यूपी: मेरठ के थाने के बाहर पोस्टर लगाने के मामले में छह भाजपा कार्यकर्ता गिरफ़्तार

मेरठ के मेडिकल थाने पर 'भाजपा कार्यकर्ताओं का आना मना है' पोस्टर लगाने के मामले में पुलिस ने छह स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया है. पुलिस ने बताया कि एक संपत्ति विवाद के सिलसिले में भाजपा कार्यकर्ताओं ने थाना प्रभारी पर अनुचित पक्ष लेने का दबाव बनाया था, जिससे इनकार के बाद उन्होंने हंगामा किया और थाना प्रभारी का नाम लिखते हुए यह पोस्टर लगा दिया.

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(साभार: ट्विटर)

मेरठ के मेडिकल थाने पर ‘भाजपा कार्यकर्ताओं का आना मना है’ पोस्टर लगाने के मामले में पुलिस ने छह स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया है. पुलिस ने बताया कि एक संपत्ति विवाद के सिलसिले में भाजपा कार्यकर्ताओं ने थाना प्रभारी पर अनुचित पक्ष लेने का दबाव बनाया था, जिससे इनकार के बाद उन्होंने हंगामा किया और थाना प्रभारी का नाम लिखते हुए यह पोस्टर लगा दिया.

(साभार: ट्विटर)

मेरठ/नई दिल्ली: मेरठ मेडिकल थाने पर ‘भाजपा कार्यकर्ताओं का आना मना है’ पोस्टर लगाने के मामले में मेरठ पुलिस ने शनिवार को छह स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है.

उल्लेखनीय है कि यह पोस्टर सोशल मीडिया पर खासा वायरल हुआ था और इसे लेकर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने ट्विटर पर एक-दूसरे पर निशाना भी साधा था.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पोस्टर में मेडिकल पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी संतशरण सिंह का नाम भी था और ऐसा दिखाया गया था मानो यह उनके आदेश से लिखा गया हो.

मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रभाकर चौधरी ने शनिवार को बताया कि इस कृत्य से मेरठ पुलिस की छवि को ठेस पहुंची है और उन्होंने इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनके नाम क्रमशः शंभू पहलवान, सागर पोसवाल, कुलदीप मसूरी, अंकुर चौधरी, अमित भड़ाना और अमर शर्मा हैं.

एसएसपी के अनुसार, इन सभी अभियुक्तों के खिलाफ मेडिकल थाने में शुक्रवार को मामला दर्ज किया गया था.

चौधरी ने बताया, ‘मामले की जड़ एक परिवार से जुड़ा संपत्ति का विवाद था, जिसे लेकर भाजपा कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए और शुक्रवार को थाने पहुंचे. वे प्रभारी पर अनुचित पक्ष लेने के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जब उन्होंने इससे इनकार कर दिया गया, तो उन्होंने तमाशा खड़ा कर दिया.’

इसके बाद भाजपाइयों ने हंगामा करते हुए पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की थी. करीब चार-पांच घंटे तक चले इस हंगामे के दौरान कुछ लोगों ने थाने के बाहर ध्यान आकर्षित करने के लिए यह पोस्टर भी लगा दिया था, जिसमें लिखा था, ‘भाजपा नेताओं का मेडिकल थाने में आना मना है.’

थाने की दीवार पर टंगे बैनर की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामले ने उस समय तूल पकड़ा, जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उक्त तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा था, ‘ऐसा पहली बार हुआ है इन पांच-छह सालों में. सत्तापक्ष के लोगों का आना मना हुआ थानों में. ये है उप्र की भाजपा सरकार का बुलंद इक़बाल.’

वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ट्विटर हैंडल से कहा गया, ‘पिछली सरकारों के समय में थाना और तहसील गिरवी रख दिए जाते थे. मगर भाजपा का कोई भी कार्यकर्ता अनावश्यक सिफारिश के लिए किसी थाने या तहसील में नहीं जाता है.’

थाना प्रभारी संतशरण सिंह ने शनिवार को बताया कि वीडियो फुटेज के आधार पर अभियुक्तों की शिनाख्त करने के बाद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.

समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा यह पूछे जाने पर कि आरोपी क्या भाजपा कार्यकर्ता हैं, थाना प्रभारी ने इतना ही कहा, ‘सभी असामाजिक तत्व थे, जिन्होंने भाजपा और मुझे बदनाम करने के लिए विवादित बैनर लगाया था.’

हालांकि भाजपा के महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंधन ने स्वीकार किया है कि आरोपी भाजपा कार्यकर्ता हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)