प्रेस क्लब ने पत्रकार के जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा प्रताड़ना के आरोपों की जांच की मांग की

द कारवां पत्रिका से जुड़े मल्टीमीडिया पत्रकार शाहिद तांत्रे ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया है कि कश्मीर के घटनाक्रम पर लिखने के कारण जम्मू कश्मीर पुलिस उन्हें और उनके परिवार को धमका रही है. प्रेस क्लब ने केंद्र और सूबे के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और पत्रकारों को निशाना बनाकर प्रताड़ित करने से रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है.

शाहिद तांत्रे. (फोटो साभार: ट्विटर)

द कारवां पत्रिका से जुड़े मल्टीमीडिया पत्रकार शाहिद तांत्रे ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया है कि कश्मीर के घटनाक्रम पर लिखने के कारण जम्मू कश्मीर पुलिस उन्हें और उनके परिवार को धमका रही है. प्रेस क्लब ने केंद्र और सूबे के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और पत्रकारों को निशाना बनाकर प्रताड़ित करने से रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है.

शाहिद तांत्रे. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने गुरुवार को जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा एक पत्रकार को कथित तौर पर प्रताड़ित करने के मामले का संज्ञान लेते हुए बल के खिलाफ तत्काल एक जांच शुरू करने की मांग उठाई.

मालूम हो कि पत्रकार शाहिद तांत्रे ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया है कि कश्मीर के घटनाक्रम पर लिखने के कारण पुलिस उन्हें और उनके परिवार को धमका रही है.

प्रेस क्लब ने एक बयान में कहा, ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया शाहिद तांत्रे को प्रताड़ित करने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस की कड़ी निंदा करती है. जम्मू कश्मीर पुलिस सरकार के खिलाफ खबरें करने से रोकने के लिए तांत्रे को धमका रही है. इससे 1975 के आपातकाल के दौर की याद ताजा हुई है.’

पत्रकार संगठन ने केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और भविष्य में पत्रकारों को निशाना बनाकर प्रताड़ित करने से रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया.

रिपोर्ट के अनुसार, द कारवां पत्रिका से जुड़े मल्टीमीडिया पत्रकार शाहिद तांत्रे ने जम्मू कश्मीर पुलिस पर उनकी रिपोर्टिंग के कारण उन्हें और उनके परिवार को चार महीने से अधिक समय से धमकी देने और लगातार परेशान करने का आरोप लगाया है.

तांत्रे ने बुधवार, 8 जून को जारी एक बयान में महीनों से हो रहे इस उत्पीड़न विवरण देते हुए बताया है कि केंद्र शासित प्रदेश की पुलिस उनके पीछे तब से है जबसे वे कारवां द्वारा कमीशन किए गए एक असाइनमेंट की रिपोर्टिंग के लिए जनवरी में श्रीनगर गए थे.

उनका पहला रिपोर्टिंग असाइनमेंट अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद कश्मीर में पत्रकारों और मीडिया पर कार्रवाई से संबंधित था, दूसरे में केंद्र शासित प्रदेश में होने वाले ‘राष्ट्रवादी विरोध’ में भारतीय सेना की भूमिका के बारे में बात की गई थी. पहला लेख 1 फरवरी और दूसरा 1 जून को प्रकाशित हुआ है.

तांत्रे का कहना है कि उन्हें और उनके पिता को कई बार कश्मीर के थानों में उनकी रिपोर्ट्स, विशेष रूप से इन दो से संबंधित पूछताछ के लिए बुलाया गया.

तांत्रे ने फरवरी की शुरुआत का एक वाकया बताया जब उन्हें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा था कि यह ‘यूरोप नहीं है’ कि वह कुछ भी लिख सकते थे क्योंकि ‘कश्मीर में वर्तमान हालात अच्छे नहीं हैं.’ उन्हें संबंधित (डीएसपी रैंक के) पुलिस अधिकारी ने यह भी सलाह दी थी कि वे ‘जोखिम भरा काम’ न करें क्योंकि उनके आगे लंबा करिअर बचा है. उन्हें बताया गया था कि ‘हर सुरक्षा एजेंसी आपके पीछे है’ और साथ ही उन्हें शादी करने की सलाह दी गई थी, जिससे वे ‘शांत हो जाएंगे.’

