जम्मू कश्मीर: तबादले की मांग को लेकर डोगरा और कश्मीरी पंडितों कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी

घाटी में निशाना बनाकर की जा रही हालिया हत्याओं के मद्देनज़र कश्मीर में तैनात डोगरा और कश्मीरी पंडित दोनों समुदायों के कर्मचारियों का तबादला किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि घाटी में सुरक्षा स्थिति सुधरने तक उन्हें अस्थायी रूप से जम्मू स्थानांतरित कर देना चाहिए.

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जम्मू स्थित सरकारी कर्मचारी, जो कश्मीर में तैनात हैं, सोमवार को जम्मू में अपने गृह जिलों में अपने स्थानांतरण की मांग को लेकर एक विरोध प्रदर्शन किया. (फोटो: पीटीआई)

घाटी में निशाना बनाकर की जा रही हालिया हत्याओं के मद्देनज़र कश्मीर में तैनात डोगरा और कश्मीरी पंडित दोनों समुदायों के कर्मचारियों का तबादला किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि घाटी में सुरक्षा स्थिति सुधरने तक उन्हें अस्थायी रूप से जम्मू स्थानांतरित कर देना चाहिए.

जम्मू के सरकारी कर्मचारी, जो कश्मीर में तैनात हैं, सोमवार को जम्मू में अपने गृह जिलों में तबादले की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू/श्रीनगर/मुंबई: डोगरा और कश्मीरी पंडितों ने (कश्मीर) घाटी में अल्पसंख्यकों की निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के मद्देनजर कश्मीर में तैनात दोनों समुदायों के कर्मचारियों का यहां तबादला किए जाने की मांग को लेकर अपना प्रदर्शन सोमवार को भी जारी रखा.

डोगरा कर्मचारी ‘ऑल जम्मू-बेस्ड रिजर्व कैटेगरी एम्प्लॉइज एसोसिएशन’ के बैनर तले छठे दिन यहां पनामा चौक पर एकत्र हुए और अपना तबादला घाटी से जम्मू क्षेत्र के अपने गृह जिलों में किए जाने की अपनी मांग को लेकर धरना दिया.

ये कर्मचारी अपनी सहयोगी रजनी बाला की हत्या के बाद जम्मू लौटे हैं. आतंकवादियों ने सांबा जिले की निवासी बाला की दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के एक स्कूल में 31 मई को गोली मारकर हत्या कर दी थी.

प्रेमनाथ भट्ट मेमोरियल ट्रस्ट से जुड़े प्रवासी कश्मीरी पंडितों के एक समूह ने अपने सहयोगी राहुल भट्ट की हत्या के बाद घाटी में हड़ताल कर रहे कर्मचारियों के समर्थन में यहां प्रेस क्लब में प्रदर्शन किया.

प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की और मांग की कि सरकार को ‘पीएम पैकेज’ कर्मचारियों की मांगों को मान लेना चाहिए और घाटी में सुरक्षा स्थिति सुधरने तक उन्हें अस्थायी रूप से जम्मू स्थानांतरित कर देना चाहिए.

एक प्रदर्शनकारी ने दावा किया, ‘अधिकतर कर्मचारी पहले ही कश्मीर से वापस लौट चुके हैं और वे गंभीर स्थिति को देखते हुए वापस जाने के इच्छुक नहीं हैं. सरकार ने 10 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों को जम्मू स्थानांतरित कर दिया है, जो भारतीय जनता पार्टी नेताओं के करीबी रिश्तेदार हैं.’

कश्मीरी पंडित निकाय ने उठाई सुरक्षा चिंता

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, एक कश्मीरी पंडित संघ ने अपने प्रवासी कर्मचारियों की जीपीएस लोकेशन, घर का पता और कार्यस्थल की जानकारी लेने की प्रशासन की कथित योजना पर चिंता जताई है.

कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) ने ट्विटर पर कहा, ‘प्रशासन कश्मीरी पंडितों से उनके साथ घर और कार्यस्थल का जीपीएस पता साझा करने के लिए कहता है. क्या यह सुरक्षित है? कौन गारंटी देगा कि इस डेटा का दुरुपयोग या आतंकवादियों को लीक नहीं किया जाएगा? बीटीडब्ल्यू जो प्रशासन को ऐसे चमत्कारी विचार दे रहा है?.’

हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि इस पर अभी फैसला लिया जाना बाकी है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इस फैसले को अंतिम रूप दिया गया है. लक्षित हमलों और हत्याओं के मद्देनजर कई कदम हैं, जिन पर सरकार पंडितों और अन्य लोगों की सुरक्षा के लिए चर्चा कर रही है.’

बैंक यूनियनों ने घाटी से गैर-स्थानीय कर्मचारियों के स्थानांतरण की मांग की.

मालूम हो कि कश्मीर घाटी में इस साल जनवरी से अब तक अल्पसंख्यक समुदाय के पुलिस अधिकारियों, शिक्षकों और सरपंचों सहित कम से कम 16 हत्याएं (Targeted Killings) हुई हैं.

बीते 12 मई को जम्मू कश्मीर के राजस्व विभाग के एक कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी राहुल भट, जो पीएम पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे थे, की बडगाम जिले के चदूरा स्थित तहसील कार्यालय के अंदर गोली मार हत्या दी गई थी, जिसका समुदाय के लोगों ने व्यापक विरोध किया था.

25 मई को बडगाम जिले के चदूरा में ही 35 वर्षीय कश्मीरी टीवी अभिनेत्री अमरीन भट की उनके घर के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बीते 31 मई  को कुलगाम के गोपालपोरा के एक सरकारी स्कूल की शिक्षक रजनी बाला की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

इसके बाद दो जून को कुलगाम के इलाकाई देहाती बैंक के कर्मचारी विजय कुमार को आतंकियों ने गोली मारी और इसी शाम बडगाम में दो प्रवासी मजदूर आतंकियों की गोली का निशाना बने.

कश्मीर घाटी में लगातार आतंकवादियों द्वारा नागरिकों और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के बीच भयभीत कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग घाटी छोड़कर जा रहे हैं या इसकी योजना बना रहे हैं.

कश्मीर में लोग परेशान हैं लेकिन ‘राजा’ जश्न में व्यस्त हैं: शिवसेना

कश्मीर में हालिया हत्याओं को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए शिवसेना ने सोमवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में लोग पीड़ित हैं, लेकिन ‘राजा’ जश्न मनाने में व्यस्त हैं.

पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में शिवसेना ने मोदी सरकार की आठवीं वर्षगांठ के समारोह पर कटाक्ष किया और कहा कि भाजपा इस बात का ढिंढोरा पीटने में व्यस्त है कि कैसे अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द कर दिया गया और पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई लेकिन हैरानी की बात है कि वे कश्मीरी पंडितों की पीड़ा से बेखबर हैं.

पार्टी ने मोदी सरकार के आठवें वर्ष के समारोह के संदर्भ में कहा, ‘कश्मीरी लोग पीड़ित हैं, राजा समारोहों में व्यस्त हैं.’

शिवसेना ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक से जहां पार्टी (भाजपा) को राजनीतिक लाभ मिला, वहीं कश्मीर में स्थिति खराब हो गई है और हिंदू अब भी मारे जा रहे हैं.

संपादकीय में कहा गया, ‘ये लोग हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर अपना गला फाड़ते हैं. लेकिन जब हिंदू वास्तविक खतरे में होते हैं तो वे चुप रहते हैं. भाजपा और केंद्र घाटी में हिंदुओं की हत्याओं पर चुप हैं.’

संपादकीय में सवाल उठाया गया कि अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों को रद्द करने से क्या नतीजे हासिल हुए और कितने लोगों ने कश्मीर में जमीन खरीदी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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