आईएसआईएस ने काबुल गुरुद्वारा हमले की ज़िम्मेदारी ली, पैगंबर के ‘अपमान’ का हवाला दिया: रिपोर्ट

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में कार्ते परवान गुरुद्वारे पर शनिवार सुबह की प्रार्थना के समय आतंकवादियों ने हमला कर दिया था, जिसमें एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ‘बर्बर’ आतंकवादी हमले की निंदा की है.

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काबुल स्थित गुरुद्वारे पर शनिवार को हुए हमले में दो लोगों की मौत हो गई थी. (फोटो साभार: ट्विटर/@JKSinghCH)

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में कार्ते परवान गुरुद्वारे पर शनिवार सुबह की प्रार्थना के समय आतंकवादियों ने हमला कर दिया था, जिसमें एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ‘बर्बर’ आतंकवादी हमले की निंदा की है.

काबुल स्थित गुरुद्वारे पर शनिवार को हुए हमले में दो लोगों की मौत हो गई थी. (फोटो साभार: ट्विटर/@JKSinghCH)

काबुल/नई दिल्ली: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार को एक गुरुद्वारे में कई विस्फोट हुए, जिनमें एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए. वहीं, अफगान सुरक्षाकर्मियों ने विस्फोटक लदे एक वाहन को गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोककर एक बड़ी घटना को टाल दिया.

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, आतंकी संगठन आईएसआईएस ने काबुल में हुए गुरुद्वारे पर हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह पैगंबर मोहम्मद के ‘अपमान’ का प्रतिशोध था.

अपनी प्रचार साइट ‘अमाक’ पर पोस्ट किए गए एक संदेश में आईएसआईएस ने कहा कि शनिवार के हमले में हिंदुओं और सिखों और ‘धर्मभ्रष्ट’ (Apostates) को लक्षित किया गया.

आतंकी संगठन ने कहा, ‘उसके एक लड़ाके ने काबुल में हिंदू और सिख बहुदेववादियों के लिए एक आस्थास्थल में इसके गार्ड को मारने के बाद प्रवेश किया और अपनी मशीन गन और हथगोले से अंदर रहे बुतपरस्तों (नास्तिक) पर गोलियां चला दीं.’

हाल के महीनों में महिलाओं और बच्चों सहित कई सिखों ने उस गुरुद्वारा परिसर में शरण ली थी, जिस पर शनिवार को हमला किया गया था.

सूत्रों ने कहा कि लगभग 25-30 अफगान सिख और हिंदू काबुल में अफगान सिख समुदाय के केंद्रीय गुरुद्वारा ‘गुरुद्वारा दशमेश पिता गुरु गोबिंद सिंह कार्ते परवान’ में ‘सुखमनी साहिब’ या सुबह की प्रार्थना के लिए एकत्र हुए थे, जब बंदूकधारियों के एक समूह, जिनकी संख्या संभवत: चार थी गुरुद्वारे पर धावा बोल दिया और गोलियां चला दीं.

काबुल से द संडे एक्सप्रेस से बात करते हुए अफगान हिंदू सिख अल्पसंख्यक परिषद के अध्यक्ष राम सरन भसीन ने कहा कि दो मृतकों की पहचान गुरुद्वारे के स्थानीय सुरक्षा गार्ड अहमद और दक्षिण-पूर्व अफगानिस्तान के गजनी निवासी 60 वर्षीय सविंदर सिंह के रूप में हुई है. सविंदर सिंह का परिवार दिल्ली में रहता है.

तालिबान द्वारा नियुक्त गृह मामलों के प्रवक्ता अब्दुल नफी ताकोर ने कहा कि अफगानिस्तान में सिख समुदाय के पूजा स्थल पर नवीनतम लक्षित हमले (Targeted Attack) में शनिवार सुबह काबुल के बाग-ए-बाला क्षेत्र में कार्ते परवान गुरुद्वारे पर हमला हुआ और आतंकवादियों तथा तालिबान लड़ाकों के बीच कई घंटे तक मुठभेड़ चली.

पझवोक समाचार एजेंसी ने बताया कि तालिबान सुरक्षा बलों ने तीन हमलावरों को मार गिराया.

ताकोर ने पुष्टि की कि इस घटना में इस्लामिक अमीरात बलों का कम से कम एक सदस्य और एक अफगान सिख नागरिक की मौत हो गई तथा सात अन्य घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार, विस्फोटकों से लदे एक वाहन को लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया.

बीबीसी ने बताया कि गुरुद्वारे पर सुबह के समय जब हमला किया गया तो उस समय 30 लोग अंदर थे.

ताकोर ने कहा कि विस्फोटकों से भरे एक वाहन में गुरुद्वारे के बाहर विस्फोट हो गया, लेकिन इसमें कोई हताहत नहीं हुआ.

समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से बताया कि पहले बंदूकधारियों ने एक हथगोला फेंका, जिससे गुरुद्वारे के गेट के पास आग लग गई.

काबुल पुलिस के प्रवक्ता खालिद जादरान ने कहा कि कई घंटे बाद आखिरी हमलावर के मारे जाने के साथ पुलिस अभियान समाप्त हो गया.

उन्होंने कहा, ‘सुरक्षाबल हमले को नियंत्रित करने और कम समय में हमलावरों को खत्म करने के लिए तेजी से कार्रवाई करने में सक्षम थे ताकि और लोग हताहत न हों.’

नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में स्थित गुरुद्वारा कार्ते परवान पर ‘बर्बर’ आतंकवादी हमले की निंदा की.

मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘काबुल में कार्ते परवान गुरुद्वारे पर कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले से स्तब्ध हूं. मैं इस बर्बर हमले की निंदा करता हूं और श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सलामती के लिए प्रार्थना करता हूं.’

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस ‘कायराना हमले’ की कड़ी निंदा की और कहा कि सरकार घटना के बाद स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है.

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘गुरुद्वारा कार्ते परवान पर कायरतापूर्ण हमले की कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए. हमले की खबर मिलने के बाद से हम घटनाक्रम पर करीब से नजर रखे हुए हैं. हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण चिंता समुदाय के कल्याण के लिए है.’

वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने ट्वीट में कहा, ‘हम काबुल में पवित्र गुरुद्वारे पर हमले की खबरों को लेकर अत्यंत चिंतित हैं. हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और हो रहे घटनाक्रम पर आगे के ब्योरे की प्रतीक्षा कर रहे हैं.’

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी हमले की कड़ी निंदा की और केंद्र से अफगानिस्तान की राजधानी में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सहायता प्रदान करने का आग्रह किया.

भारतीय जनता पार्टी के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी हमले की निंदा की और कहा कि इस हमले ने अफगानिस्तान में शांति की सिख समुदाय की उम्मीदें तोड़ दी.

यह हमला इसी महीने भारत से अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के वितरण पर चर्चा करने के लिए काबुल में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के बाद हुआ है.

अफगान और भारतीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडल ने तालिबान के अधिकारियों के साथ भारतीय दूतावास को फिर से खोलने की संभावना पर चर्चा की थी, जिसे पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद बंद कर दिया गया था.

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से पूरे अफगानिस्तान में बम विस्फोटों की संख्या में कमी आई है, लेकिन हाल के महीनों में कई हमलों ने देश को झकझोर कर रख दिया है, जिनमें आईएसआईएस द्वारा जिम्मेदारी लिए गए कई हमले भी शामिल हैं.

अतीत में इस्लामिक स्टेट इन खुरासन (आईएस-के) देशभर में मस्जिदों और अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है.

तालिबान की तरह आईएसआईएस भी एक सुन्नी इस्लामी समूह है, दोनों कड़वे प्रतिद्वंद्वी हैं और वैचारिक आधार पर बहुत भिन्न हैं.

चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से बताया, ‘हमने स्थानीय समयानुसार सुबह करीब छह बजे कार्ते परवान इलाके में विस्फोट की आवाज सुनी. पहले विस्फोट के लगभग आधे घंटे के बाद दूसरा विस्फोट हुआ. फिलहाल पूरे इलाके को सील कर दिया गया है.’

उसने बताया कि सुरक्षाबलों ने एहतियात के तौर पर इलाके की घेराबंदी कर दी.

प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक, विस्फोट के कारण आसमान में धुएं का गुबार छा गया. हमले के बाद से पूरे इलाके में दहशत का माहौल हो गया.

समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, 2020 के गुरुद्वारा हमले के समय अफगानिस्तान में 700 से कम सिख और हिंदू थे. तब से दर्जनों परिवार अन्यत्र चले गए हैं, लेकिन कई आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण दूसरे देश नहीं जा पाए हैं और वे अफगानिस्तान में ही, मुख्यत: काबुल, जलालाबाद तथा गजनी में रह रहे हैं.

सिख समुदाय के नेताओं का अनुमान है कि तालिबान शासित अफगानिस्तान में सिर्फ 140 सिख बचे हैं, जिनमें से ज्यादातर पूर्वी शहर जलालाबाद और राजधानी काबुल में हैं. 1970 के दशक में इनकी आबादी लगभग पांच लाख थी.

पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से देश में प्रतिद्वंद्वी सुन्नी मुस्लिम आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट के हमले लगातार जारी हैं.

शनिवार की घटना अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के पूजा स्थल पर नवीनतम हमला है.

इससे पहले, मार्च 2020 में काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 25 श्रद्धालु मारे गए थे और आठ अन्य घायल हुए थे. यह हमला अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक सिख समुदाय पर हुए सबसे घातक हमलों में से एक था.

शोर बाजार इलाके में हुए इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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