आठ राष्ट्रीय दलों ने कुल 1373.78 करोड़ रुपये की आय घोषित की, भाजपा की हिस्सेदारी 55 फ़ीसदी रही

चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने कहा है कि भाजपा ने आठ राष्ट्रीय दलों के बीच सबसे अधिक आय वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 752.33 करोड़ रुपये दिखाई है. यह इन दलों की कुल आय का 54.76 प्रतिशत है. इसके बाद 285.76 करोड़ रुपये की आय के साथ कांग्रेस दूसरे और 171.04 करोड़ रुपये की आय के साथ माकपा तीसरे नंबर पर रही.

/
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने कहा है कि भाजपा ने आठ राष्ट्रीय दलों के बीच सबसे अधिक आय वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 752.33 करोड़ रुपये दिखाई है. यह इन दलों की कुल आय का 54.76 प्रतिशत है. इसके बाद 285.76 करोड़ रुपये की आय के साथ कांग्रेस दूसरे और 171.04 करोड़ रुपये की आय के साथ माकपा तीसरे नंबर पर रही.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: आठ राष्ट्रीय दलों ने वित्त वर्ष 2020-21 में कुल 1,373.78 करोड़ रुपये की आय घोषित की है, जिसमें भाजपा की हिस्सेदारी लगभग 55 प्रतिशत है. चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने यह जानकारी अपने अध्ययन में मुहैया कराई है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), तृणमूल कांग्रेस और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) निर्वाचन आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त आठ राष्ट्रीय दल हैं.

एडीआर ने एक बयान में कहा कि आठ राष्ट्रीय दलों ने वित्त वर्ष 2020-21 में पूरे भारत से एकत्रित 1,373.78 करोड़ रुपये की कुल आय घोषित की है.

निर्वाचन आयोग के समक्ष राजनीतिक दलों द्वारा प्रस्तुत विवरण का हवाला देते हुए एडीआर ने कहा कि भाजपा ने राष्ट्रीय दलों के बीच सबसे अधिक आय वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 752.33 करोड़ रुपये दिखाई है. एडीआर ने कहा कि यह वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान आठ राष्ट्रीय दलों की कुल आय का 54.76 प्रतिशत है.

बयान में कहा गया कि दूसरे स्थान पर कांग्रेस रही, जिसने 285.76 करोड़ रुपये की आय घोषित की, जो राष्ट्रीय दलों की कुल आय का 20.80 प्रतिशत है.

इसके बाद माकपा ने 171.04 करोड़ रुपये और तृणमूल कांग्रेस ने 74.41 करोड़ रुपये की आय घोषित की. फिर बसपा (52.46 करोड़ रुपये), राकांपा (34.92 करोड़ रुपये), भाकपा (2.12 करोड़ रुपये) और नेशनल पीपल्स पार्टी (69 लाख रुपये) का स्थान रहा.

इसके अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 के बीच, भाजपा की आय 79.24 प्रतिशत घटकर 3,623.28 करोड़ रुपये से वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 752.33 करोड़ रुपये हो गई. कांग्रेस की आय वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 682.21 करोड़ रुपये से 58.11 प्रतिशत घटकर वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 285.76 करोड़ रुपये हो गई.

एडीआर के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 के बीच तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, बसपा, भाकपा और एनपीपी की आय में क्रमश: 48.20 प्रतिशत, 59.19 प्रतिशत, 9.94 प्रतिशत, 67.65 प्रतिशत और 62.91 प्रतिशत की कमी आई.

द हिंदू के अनुसार, भाजपा ने जहां अपनी आय का 82 फीसदी खर्च किया, वहीं कांग्रेस ने अपनी कमाई का 73.14 फीसदी व्यय किया. वहीं तृणमूल कांग्रेस का खर्च उसकी कमाई से 78.10 प्रतिशत अधिक था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के लिए आय का प्राथमिक स्रोत स्वेच्छा से दिया गया चंदा (Voluntary Contributions) था, जबकि कांग्रेस को अपनी अधिकांश आय कूपन जारी करके और बसपा को बैंक के ब्याज से मिली.

भाजपा का सबसे अधिक खर्च चुनाव और सामान्य प्रचार के लिए 421.01 करोड़ रुपये हुआ, इसके बाद प्रशासनिक मद में 145.68 करोड़ रुपये का खर्च हुआ.  कांग्रेस ने चुनाव पर 91.35 करोड़ रुपये और उसके बाद संगठन के कामकाज पर 88.43 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

तृणमूल कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 90.41 करोड़ रुपये चुनावी खर्च पर, उसके बाद 3.96 करोड़ रुपये प्रशासनिक और अन्य कार्यों पर खर्च किए. राकांपा ने अपने कुल खर्च का 84 प्रतिशत ‘प्रशासन और सामान्य व्यय’ पर किया.

भाजपा, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस ने चुनावी बांड से क्रमश: 22.38 करोड़ रुपये, 42 करोड़ रुपये और 10.07 करोड़ रुपये की आय घोषित की.

एडीआर की रिपोर्ट में पाया गया कि सभी दलों ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट निर्धारित समय सीमा के बाद 59 दिनों (बसपा) से लेकर 201 दिनों (भाजपा) के बीच जमा की.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)