भारत में हमने लोगों और पूजा स्थलों पर बढ़ते हमले देखे हैं: अमेरिकी विदेश मंत्री

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और आस्थाओं की विविधता के घर भारत में हमने लोगों और पूजा स्थलों पर बढ़ते हमले देखे हैं. दो महीने से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब अमेरिका ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में सीधे तौर पर चिंता व्यक्त की है. इस रिपोर्ट पर भारत की ओर से कहा गया ​है कि पक्षपातपूर्ण विचारों के आधार पर तैयार आकलन से बचा जाना चाहिए.

/
एंटनी ब्लिंकन. (फोटो: रॉयटर्स)

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और आस्थाओं की विविधता के घर भारत में हमने लोगों और पूजा स्थलों पर बढ़ते हमले देखे हैं. दो महीने से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब अमेरिका ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में सीधे तौर पर चिंता व्यक्त की है. इस रिपोर्ट पर भारत की ओर से कहा गया ​है कि पक्षपातपूर्ण विचारों के आधार पर तैयार आकलन से बचा जाना चाहिए.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन. (फोटो: रॉयटर्स)

वाशिंगटन: अमेरिकी विदेश विभाग ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संसद को सौंपी गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि भारत में 2021 में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर पूरे साल हमले हुए, जिनमें हत्याएं और धमकाने के मामले भी शामिल हैं.

दो महीने से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब अमेरिका ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में सीधे तौर पर चिंता व्यक्त की है.

वार्षिक रिपोर्ट अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा दुनिया भर में स्थित उनके दूतावासों के इनपुट के आधार पर संकलित की जाती है. इसमें लगभग सभी देशों का दस्तावेजीकरण किया गया है, जिसका उल्लेख अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने वार्षिक रिलीज समारोह में अपनी परिचयात्मक टिप्पणियों में किया है.

हालांकि भारत में मानवाधिकारों के बढ़ते उल्लंघन के बारे में चिंताओं को रिपोर्ट के वार्षिक संस्करणों में नियमित रूप से सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन अब तक अमेरिकी विदेश विभाग के शीर्ष राजनयिक द्वारा उनका मौखिक रूप से उल्लेख नहीं किया गया था.

2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद संभवत: पहली बार इस वर्ष समारोह में राज्य सचिव द्वारा दिए गए भाषण में भारत को भी चुना गया था.

गुरुवार को अपनी टिप्पणी में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सबसे पहले ताइवान, तिमोर-लेस्ते, इराक और मोरक्को को उन देशों के रूप में नामित किया जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा में ‘उल्लेखनीय प्रगति’ दिखाई है.

इसके बाद उन्होंने म्यांमार, चीन, इरिट्रिया, सऊदी अरब, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि जहां ‘सरकारें अपने नागरिकों के मूल अधिकारों का सम्मान करने में विफल हो रही हैं.’

उसके बाद ब्लिंकन ने शुरुआत में भारत का हवाला देते हुए बताया कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी पर्याप्त उल्लंघन हुए है.

उन्होंने कहा, ‘इन देशों से परे रिपोर्ट में यह बताया गया है कि दुनिया भर के समुदायों में धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकार कैसे खतरे में हैं. उदाहरण के लिए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और आस्थाओं की एक बड़ी विविधता के घर भारत में हमने लोगों और पूजा स्थलों पर बढ़ते हमले देखे हैं.’

ब्लिंकन ने कहा, ‘वियतनाम में अधिकारी अपंजीकृत धार्मिक समुदायों के सदस्यों को परेशान करते हैं; नाइजीरिया में कई राज्य सरकारें लोगों को उनकी मान्यताओं को व्यक्त करने के लिए दंडित करने के लिए मानहानि और ईशनिंदा कानूनों का उपयोग कर रही हैं.’

विदेश विभाग के ‘फॉगी बॉटम’ मुख्यालय में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा जारी की गई रिपोर्ट दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति और उल्लंघन के लिए अपना दृष्टिकोण देती है और इसमें प्रत्येक देश पर अलग-अलग अध्याय हैं.

