गेहूं के बाद अब सरकार ने चीनी के निर्यात पर पाबंदी लगाई

विदेश व्यापार महानिदेशालय ने बताया है कि सरकार ने चीनी मौसम 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 100 लाख मीट्रिक टन तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने का निर्णय लिया है. ये पाबंदी यूरोपीय संघ और अमेरिका को निर्यात की जा रही चीनी पर लागू नहीं होगी.

(फोटो: रॉयटर्स)

विदेश व्यापार महानिदेशालय ने बताया है कि सरकार ने चीनी मौसम 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 100 लाख मीट्रिक टन तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने का निर्णय लिया है. ये पाबंदी यूरोपीय संघ और अमेरिका को निर्यात की जा रही चीनी पर लागू नहीं होगी.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सरकार ने मंगलवार को चीनी के निर्यात पर एक जून से पाबंदी लगा दी, जिसका उद्देश्य घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ाना और मूल्य वृद्धि को रोकना है.

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, ‘चीनी (कच्ची, परिष्कृत और सफेद चीनी) का निर्यात एक जून, 2022 से प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है.’

हालांकि, इसने कहा कि ये पाबंदी सीएक्सएल और टीआरक्यू के तहत यूरोपीय संघ और अमेरिका को निर्यात की जा रही चीनी पर लागू नहीं होगी. सीएक्सएल और टीआरक्यू के तहत इन क्षेत्रों में एक निश्चित मात्रा में चीनी का निर्यात किया जाता है.

अब एक बयान में, सरकार ने कहा कि चीनी मौसम 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में चीनी की घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए, उसने एक जून से चीनी निर्यात को विनियमित करने का निर्णय लिया है.

उसने कहा, ‘सरकार ने चीनी मौसम 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से 100 एलएमटी (लाख मीट्रिक टन) तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने का निर्णय लिया है.’

उसने कहा, ‘डीजीएफटी द्वारा जारी आदेश के अनुसार, एक जून, 2022 से 31 अक्टूबर, 2022 तक, या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, चीनी के निर्यात की अनुमति चीनी निदेशालय, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की विशिष्ट अनुमति के साथ दी जाएगी.’

इससे पहले भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया था.

तब डीजीएफटी ने यह भी कहा था कि भारत सरकार द्वारा अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर दी गई अनुमति के आधार पर गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी.

रॉयटर्स के अनुसार, भारत के इस फैसले के बाद लंदन में सफेद चीनी की बेंचमार्क कीमतों में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है.

निर्यातकों का कहना कि मिलों को 10 मिलियन टन निर्यात करने की अनुमति देने से भारत को विश्व बाजार में बड़ी मात्रा में चीनी बेचने में मदद मिलेगी.

रॉयटर्स के मुताबिक शुरुआत में भारत ने चीनी निर्यात को 8 मिलियन टन पर सीमित करने की योजना बनाई, लेकिन बाद में सरकार ने मिलों को विश्व बाजार में कुछ और चीनी बेचने की अनुमति देने का फैसला किया क्योंकि उत्पादन अनुमान की ऊपरी सीमा को संशोधित किया गया.

भारतीय चीनी मिल संघ अपने उत्पादन अनुमान को संशोधित कर 35.5 मिलियन टन कर दिया, जो इसके पिछले अनुमान 31 मिलियन टन से अधिक था.

भारतीय मिलों ने अब तक बिना सरकारी सब्सिडी के चालू 2021-22 वित्त वर्ष में 9.1 मिलियन टन चीनी निर्यात करने के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. अनुबंधित 9 मिलियन टन में से मिलों ने लगभग 8.2 मिलियन टन चीनी पहले ही भेज दी है.

20-20 लाख टन कच्चे सोयाबीन, सूरजमुखी तेल के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति

इसके साथ ही सरकार ने सालाना 20-20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर सीमा शुल्क तथा कृषि अवसंरचना उपकर को मार्च, 2024 तक हटाने की घोषणा की है.

वित्त मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी अधिसूचना के अनुसार सालाना 20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में आयात शुल्क नहीं लगाया जाएगा.

सरकार का मानना है आयात शुल्क में इस छूट से घरलू कीमतों में नरमी आएगी और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक ट्वीट में लिखा, ‘यह निर्णय उपभोक्ताओं को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करेगा.’

इसका मतलब है कि 31 मार्च, 2024 तक कुल 80 लाख टन कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल का शुल्क मुक्त आयात किया जा सकेगा. कहा जा रहा है कि इससे घरेलू स्तर पर कीमतों को नीचे लाने में मदद मिलेगी.

सॉल्वैट एक्सट्रैक्टर्स ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि सरकार के इस फैसले से सोयाबीन तेल के दाम तीन रुपये प्रति लीटर तक नीचे आएंगे.

सरकार ने 20-20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेलों के लिए शुल्क दर कोटा (टीआरक्यू) संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है.

मेहता ने कहा कि टीआरक्यू के तहत सीमा शुल्क और 5.5 प्रतिशत का कृषि अवसंरचना कर हट जाएगा.

गौरतलब है कि सरकार ने तेल की बढ़ती कीमतों के बीच पिछले सप्ताह पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाया था. साथ ही इस्पात और प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कुछ कच्चे माल पर आयात शुल्क भी हटाने का निर्णय लिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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