मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से टीवी चैनलों की बहस में शामिल न होने को कहा

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस्लामी स्कॉलर्स और बुद्धिजीवियों से अपील करते हुए कहा कि ऐसी बहसों का हिस्सा न बनें जिनका उद्देश्य इस्लाम और मुसलमानों का मज़ाक उड़ाना है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस तरह की बहसों में भाग लेकर मुसलमान ख़ुद ही ख़ुद को ज़लील कराने का कारण बनते हैं.

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(पतरीकात्मक फोटो, साभार: ट्विटर/@zoo_bear)

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस्लामी स्कॉलर्स और बुद्धिजीवियों से अपील करते हुए कहा कि ऐसी बहसों का हिस्सा न बनें जिनका उद्देश्य इस्लाम और मुसलमानों का मज़ाक उड़ाना है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस तरह की बहसों में भाग लेकर मुसलमान ख़ुद ही ख़ुद को ज़लील कराने का कारण बनते हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो, साभार: ट्विटर/@zoo_bear)

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने शुक्रवार को सभी इस्लामी विद्वानों और बुद्धिजीवियों से अपील की है कि वे उन टेलीविजन बहस में भाग न लें, जिनका एकमात्र उद्देश्य इस्लाम और मुस्लिमों का मजाक उड़ाना और अपमान करना है.

देश के विभिन्न हिस्सों में निलंबित भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बीच यह अपील की गई है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एआईएमपीएलबी के बयान में कहा गया है कि इस्लाम की सेवा करने के बजाय इस तरह की बहसों में भाग लेकर मुसलमान खुद ही खुद को ज़लील कराने का कारण बनते हैं.

बयान में कहा गया है, ‘इन कार्यक्रमों का उद्देश्य रचनात्मक संवाद के जरिये किसी निष्कर्ष पर पहुंचना नहीं होता है, बल्कि इस्लाम और मुसलमानों का उपहास बनाना और उन्हें नीचा दिखाना होता है.’

बयान में आगे कहा गया है, ‘थोड़ी-बहुत विश्वसनीयता हासिल करने के लिए इन टीवी चैनलों को अपनी बहसों में मुस्लिम चेहरों की जरूरत होती है… अगर हम ऐसे कार्यक्रमों और टीवी चैनलों का बहिष्कार करते हैं, तो इससे न सिर्फ उनकी टीआरपी काम होगी, बल्कि वे इन बहसों के माध्यम से अपने उद्देश्य पाने में विफल होंगे.’

एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता डॉ. एसक्यूआर इलियास ने कहा, ‘कुछ टीवी चैनल ऐसे हैं जो किसी मुद्दे को सही मायने में समझने या किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए इस तरह की बहस आयोजित नहीं कर रहे हैं. वे (बहस) सिर्फ सांप्रदायिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करने के लिए संचालित की जा रही हैं. वे अक्सर एक विशेष समुदाय, धर्म और विशेष व्यक्तित्व को नीचा दिखाते हैं, जैसा कि नूपुर शर्मा की बहस में हुआ.’

उन्होंने आगे कहा, ‘पैगंबर का अपमान कर उन्होंने न केवल भारतीय मुसलमानों, बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों को निशाना बनाया था. इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया लाजमी थी और इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धूमिल किया है. हमारा मानना है कि इस तरह की चर्चाओं में हिस्सा लेकर उन्हें (टीवी चैनलों और इन बहसों को) वैधता दी जा रही है, जो अब हम नहीं करेंगे.’

इलियास ने कहा कि बोर्ड पहले ही नूपुर शर्मा विवाद पर टिप्पणी कर चुका है और उसने कहा था कि भाजपा द्वारा केवल एक निलंबन कर देना पर्याप्त कार्रवाई नहीं है.

इलियास ने कहा, ‘पार्टी (भाजपा) के जो लोग जिम्मेदार रहे हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन जो लोग उनकी टिप्पणी का विरोध कर रहे हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है, इन आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो रही. हमने यह भी सवाल उठाया है कि इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री या गृहमंत्री की ओर से क्यों कोई जवाब नहीं आया है. वे चुप क्यों हैं?’

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