संपादकीय: मुकदमे की धमकियां हमें डरा नहीं सकतीं, इससे सच बोलने की ताकत और बढ़ेगी

द वायर संपादकीय.

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Wire Hindi Editorial

जब से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह के कारोबार में ख़बर प्रकाशित करने के बाद द वायर  और इसके संपादकों पर आपराधिक और सिविल मानहानि का मुक़दमा दायर करने की ख़बर आई है, हमें ढेरों संदेश मिल रहे हैं, इनमें शुभकामनाएं हैं, प्रोत्साहन है, साथ ही हमारे साथ खड़े होने का आश्वासन भी है.

न केवल पाठक और साथी पत्रकार बल्कि हर जगह से आम जनता ने भी हरसंभव मदद करने की बात लिखी है.

और वे सचमुच ऐसा कर रहे हैं. द वायर और इसकी पत्रकारिता के लिए हमें काफी आर्थिक सहयोग मिला है. ये देखना बेहद सुखद है कि लोग खुले दिल से आगे आकर किसी ऐसी बात- यानी अभिव्यक्ति की आज़ादी, जिसे वे ज़रूरी मानते हैं, के लिए मदद कर रहे हैं, वे ऐसे आज़ाद और बेख़ौफ़ मीडिया की ज़रूरत समझते हैं, जो ताकतवरों से सवाल करने के लिए तैयार है.

लेकिन कुछ लोग यह भी सोच सकते हैं कि द वायर  को आर्थिक सहयोग मांगने की ज़रूरत ही क्यों पड़ी? क्यों हम अपने खर्च के लिए क्राउडफंडिंग कर रहे हैं?

द वायर  एक ग़ैर-लाभकारी संगठन के रूप में शुरू किया गया था. जब इसे शुरू किया गया था, तब देश में ऐसा कभी नहीं हुआ था, कभी ऐसा करने की कोशिश भी नहीं हुई थी.

मई 2015 में लॉन्च होने के बाद कुछ शुरूआती महीनों में ये बिना किसी फंड के संस्थापकों के मामूली निवेश के सहारे चला. उस समय भी हमारे साथ जुड़े लेखकों ने बिना किसी फीस के लिखने की उदारता दिखाई.

इसके कुछ समय बाद फंड्स आना शुरू हुए. कुछ प्रतिष्ठित लोग और फाउंडेशन सामने आये, जो ऐसे स्वतंत्र मीडिया प्लेटफॉर्म की ज़रूरत समझते थे, जो किसी निवेशक, नेता या कारोबारी के लिए फायदेमंद एजेंडा के बगैर काम करे.

हम इन फंड देने वालों के बहुत आभारी हैं, लेकिन उनकी मदद हमारे खर्च चलाने के लिए पूरी नहीं है. ऐसे में जो पाठक जो हमारी पत्रकारिता को पसंद करते हैं, उनसे मिलने वाली मदद के चलते ही हम खड़े रहने के काबिल बने हुए हैं.

उनकी इस मदद में हम द वायर  के बुनियादी मूल्यों को देखते हैं- जिस तरह की पत्रकारिता की देश को ज़रूरत है, जो देश के लिए उचित है, ऐसी पत्रकारिता के लिए पूरी प्रतिबद्धता.

इस आर्थिक मदद, भले ही वो छोटी हो या बड़ी, के कारण ही हम अपना काम करते रहने में सफल हुए हैं. और उम्मीद है कि यही सहयोग आगे बढ़ने और हमारी पत्रकारिता को बढ़ावा देने में भी मददगार होगा.

किसी भी तरह की मुकदमों की धमकियां हमें नहीं डरा सकतीं. इससे केवल हमारी सच बोलने की ताकत और बढ़ेगी, खासकर ऐसे समय में जब मीडिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों को भूल चुका है.

ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में हमारी फंड की अपील केवल मुक़दमेबाज़ियों से निपटने के लिए नहीं है, बल्कि द वायर  के काम करते रहने के लिए ज़रूरी है. इस काम में उन सब की भागीदारी है, जो निर्भीक पत्रकारिता में यकीन रखते हैं.

आपका सहयोग बेशकीमती है और इसके लिए हम आपके बेहद आभारी हैं.