भारतीय कॉलेजों में दाख़िले की मांग को लेकर यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों ने भूख हड़ताल की

युद्धग्रस्त यूक्रेन से लौटे इन भारतीय मेडिकल छात्रों ने दाख़िले की मांग पर राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर में भूख हड़ताल कर कहा कि एमबीबीएस अंतिम वर्ष में छात्रों को छोड़कर उनकी संख्या लगभग 12,000 है और देश में कम से कम 600 मेडिकल कॉलेज हैं, इसलिए प्रत्येक संस्थान को केवल 20 छात्रों को अपने यहां समायोजित करने की ज़रूरत है. इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है.

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जून में दिल्ली स्थित भारतीय चिकित्सा आयोग के बाहर यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों ने एडमिशन की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. (फोटो साभार: ट्विटर/@SnehalD05559725)

युद्धग्रस्त यूक्रेन से लौटे इन भारतीय मेडिकल छात्रों ने दाख़िले की मांग पर राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर में भूख हड़ताल कर कहा कि एमबीबीएस अंतिम वर्ष में छात्रों को छोड़कर उनकी संख्या लगभग 12,000 है और देश में कम से कम 600 मेडिकल कॉलेज हैं, इसलिए प्रत्येक संस्थान को केवल 20 छात्रों को अपने यहां समायोजित करने की ज़रूरत है. इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है.

बीते दिनों दिल्ली स्थित भारतीय चिकित्सा आयोग के बाहर भी यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों ने एडमिशन की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. (फोटो साभार: @SnehalD05559725)

नई दिल्ली: युद्धग्रस्त यूक्रेन से निकाले गए भारतीय मेडिकल छात्रों ने देश के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन की मांग को लेकर बीते रविवार को राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर भूख हड़ताल की.

उन्होंने कहा कि अंतिम वर्ष में छात्रों को छोड़कर वे लगभग 12,000 छात्र हैं और चूंकि देश में कम से कम 600 मेडिकल कॉलेज हैं, इसलिए प्रत्येक संस्थान को केवल 20 छात्रों को समायोजित करने की आवश्यकता है.

इस विरोध प्रदर्शन में करीब 350 लोगों ने हिस्सा लिया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, पैरेंट्स एसोसिएशन ऑफ यूक्रेन मेडिकल स्टूडेंट्स (पीएयूएमएस) के अध्यक्ष आरबी गुप्ता ने कहा कि इनमें से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के 35 छात्र (रविवार) सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक भूख हड़ताल पर बैठे.

उन्होंने कहा, ‘हमने जंतर मंतर पर एक मार्च भी निकाला. हम अपने बच्चों को भारतीय कॉलेजों में समायोजित करने में सरकार की मदद चाहते हैं. मेरा बच्चा (यूक्रेन के शहर) इवानो में दूसरे वर्ष की पढ़ाई कर रहा था. हम केवल सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि इन बच्चों को एक बार के रूप में समायोजित किया जाए.’

पैरेंट्स एसोसिएशन ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है.

पत्र के अनुसार, ‘लगभग 15,000-16,000 मेडिकल छात्र हैं, जिनमें से लगभग 3,000 अंतिम वर्ष में हैं, जिनके लिए एनएमसी (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) ने भारत में अपनी इंटर्नशिप पूरी करने की अनुमति दी है, जो राहत की बात है। अब इन्हें छोड़कर हमारे पास लगभग 12,000 छात्रों बच रहे हैं, जिन्हें प्रवेश दिया जाना है. भारत में लगभग 606 मेडिकल कॉलेज हैं, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक कॉलेज को केवल 20-21 छात्रों को अपने यहां समायोजित करना होगा.’

आगे कहा गया है, ‘यह एक अप्रत्याशित युद्ध की स्थिति है, जिसके लिए असाधारण सोच, कदम और समाधान की आवश्यकता है. हमें उम्मीद है कि यूक्रेन से लौटे सभी एमबीबीएस छात्रों को समायोजित करने के संबंध में निर्णय लेते समय एक उदार दृष्टिकोण अपनाया जाएगा. हमारे अनुरोध को अच्छी तरह से लिया जा सकता है और तदनुसार कार्य किया जा सकता है. हम बहुत आभारी होंगे.’

यूक्रेन के खिलाफ रूसी सेना के हमले के बाद यहां विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले भारत के हजारों छात्रों को अपनी पढ़ाई छोड़कर भारत अपने घर लौटना पड़ा था.

रिपोर्ट के अनुसार, बीते अप्रैल माह में भी एमबीबीएस छात्रों के माता-पिता ने जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था और अपने बच्चों को मेडिकल कॉलेजों में समायोजित करने में सरकार के हस्तक्षेप की मांग की थी.

मार्च में, सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें भारत में एडमिशन और उनकी पढ़ाई जारी रखने के मुद्दे पर निर्देश देने की मांग की गई थी.

मार्च में ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सिफारिश की है कि ऐसे छात्रों को एक बार में देश के मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किया जाए.

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