विस्मया मामला: अदालत ने दहेज हत्या के मामले में पति को 10 साल क़ैद की सज़ा सुनाई

22 वर्षीय विस्मया 21 जून, 2021 को केरल के कोल्लम ज़िले के सस्थामकोट्टा में अपने पति एस. किरण कुमार के घर में मृत पाई गई थीं. घटना से एक दिन पहले विस्मया ने कुमार द्वारा दहेज को लेकर कथित रूप से प्रताड़ित करने के साथ-साथ अपने शरीर पर चोट और मारपीट के निशान की तस्वीरें अपने परिजनों को वॉट्सऐप संदेश में भेजी थीं.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रबर्ती/द वायर)

22 वर्षीय विस्मया 21 जून, 2021 को केरल के कोल्लम ज़िले के सस्थामकोट्टा में अपने पति एस. किरण कुमार के घर में मृत पाई गई थीं. घटना से एक दिन पहले विस्मया ने कुमार द्वारा दहेज को लेकर कथित रूप से प्रताड़ित करने के साथ-साथ अपने शरीर पर चोट और मारपीट के निशान की तस्वीरें अपने परिजनों को वॉट्सऐप संदेश में भेजी थीं.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रबर्ती/द वायर)

कोल्लम: केरल की एक अदालत ने आयुर्वेद की छात्रा विस्मया के पति को दहेज हत्या के मामले में मंगलवार को 10 साल कैद की सजा सुनाई. विस्मया ने पिछले साल जून में अपने ससुराल में फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली थी.

विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) जी. मोहनराज ने संवाददाताओं को बताया कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश-1 सुजीत केएन ने दोषी एस. किरण कुमार को आत्महत्या के लिए उकसाने और दहेज प्रताड़ना के मामले में भी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत सजा सुनाई है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, दहेज हत्या के लिए आईपीसी की धारा 304बी के तहत अपराध करने पर आरोपी को कुल 10 साल के कारावास की सजा भुगतनी होगी, जबकि उसे 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत 6 साल की सजा भुगतनी होगी और 2 लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा. भुगतान नहीं करने पर छह माह कैद की सजा भुगतनी होगी.

इसके अलावा 498ए (दहेज के लिए वैवाहिक क्रूरता) के तहत उसे 2 साल की सजा दी गई है और ₹50,000 का जुर्माना और भुगतान न करने पर तीन महीने की कैद होगी.

किरण कुमार को दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत 10 लाख रुपये और 5,000 रुपये के जुर्माने के साथ-साथ छह और एक साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी.

भुगतान न करने पर क्रमश: 18 महीने और 15 दिन की कैद हो सकती है. सजा की घोषणा करते हुए न्यायाधीश केएन सुजीत ने कहा कि सजा की अवधि साथ-साथ चलेगी.

कुमार पर कुल 12,55,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया, जिसमें से दो लाख रुपये पीड़िता के माता-पिता को भुगतान करने का निर्देश दिया गया है.

एसपीपी ने कहा कि वह दोषी को सुनाई गई सजा से संतुष्ट हैं. हालांकि, पीड़िता की मां सजा से निराश दिखीं. उन्होंने कहा कि वह सजा से खुश नहीं हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि दोषी को आजीवन कारावास की सजा मिलेगी.

अपने आवास पर उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा कि परिवार सजा के खिलाफ अपील करेगा और उन्हें लगता है कि उनकी बेटी को न्याय नहीं मिला है. उन्होंने यह भी कहा कि वे विस्मया की आत्महत्या के लिए कथित रूप से जिम्मेदार अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई के अपने प्रयास को जारी रखेंगे.

दूसरी ओर, विस्मया के पिता ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि वह कुमार को दी गई सजा से खुश हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें और उनकी बेटी को न्याय मिला है और यह सजा समाज के लिए एक संदेश भी है.

उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कुमार को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी. सजा के खिलाफ अपील करनी है या नहीं, इस पर एसपीपी से चर्चा करने के बाद फैसला किया जाएगा.