यह रिपोर्ट विभिन्न गैर-लाभकारी संगठनों और अल्पसंख्यक संस्थानों द्वारा उन पर हमलों के आरोपों को भी उदारतापूर्वक उद्धृत करती है, लेकिन ज्यादातर समय अधिकारियों द्वारा की जा रही जांच के परिणामों, सरकार की प्रतिक्रियाओं पर काफी चुप रहती है.

रिपोर्ट के भारत खंड में कहा गया, ‘धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर हमले, मारपीट और डराने-धमकाने समेत, पूरे साल होते रहे. इनमें गोहत्या या गोमांस के व्यापार के आरोपों के आधार पर गैर-हिंदुओं के खिलाफ गोरक्षा अभियान की घटनाएं शामिल थीं.’

रिपोर्ट आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान का भी उल्लेख करती है कि भारत में हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए एक ही है और उन्हें धर्म के आधार पर अलग नहीं किया जाना चाहिए.

रिपोर्ट कहती है, ‘जुलाई में आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत, जिन्हें आमतौर पर भारत की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के वैचारिक संरक्षक के रूप में माना जाता है, ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि भारत में हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए एक ही है और उन्हें धर्म के आधार पर अलग नहीं किया जाना चाहिए.’

भागवत ने कहा था, ‘देश में कभी भी हिंदुओं या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता है, केवल भारतीयों का ही प्रभुत्व हो सकता है.’

उन्होंने कहा था कि मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को इस बात से डरना नहीं चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने यह भी कहा कि गोहत्या के लिए गैर-हिंदुओं की हत्या हिंदू धर्म के खिलाफ है.

रिपोर्ट में उल्लेख है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 सितंबर को सार्वजनिक रूप से कहा था कि उत्तर प्रदेश में पहले की सरकारों ने लाभ वितरण में मुस्लिम वर्ग का पक्ष लिया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने गैर-हिंदुओं को मीडिया या सोशल मीडिया पर ऐसी टिप्पणी करने के लिए गिरफ्तार किया, जिन्हें हिंदुओं या हिंदू धर्म के लिए अपमानजनक माना जाता था.

वहीं, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत में लोगों के साथ-साथ धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ रहे हैं. उन्होंने भरोसा दिलाया कि अमेरिका दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाता रहेगा.

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन सहित अन्य एशियाई देशों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों तथा महिलाओं को भी निशाना बनाया जा रहा है.

ब्लिंकन ने गुरुवार को वर्षिक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी करने के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘अमेरिका दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाना जारी रखेगा. हम ऐसा करने के लिए अन्य सरकारों, बहुपक्षीय संगठनों और नागरिकों के साथ काम करते रहेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘हमारा मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी लोगों को उस आध्यात्मिक परंपरा का अनुसरण करने की स्वतंत्रता हो, जो उनके लिए मायने रखती हो.’

साथ ही ब्लिंकन ने कहा कि इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकार कैसे खतरे में हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, ‘उदाहरण के तौर पर भारत में, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और जहां कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, वहां हम लोगों और धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ते देख रहे हैं. वियतनाम में अधिकारी गैर-पंजीकृत धार्मिक समुदायों का उत्पीड़न कर रहे हैं. नाइजीरिया में अनेक राज्य सरकारें अपनी आस्था का पालन करने पर लोगों को दंडित करते के लिए उनके खिलाफ मानहानि और ईशनिंदा कानून का सहारा ले रही हैं.’

उन्होंने कहा, ‘चीन उन अन्य धर्मों को मानने वालों का लगातार उत्पीड़न कर रहा है, जिन्हें वह चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के सिद्धांत के अनुरूप नहीं मानता. वह बौद्ध, ईसाई, इस्लाम और ताओ धर्म से जुड़े धार्मिक स्थलों को नष्ट कर रहा है. साथ ही ईसाई, मुसलमान, तिब्बती, बौद्ध और फालुन गोंग समुदाय के लोगों की रोजगार तथा आवास तक पहुंच को बाधित कर रहा है.’

