राष्ट्रपति चुनाव: शरद पवार ने उम्मीदवार बनने से इनकार किया, ममता की बैठक में शामिल हुए 17 दल

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों को एक बैठक में आमंत्रित किया था. बैठक में ऐसा साझा उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया गया, जो मोदी सरकार को भारत के सामाजिक ताने-बाने और लोकतंत्र को आगे और नुकसान पहुंचाने से रोके. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होने हैं.

New Delhi: Samajwadi Party President Akhilesh Yadav, PDP Chief Mehbooba Mufti, West Bengal Chief Minister and TMC Chief Mamata Banerjee, NCP Chief Sharad Pawar and Congress leader Mallikarjun Kharge during a press conference after the opposition leaders meeting regarding upcoming Presidential elections, in New Delhi, Wednesday, June 15, 2022. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI06 15 2022 000162B)

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों को एक बैठक में आमंत्रित किया था. बैठक में ऐसा साझा उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया गया, जो मोदी सरकार को भारत के सामाजिक ताने-बाने और लोकतंत्र को आगे और नुकसान पहुंचाने से रोके. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होने हैं.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, राकांपा प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली में आगामी राष्ट्रपति चुनावों के संबंध में विपक्षी नेताओं की बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में बुधवार को कई दलों के नेताओं ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार को संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने एक बार फिर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

सूत्रों के मुताबिक पवार द्वारा प्रस्ताव को ठुकराए जाने के बाद विपक्ष के संभावित उम्मीदवार के रूप में वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के नाम भी सामने आएं.

राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर आम सहमति बनाने के लिए बनर्जी द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की इस बैठक में कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), राकांपा और समाजवादी पार्टी (सपा) सहित करीब 17 राजनीतिक दलों के नेता शरीक हुए.

सूत्रों के मुताबिक विपक्षी दलों की एक और बैठक पवार ने 20 जून को बुलाई है.

बैठक के बाद पवार ने एक ट्वीट में कहा, ‘मैं विपक्षी दलों का आभारी हूं कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर दिल्ली में आज (बुधवार) हुई बैठक में मेरे नाम का सुझाव दिया. हालांकि मैं यह बताना चाहता हूं कि मैंने विनम्रता से इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे आम आदमी की भलाई के लिए अपनी सेवा जारी रखने में खुशी हो रही है.’

इस बैठक में एक प्रस्ताव भी पारित किया. इसमें कहा गया, ‘भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के साल हो रहे आगामी राष्ट्रपति चुनाव में हमने एक साझा उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है, जो संविधान की रक्षा करे और मोदी सरकार को भारत के सामाजिक ताने-बाने और लोकतंत्र को आगे और नुकसान पहुंचाने से रोके.’

बनर्जी ने कहा कि इस बैठक का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि एक या दो को छोड़कर सभी दलों ने अपने प्रतिनिधियों को भेजा और उनके वरिष्ठ नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया.

उन्होंने कहा, ‘हमारा उम्मीदवार आम सहमति का होगा. सभी दलों ने सर्वसम्मति से शरद जी का नाम दिया, लेकिन उन्होंने ना कह दिया. उन्होंने कहा कि वह उम्मीदवार बनना नहीं चाहते.’

बनर्जी ने आरोप लगाया कि देश के संस्थानों को रौंदा जा रहा है और इसलिए जरूरी है कि ‘हम सभी साथ हों’.

अखिलेश यादव ने कहा कि बैठक में बहुत सारे वरिष्ठ नेता थे और उन्होंने पवार से आग्रह किया कि वे इस बैठक की अध्यक्षता करें.

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और वाम दलों के नेता इस बैठक में शरीक हुए, जबकि आम आदमी पार्टी (आप), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और बीजू जनता दल (बीजद) ने इससे दूरी बनाए रखना मुनासिब समझा.

शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भाकपा-एमएल, नेशनल कॉन्फ्रेंस(नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडपी) जद(से), आरएसपी, आईयूएएमएल, राष्ट्रीय लोकदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी बैठक में शरीक हुए.

राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया बुधवार से ही शुरू हुई है.

बैठक के बाद द्रमुक नेता टीआर बालू ने पत्रकारों से चर्चा में कहा, ‘सभी दलों के नेताओं ने शरद पवार से आग्रह किया कि वह राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ें, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया.’

उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं ने अनुरोध किया कि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पवार और बनर्जी को सभी गैर-भारतीय जनता पार्टी, दलों से संपर्क कर उनसे बातचीत करनी चाहिए, ताकि संयुक्त विपक्ष की ओर से किसी उम्मीदवार के नाम पर चर्चा कर सहमति बनाई जा सके.

राजद के मनोज झा ने हालांकि कहा कि सभी नेता पवार से फिर से आग्रह करेंगे कि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करें क्योंकि वह उपयुक्त उम्मीदवार हैं.

