने याचिकाकर्ता हिंदू श्रद्धालुओं को नोटिस जारी कर मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई के लिए 19 मई की तारीख निर्धारित की थी.

इससे पहले बीते 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए वाराणसी की अदालत के हालिया आदेश पर रोक लगाने की मांग वाली एक अपील पर कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था.

मस्जिद की प्रबंधन समिति अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने मामले को लेकर शीर्ष अदालत पहुंचे थे. अहमदी ने तर्क दिया था कि वाराणसी की अदालत का फैसला उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के विपरीत है.

उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 कहता है कि पूजा स्थल का धार्मिक स्वरूप जारी रहेगा, जैसा कि 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था.

इसके अलावा वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के लिए नियुक्त किए गए एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को बीते 17 मई को पद से हटा दिया था.

अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए गए अजय कुमार मिश्रा को उनके एक सहयोगी द्वारा मीडिया में खबरें लीक करने के आरोप में पद से हटा दिया था.

इससे पहले वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने 12 मई को ज्ञानवापी मस्जिद में स्थित शृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण कर 17 मई को इससे संबंधित रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था.

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई टली

इधर, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई छह जुलाई तक के लिए टाल दी. ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस प्रकाश पाडिया ने सुनवाई की अगली तारीख छह जुलाई तय की.

उल्लेखनीय है कि मूल वाद वर्ष 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में दायर किया गया था, जिसमें वाराणसी में जहां ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है, वहां प्राचीन मंदिर बहाल करने की मांग की गई थी.

वाराणसी की अदालत ने आठ अप्रैल, 2021 को पांच सदस्यीय समिति गठित कर सदियों पुरानी ज्ञानवापी मस्जिद का समग्र भौतिक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था.

याचिकाकर्ताओं ने आठ अप्रैल के इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी कि वाराणसी की अदालत का यह आदेश अवैध और उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है.

याचिका में कहा गया कि वाराणसी की अदालत में यह विवाद सुनवाई योग्य है या नहीं, यह इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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