तांत्रे के मुताबिक, संबंधित अधिकारी ने तब उनसे कहा कि यदि वह अपने पेशे को जारी रखना चाहते हैं तो उनके पास तीन विकल्प हैं- पहला, तांत्रे कश्मीर में रह सकते हैं यदि उन्होंने अधिकारियों को एक लिखित समझौता दिया कि वह ऐसा कुछ भी नहीं लिखेंगे जो सरकार के खिलाफ हो. दूसरा, वे कश्मीर में रह सकते हैं और ‘सरकार को नाराज़ करने वाला’ अपना लेखन जारी रख सकते हैं, जैसा करने पर ‘या तो उन्हें गोली मार दी जाएगी या जेल भेज दिया जाएगा.’ तीसरा, उन्हें ‘तुरंत’ कश्मीर छोड़ देना चाहिए.

तांत्रे का कहना है कि वह सात फरवरी को कश्मीर से दिल्ली के लिए निकल गए थे.

10 अप्रैल को तांत्रे ने कश्मीर के पत्रकार आसिफ सुल्तान, जिन पर एक अन्य मामले में जमानत मिलने के बाद जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) का केस दर्ज किया गया था, के बारे में ट्वीट किया था. तांत्रे कहते हैं कि इसके तुरंत बाद उन्हें श्रीनगर से एक पुलिस अधिकारी का फोन आया कि उन्होंने इस मुद्दे पर ट्वीट क्यों किया. उन्हें एक बार फिर कहा गया कि ‘यह यूरोप नहीं है ‘ और उनके लिए शादी करना बेहतर होगा, साथ ही यह भी कहा गया कि ‘कश्मीर एक पुलिस स्टेट है.’

तांत्रे का कहना है कि पत्रकारीय नियमों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपनी रिपोर्ट को लेकर जम्मू कश्मीर पुलिस, खुफिया अधिकारियों, राज्यपाल के कार्यालय और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को प्रश्नावली भेजी थी. तांत्रे का कहना है कि जम्मू कश्मीर पुलिस उन्हें और उनके परिवार को ‘लगातार’ परेशान कर रही है; उनका कहना है कि उनके पिता को उनके रिहाइशी ठिकाने के बारे में पूछताछ के लिए कश्मीर में पुलिस ने कई बार तलब किया है.

शाहिद का यह भी कहना है कि अधिकारियों ने उनसे कई बार उने लेखों में उल्लिखित स्रोतों के बारे में जानकारी देने के लिए कहा है.

तांत्रे बताते हैं कि हाल ही में 4 जून तक उनके पिता को कश्मीर में रेंगरेथ पुलिस ने उनके बारे में पूछताछ करने के लिए बुलाया था. उनके पिता ने जवाब दिया था कि वे रिपोर्टिंग असाइनमेंट पर दिल्ली में हैं. इसके बाद 5 जून को एक डीएसपी ने उनके पिता को कॉल करके कहा, ‘हमें आधे घंटे में बताओ कि क्या वो कश्मीर आएगा या हम अपनी सर्च पार्टी दिल्ली भेजें.’

तांत्रे के अनुसार, उसी रोज़ कारवां के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल ने संबंधित डीएसपी को फोन कर उन्हें बताया कि शाहिद एक रिपोर्टिंग असाइनमेंट पर दिल्ली में है, बल ने यह भी पूछा कि वे उनके बारे में क्यों पूछताछ कर रहे हैं. इसके जवाब में अधिकारी ने कहा, ‘हमें आपको यह बताने की जरूरत नहीं है…  हम जानते हैं कि उसे कहां तलाशना है.’

शाहिद ने बताया कि उसी रात कारवां और उन्होंने जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, जिनमें डीजीपी दिलबाग सिंह, आईजीपी विजय कुमार और श्रीनगर के एसएसपी श्रीनगर राकेश बलवाल शामिल थे, को आधिकारिक पत्र भेजे ताकि उन्हें कश्मीर पुलिस द्वारा की गई पूछताछ के मामले से अवगत कराया जा सके.

उनका कहना है कि अपने पत्रों में शीर्ष अधिकारियों से यह बताने के लिए कहा है कि क्या उनके खिलाफ कोई शिकायत या एफआईआर लंबित है और उनके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं. उन्होंने एफआईआर की एक प्रति मांगी है और कहा है कि अगर उन्हें कानून के अनुसार उचित नोटिस दिया जाएगा तो वह जांच में शामिल होंगे.

तांत्रे का कहना है कि जिन अधिकारियों को पत्र भेजे गए थे, उनसे अब तक पत्र प्राप्त हो जाने की कोई पावती नहीं मिली है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, पुलिस ने तांत्रे के आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि उसे कुछ प्रमुख व्यक्तियों का जीवन खतरे में डालने को लेकर पत्रकार के बारे में शिकायत मिली थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)