भाकपा के विनय विस्वम ने कहा, ‘बैठक में यह आम राय थी कि विपक्ष की ओर से एक ही उम्मीदवार होना चाहिए जो सभी को स्वीकार्य हो.’

उन्होंने कहा कि बैठक में सिर्फ शरद पवार का नाम सामने आया.

रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि बनर्जी ने बाद में विपक्ष के संभावित उम्मीदवार के रूप में वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के नाम भी सुझाए.

राकांपा के शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सुरजेवाला, जनता दल (सेक्युलर) के एचडी देवगौड़ा और एसडी कुमार स्वामी, सपा के अखिलेश यादव, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला बैठक में शरीक होने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल थे.

बैठक तीन बजे आरंभ होकर करीब पांच बजे समाप्त हुई.

बनर्जी ने पिछले हफ्ते सात मुख्यमंत्रियों सहित 19 दलों के नेताओं को राष्ट्रीय राजधानी में एक बैठक में शामिल होने का न्योता दिया था, ताकि 18 जुलाई को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों के बीच एक संयुक्त उम्मीदवार पर आम सहमति बन सके.

बैठक से एक दिन पहले ममता और वाम दलों के नेताओं ने राकांपा प्रमुख से उनके आवास पर अलग-अलग मुलाकात की थी, ताकि उन्हें शीर्ष संवैधानिक पद के लिए विपक्ष का साझा उम्मीदवार बनने के लिए मनाया जा सके.

कुछ प्रमुख दल बैठक में अनुपस्थित रहे

रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि बनर्जी ने 22 दलों को बैठक में आमंत्रित किया था, लेकिन पांच राज्यों में सत्ता में रहने वाले प्रमुख दल इससे दूर रहे.

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) अनुपस्थित थे, जाहिर तौर पर ऐसा कांग्रेस की भागीदारी के कारण है.

ओडिशा और आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ दल नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और वाईएस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी भी अनुपस्थित रही.

जहां तक ​​आम आदमी पार्टी का सवाल है, जो दिल्ली और पंजाब में सत्ता में है, उसने बैठक से अनुपस्थित रहने का कारण कांग्रेस की मौजूदगी का हवाला दिया और कहा कि वह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा के बाद ही इस मामले पर विचार करेगी.

टीआरएस ने भी यही कारण बताते हुए अपनी अनुपस्थिति की व्याख्या की और कहा कि कांग्रेस के साथ किसी भी मंच को साझा करने का कोई सवाल ही नहीं है.

इसने कांग्रेस पर तेलंगाना में भाजपा के साथ गठजोड़ करने का भी आरोप लगाया, खासकर हाल के उपचुनावों में. इसके अलावा इसने कहा कि उसने कांग्रेस को बैठक में आमंत्रित करने पर पहले ही आपत्ति जताई थी.

दूसरी ओर, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया है कि उनकी पार्टी को आमंत्रित नहीं किया गया था.

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर सहमति बनाने में रचनात्मक भूमिका निभाएंगे: कांग्रेस

इस बीच कांग्रेस ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार होने की पैरवी करते हुए बुधवार को कहा कि इस पर सहमति बनाने में वह रचनात्मक भूमिका निभाएगी.

मल्लिकार्जुन खड़गे. (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक कहा कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो संविधान, देश की संस्थाओं और समाज के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने की रक्षा करने की प्रतिबद्धता रखता हो.

खड़गे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अस्वस्थ होने का उल्लेख करते हुए कहा, ‘राष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद सोनिया जी ने मुझसे कहा कि मैं साझा उम्मीदवार की संभावना को लेकर उन विभिन्न दलों के नेताओं से बात करूं, जो आरएसएस-भाजपा की विभाजनकारी और विध्वंसक नीतियों के खिलाफ हैं. अब ममता जी ने यह बैठक बुलाई है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि कांग्रेस यह सुनिश्चित करने में रचनात्मक भूमिका निभाएगी कि यहां मौजूद दल अगले कुछ दिनों में उम्मीदवार को लेकर सहमति बना लें. हमें अति सक्रिय होना है, प्रतिक्रियाशील नहीं होना है. कांग्रेस पार्टी के ध्यान में फिलहाल कोई उम्मीदवार नहीं है. वह आप सभी लोगों के साथ बैठेगी और एक ऐसे उम्मीवार पर सहमति बनाएगी जो सबको स्वीकार हो.’

उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो संविधान, इसके मूल्यों, सिद्धांतों और प्रावधानों को अक्षरश: बरकरार रखे.’

खड़गे के अनुसार, राष्ट्रपति पद का साझा उम्मीदवार ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो भारतीय लोकतंत्र की सभी संस्थाओं की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हो, सभी नागरिकों के अधिकारों, देश के विविध समाज के धर्म-निरपेक्ष तानेबाने की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हो तथा पूर्वाग्रह, नफरत, कट्टरता और ध्रुवीकरण के खिलाफ खुलकर बोलने के लिए प्रतिबद्ध हो तथा सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण को मबजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हो.

उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं जानता हूं कि विधानसभा चुनावों में कई दल एक दूसरे के खिलाफ मुकाबले में थे. परंतु इससे यह बैठक होने में कोई रुकावट नहीं आई. हम सभी ने व्यापक राष्ट्रीय नजरिये को महत्व दिया है और यहां बड़े मकसद से आए हैं. इस भावना को जारी रखा जाए.’

भाजपा ने प्रमुख विपक्षी नेताओं से साधा संपर्क, नीतीश और नवीन से भी की बात

राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही बुधवार को जहां विपक्षी दलों ने अपनी तरफ से चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार उतारने के लिए कुछ नामों पर मंथन किया वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से भी इस मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए कुछ सहयोगी दलों के साथ ही कुछ प्रमुख विपक्षी नेताओं और कुछ गैर-राजग व गैर-संप्रग दलों के नेताओं से बातचीत की गई.

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह. (फोटो: पीटीआई)

विचार-विमर्श की इस प्रक्रिया के तहत रक्षा मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने कांग्रेस नेता व राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी, बीजू जनता दल (बीजद) अध्यक्ष व ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव से बात की.

भाजपा ने गत रविवार को राजनाथ सिंह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए अधिकृत किया था.

नड्डा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला से बात की. इसके अलावा उन्होंने नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) और कुछ निर्दलियों से भी बात की.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सिंह ने जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती और वाईएसआर कांग्रेस नेता जगन मोहन रेड्डी से भी फोन पर बात की.

सिंह ने कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बीजद और सपा सहित अन्य विपक्षी दलों से अपनी बात के दौरान उम्मीदवार को लेकर उनकी प्राथमिकता जाननी चाही, जबकि विपक्षी नेताओं ने सिंह से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम जानना चाहा.

इत्तेफाक से खड़गे, बनर्जी, पवार और यादव, ममता बनर्जी द्वारा संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने के लिए राजधानी दिल्ली में बुधवार को बुलाई गई बैठक का हिस्सा थे.

वर्ष 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्षी दलों ने भाजपा पर अंतिम समय में उनसे संपर्क करने का आरोप लगाया था, क्योंकि उसने पहले ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में रामनाथ कोविंद के नाम को अंतिम रूप दे दिया था.

विपक्ष ने मीरा कुमार को चुनाव मैदान में उतारा था, जो कोविंद से हार गई थीं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होगा. मतगणना 21 जुलाई को होगी.

चुनाव के लिए मतदाताओं की कुल संख्या 4,809 है, जिसमें 776 सांसद और 4,033 विधायक होंगे. राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान संसद और राज्य विधानसभाओं के परिसर में होगा, जबकि राज्यसभा के महासचिव रिटर्निंग ऑफिसर होंगे. आम तौर पर, सांसद संसद में और विधायक अपने-अपने राज्य की विधानसभा में मतदान करते हैं.

राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और दिल्ली तथा केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी सहित सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं.

राज्यसभा और लोकसभा या राज्यों की विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल होने के पात्र नहीं हैं, इसलिए, वे चुनाव में भाग लेने के हकदार नहीं होते. इसी तरह, विधान परिषदों के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदाता नहीं होते हैं.

पहले दिन 11 उम्मीदवारों ने किया नामांकन; एक का पर्चा खारिज

आगामी 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए पहले दिन बुधवार को 11 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया और उनमें से एक का पर्चा उचित दस्तावेजों के अभाव में खारिज कर दिया गया.

नामांकन प्रक्रिया बुधवार को अधिसूचना जारी होने के साथ शुरू हुई जो 29 जून तक चलेगी.

संसदीय सूत्रों ने कहा कि बिहार के सारण से ‘लालू प्रसाद यादव’ नाम के एक व्यक्ति भी नामांकन दाखिल करने वालों में शामिल हैं.

उम्मीदवारों में से एक का नामांकन खारिज कर दिया गया, क्योंकि उस व्यक्ति ने संबंधित संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए वर्तमान मतदाता सूची में अपना नाम दिखाने वाली प्रविष्टि की प्रमाणित प्रति संलग्न नहीं की थी.

बुधवार को नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवार दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से हैं.

चुनाव के लिए उम्मीदवार का नामांकन पत्र निर्धारित प्रारूप में बनाया जाना होता है और प्रस्तावक के रूप में कम से कम 50 निर्वाचकों तथा समर्थक के रूप में कम से कम 50 निर्वाचकों की सहमति होनी चाहिए. इसके लिए 15 हजार रुपये की जमानत राशि भी जमा करानी होती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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