ब्लिंकन ने कहा, ‘अफगानिस्तान में तालिबान के राज में धार्मिक स्वतंत्रता के हालात तेजी से खराब हुए हैं. तालिबान ने खास तौर पर महिलाओं, लड़कियों की शिक्षा, कामकाज आदि के मूलभूत अधिकारों को धर्म के नाम पर समाप्त किया है.’

उन्होंने कहा कि इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासतौर पर शिया हजारा समुदाय पर हिंसक हमले कर रहा है.

ब्लिंकन ने कहा, ‘पाकिस्तान में 2021 में विभिन्न अदालतों ने 16 लोगों को ईशनिंदा के जुर्म में मौत की सजा सुनाई है. हालांकि, मुल्क में अभी किसी भी सजा की तामील नहीं की गई है.’

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के अमेरिकी राजदूत रशद हुसैन ने भी अपनी टिप्पणी में भारत को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा, ‘भारत में कुछ अधिकारी लोगों और पूजा स्थलों पर बढ़ते हमलों की अनदेखी कर रहे हैं या उनका समर्थन भी कर रहे हैं.’

पक्षपातपूर्ण विचारों के आधार पर आकलन से बचा जाए: विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता

इस संबंध में मीडिया के सवालों के जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता श्री अरिंदम बागची ने कहा, ‘हमने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग 2021 की रिपोर्ट जारी करने और वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों द्वारा गलत सूचित टिप्पणियों को नोट किया है.’

उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक की राजनीति की जा रही है. हम आग्रह करेंगे कि प्रेरित (Motivated) इनपुट और पक्षपातपूर्ण विचारों के आधार पर तैयार आकलन से बचा जाना चाहिए.’

बागची ने कहा, ‘एक स्वाभाविक रूप से बहुलवादी समाज के रूप में भारत धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्व देता है. अमेरिका के साथ हमारी चर्चा में हमने नस्लीय और जातीय रूप से प्रेरित हमलों, घृणा अपराधों और बंदूक हिंसा सहित वहां चिंता के मुद्दों को नियमित रूप से उजागर किया है.’

अमेरिकी विदेश विभाग पहले भी रिपोर्ट जारी कर चुका है

इससे पहले अप्रैल में भी ब्लिंकन ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात कही थी. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि उनका देश भारत में सरकारी अधिकारियों द्वारा मानवाधिकरों के हनन के बढ़ते मामलों पर नजर रखे हुए है.

इस रिपोर्ट का भारतीय खंड प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार के उल्लंघन से जुड़ा हुआ था.

रिपोर्ट में कहा गया था कि फ्रीडम हाउस एंड ह्यूमन राइट्स वॉच सहित अंतरराष्ट्रीय निगरानी संगठनों ने भारत में मीडिया के लोकतांत्रिक अधिकारों में गिरावट और उनके लगातार उत्पीड़न का दस्तावेजीकरण किया है.

अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में कहा गया था, ‘ऐसे भी मामले हैं, खासकर राज्यों में, जहां पत्रकारों को उनके पेशेवर काम के चलते मार दिया गया या निहित स्वार्थों के चलते निशाना बनाया गया. जून में उत्तर प्रदेश में एक अखबार कम्पू मेल के पत्रकार शुभम मणि त्रिपाठी की कथित तौर पर अवैध रेत खनन को लेकर उनकी खोजी रिपोर्ट के लिए दो बंदूकधारियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी. यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने मामले पर संज्ञान लिया और प्रशासन से ‘गनप्वॉइंट सेंसरशिप’ को खत्म करने को कहा.’

जिस पर बाद में प्रतिक्रिया देते हुए भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा था कि भारत को भी अमेरिका में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर चिंता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq