एमएसपी क़ानून नहीं बना तो किसानों की सरकार से बहुत भयानक लड़ाई होगी: सत्यपाल मलिक

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जयपुर में जाट समाज के एक कार्यक्रम को में एमएसपी क़ानून लाने का समर्थन करते हुए कहा कि धरना ख़त्म हुआ है, आंदोलन नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल के बतौर उनके कार्यकाल के चार महीने बाकी हैं, जिसके बाद वे किसानों के लिए काम करेंगे.

/
मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक. (फाइल फोटो: पीटीआई)

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जयपुर में जाट समाज के एक कार्यक्रम को में एमएसपी क़ानून लाने का समर्थन करते हुए कहा कि धरना ख़त्म हुआ है, आंदोलन नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल के बतौर उनके कार्यकाल के चार महीने बाकी हैं, जिसके बाद वे किसानों के लिए काम करेंगे.

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक. (फाइल फोटो: पीटीआई)

जयपुर: मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून नहीं बना तो देश में किसानों की सरकार के साथ बहुत भयानक लड़ाई होगी.

जयपुर में जाट समाज के एक कार्यक्रम को संबोंधित करते हुए मलिक ने कहा, ‘अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानून नहीं बना तो देश में किसानों की सरकार के साथ बहुत भयानक लड़ाई होगी. धरना खत्म हुआ है, आंदोलन खत्म नहीं हुआ.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे तो चार महीने रह गए हैं (राज्यपाल के पद पर)… मैं तो छोड़कर उसी (एमएसपी को लेकर किसानों के आंदोलन में) में कूद पडूंगा.’

जनसत्ता के अनुसार, उन्होंने कहा,  ‘मैं जेब में इस्तीफा लेकर घूमता हूं, मां के पेट से गवर्नर बन कर नहीं आया था. मैंने सोच रखा है कि रिटायर होने के बाद किसानों के हक के लिए पूरी ताकत से जुट जाउंगा. मेरा दो कमरे का घर ही मेरी ताकत है इसलिए किसी से भी पंगा ले लेता हूं. किसानों के लिए चार महीने में मैदान में उतर जाऊंगा.’

इसके साथ ही उन्होंने कॉरपोरेट जगत के चुनिंदा लोगों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री कुछ तो बताएं कि ये मालदार कैसे हो रहे हैं, जबकि लोग बर्बाद हो रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘धरना खत्म हुआ है, किसान आंदोलन खत्म नहीं हुआ. अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानून नहीं बना तो देश में किसानों की सरकार के साथ बहुत भयानक लड़ाई होगी.’

मेघायल के राज्यपाल ने कहा, ‘जब किसान आंदोलन कर रहे थे, तो वह प्रधानमंत्री के पास गए थे और उन्होंने कहा था कि ‘देखिए साहब इनके (किसानों के) साथ बहुत ज्यादती हो रही है.’

मलिक ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को सुझाव दिया कि इनको कुछ ले देकर निपटा दीजिए तो उन्होंने (प्रधानमंत्री ने) कहा चले जाएंगे… क्यों चिंता करते हो… मैंने कहा, साहब आप इनको जानते नहीं हो… ये तब जाएंगे जब आप (प्रधानमंत्री) चले जाएंगे.’

उन्होंने अडानी कंपनी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कुछ तो बताएं ये कैसे मालदार हो रहे हैं, जबकि लोग बर्बाद हो रहे हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि इनको (कॉरपोरेट के लोगों) को कोई इज्जत मत दीजिए… इनको सेठ भी कहिए और जब तक इन पर हमला नहीं होगा तब तक यह क्लास रुकेगी नहीं… हम नीचे जाते रहेंगे ये ऊपर जाते रहेंगे.’

मालूम हो बीते मई महीने में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एमएसपी पर कानून बनाने की वकालत करते हुए कहा था कि सरकार ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को समाप्त कराने के लिए जो वादे किए थे उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है.

मलिक ने तब भी कहा था कि किसानों ने केवल दिल्ली में अपना धरना समाप्त किया है, लेकिन तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ उनका आंदोलन अभी भी जीवित है.

इन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर तकरीबन एक साल तक प्रदर्शन किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  द्वारा विवादित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद किसानों ने ​बीते साल दिसंबर में अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था.

तब भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान नेताओं ने कहा था कि वे राष्ट्रीय राजधानी छोड़ रहे हैं, लेकिन अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे आंदोलन फिर से शुरू करेंगे.

बता दें कि सत्यपाल मलिक भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को कई बार, खासकर किसान आंदोलन से जुड़े मसलों को लेकर, आड़े हाथों ले चुके हैं.

अक्टूबर 2021 में उन्होंने कहा था कि यदि किसानों की मांगें स्वीकार नहीं की जाती हैं, तो भाजपा सत्ता में नहीं आएगी.

उस समय यह पूछे जाने पर कि क्या वह किसानों के साथ खड़े होने के लिए अपना पद छोड़ देंगे, मलिक ने कहा था कि वह किसानों के साथ खड़े हैं और वर्तमान में उन्हें पद छोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन जरूरत पड़ने पर वह ऐसा भी करेंगे.

उन्होंने लखीमपुर खीरी कांड को लेकर कहा था कि ‘केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को इस्तीफा देना चाहिए था. वैसे भी वह मंत्री मंत्री बनने के लायक नहीं हैं.’

नवंबर महीने में उन्होंने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा की आलोचना करते हुए कहा था कि एक नए संसद भवन के बजाय एक विश्व स्तरीय कॉलेज बनाना बेहतर होगा.

उस समय भी मालिक ने केंद्र पर किसानों की मौत को लेकर संवेदनशील रवैया न अपनाने पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था, ‘एक कुत्ता भी मरता है तो दिल्ली के नेताओं का शोक संदेश आता है लेकिन 600 किसानों का शोक संदेश का प्रस्ताव लोकसभा में पास नहीं हुआ.’

उल्लेखनीय है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले जाट नेता मलिक नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान जम्मू कश्मीर और गोवा के बाद वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25