अदालत का आदेश अभियोजन पक्ष और दोषी की सजा की अवधि पर दलीलें सुनने के बाद आया. एसपीपी जी. मोहनराज ने अपनी दलीलों में दोषी के लिए अधिकतम सजा का अनुरोध किया था, ताकि यह समाज में एक कड़े संदेश के रूप में जाए.

दोषी के वकीलों ने यह दावा करते हुए अदालत से नरमी बरतने का अनुरोध किया था कि दोषी परिवार में अकेला कमाने वाला है और उसके माता-पिता कई बीमारियों से पीड़ित हैं. इससे पहले दिन में विस्मया के पिता दहेज में दी गई कार से अदालत पहुंचे.

उन्होंने अपने घर के बाहर पत्रकारों को बताया कि उनकी बेटी को यह कार बहुत पसंद थी और ऐसा लगता है कि उनकी बेटी की आत्मा भी इस कार में उनके साथ है.

विस्मया के भाई ने भी फैसले का स्वागत किया. भाई ने भी इसी तरह की बात कही. विस्मया के भाई ने एक समाचार चैनल से कहा कि इस फैसले से उनकी बहन वापस तो नहीं आ पाएगी लेकिन उम्मीद है कि फैसला ऐसी कुरीतियों को रोकने का काम करेगा और उनकी बहन जैसी अनगिनत महिलाओं को इस तरह के संकट से बचाने में मदद करेगा.

मामले की जांच की निगरानी कर रहीं आईजी हर्षिता अटालूरी ने भी फैसले का स्वागत किया और संवाददाताओं से कहा कि यह समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ एक संदेश देने का काम करेगा. उन्होंने कहा कि पीड़िता के उत्पीड़न और क्रूरता के पीछे दहेज ही कारण था, जिसके कारण उसने यह कदम उठाया.

अदालत ने सोमवार को कुमार को आईपीसी के तहत दहेज हत्या (धारा 304बी), आत्महत्या के लिए उकसाने (धारा 306) और दहेज से संबंधित उत्पीड़न (धारा 498ए) और दहेज निषेध अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था.

न्यायाधीश ने कहा था, ‘यह फैसला एक सामाजिक बुराई के खिलाफ है न कि किसी व्यक्ति के खिलाफ है.’

आईपीसी की धारा 304बी के तहत दहेज हत्या के अपराध में न्यूनतम सात साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. आईपीसी की धारा 498ए के तहत दहेज उत्पीड़न और धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध में क्रमशः तीन साल और 10 साल की जेल की अधिकतम सजा होती है.

कुमार सहायक मोटर वाहन निरीक्षक था और मामले में उसकी गिरफ्तारी के बाद उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. राज्य के परिवहन मंत्री एंटनी राजू ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि आपराधिक मामले में अदालत के फैसले के बावजूद कुमार को सेवा से बर्खास्त करने के राज्य सरकार के फैसले में कोई बदलाव नहीं होगा.

कुमार सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत पर बाहर था. हालांकि, उसकी दोषसिद्धि के साथ उसे मिली जमानत रद्द हो गई और पुलिस ने उसे अदालत से हिरासत में ले लिया.

अदालत ने 17 मई को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. केरल पुलिस ने अपने 500 पृष्ठों के आरोप-पत्र में कहा था कि विस्मया ने दहेज प्रताड़ना के चलते आत्महत्या की थी. 22 वर्षीय विस्मया 21 जून, 2021 को कोल्लम जिले के सस्थामकोट्टा में अपने पति के घर में मृत पाई गई थी.

घटना से एक दिन पहले विस्मया ने कुमार द्वारा दहेज को लेकर कथित रूप से प्रताड़ित करने के साथ-साथ अपने शरीर पर चोट और मारपीट के निशान की तस्वीरें अपने रिश्तेदारों को वॉट्सऐप संदेश में भेजी थी.

विस्मया के पिता ने बताया था कि 2020 में शादी के दौरान कुमार को सोना और एक एकड़ से अधिक जमीन के अलावा 10 लाख रुपये की एक कार दहेज में दी गई थी. पिता ने बताया कि कुमार को कार पसंद नहीं आई और वह 10 लाख रुपये नकद चाहता था. जब उसे बताया गया कि यह संभव नहीं है, तो वह विस्मया को प्रताड़ित करने लगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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