शरद पवार पर ट्वीट मामले को लेकर छात्र की गिरफ़्तारी पर कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को लताड़ा

बॉम्बे हाईकोर्ट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट साझा करने को लेकर 14 मई से जेल में बंद 21 वर्षीय छात्र निखिल भामरे की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. अदालत ने महाराष्ट्र सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाई उस व्यक्ति (पवार) के नाम को नुकसान पहुंचाती है, जिसे दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला है.

शरद पवार (फोटो: रॉयटर्स)

बॉम्बे हाईकोर्ट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट साझा करने को लेकर 14 मई से जेल में बंद 21 वर्षीय छात्र निखिल भामरे की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. अदालत ने महाराष्ट्र सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाई उस व्यक्ति (पवार) के नाम को नुकसान पहुंचाती है, जिसे दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला है.

शरद पवार (फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के खिलाफ कथित मानहानिकारक ट्वीट करने के लिए 21 वर्षीय छात्र की गिरफ्तारी को लेकर सोमवार को महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई की और पूछा कि क्या सरकार आपत्तिजनक लगने वाले हर ट्वीट पर संज्ञान लेगी?

उच्च न्यायालय ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार भी नहीं चाहेंगे कि छात्र को जेल में रखा जाए.

जस्टिस एसएस शिंदे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लोक अभियोजक को राज्य के गृह विभाग से निर्देश लेने और यह बताने का निर्देश दिया कि क्या वह फार्मेसी छात्र की रिहाई के लिए अनापत्ति पत्र देने को तैयार हैं.

अदालत छात्र निखिल भामरे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसके खिलाफ दर्ज मामलों को चुनौती देने के साथ ही तत्काल रिहाई का अनुरोध किया गया था.

अदालत ने भामरे द्वारा किए गए ट्वीट पर गौर करने के बाद कहा कि इनमें किसी का नाम नहीं लिया गया है.

अपने ट्वीट में, भामरे ने कथित तौर पर कहा था कि ‘बारामती के गांधी के लिए बारामती के नाथूराम गोडसे’ को पैदा करने का समय आ गया है. हालांकि, उन्होंने ट्वीट में किसी नेता या राजनीतिक दल के नाम का जिक्र नहीं किया था.

जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस मिलिंद जाधव की पीठ ने कहा कि यह पहले कभी नहीं सुना कि है एक छात्र को ट्वीट पर हिरासत में रखा जा रहा है.

पीठ ने कहा, ‘हर रोज सैकड़ों और हजारों ट्वीट होते हैं. क्या आप हर ट्वीट पर संज्ञान लेंगे? हम इस तरह की एफआईआर नहीं चाहते हैं.’

जिस दिन (14 मई) भामरे को गिरफ्तार किया गया था, उसी दिन मराठी अभिनेत्री केतकी चिताले को भी एक फेसबुक पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसमें पवार का नाम नहीं था, लेकिन कथित तौर निशाना उन पर ही साधा गया था. चिताले की याचिका पर भी अदालत की इसी पीठ को सुनवाई करनी थी, जो कि 10 जून को संभावित थी. हालांकि, अभी तक इस मामलें में आगे की कोई जानकारी सामने नहीं आई है. चिताले के खिलाफ कुल 14 एफआईआर दर्ज हैं.

इस बीच, अदालत ने भामरे द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर पोस्ट किए गए ट्वीट्स पर गौर करने के बाद कहा कि उनमें किसी का नाम नहीं लिया गया है.

जस्टिस शिंदे ने कहा, ‘किसी का नाम नहीं लिया गया है… और आप किसी को एक महीने के लिए जेल में रखे हो. यह क्या आधार है?’

जस्टिस शिंदे ने आगे कहा कि संभवत: पवार की प्रतिष्ठा के लिए अधिक हानिकारक (पोस्ट की तुलना में) इस तरह के मामले में किसी व्यक्ति को आरोपी बनाना है.

बार एंड बेंच के मुताबिक, जज ने कहा, ‘यदि आप इस तरह की कार्रवाई करना शुरू करते हैं, तो आप उस व्यक्ति के नाम को नुकसान पहुंचाते हैं जिसे (पवार) दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला है. इस तरह छात्र को जेल में रखा जाना भी (पवार जैसे) विशाल व्यक्तित्व को पसंद नहीं आएगा. हम नहीं चाहते कि बड़ी हस्तियों की प्रतिष्ठा नीचे गिरे.’

एनडीटीवी के मुताबिक, स्नातक के छात्र और किसान के बेटे भामरे के खिलाफ कुल छह एफआईआर दर्ज हैं. उनके खिलाफ लगाई धाराओं में आपराधिक धमकी और अशांति फैलाने जैसे आरोप हैं. वे संघ परिवार से जुड़कर लंबे समय से काम कर रहे हैं.

मामले की अगली सुनवाई 16 जून को होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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