क्या शपथ से पहले देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री होने की ख़ुशी में लड्डू खा रहे थे?

भाजपा के इस दौर में हर काम मोदी के नाम पर होता है. राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपने रूटीन फ़ैसले के पीछे माननीय प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व को श्रेय देते हैं. महाराष्ट्र के केस में भाजपा कहना क्या चाहती है. वो पहले तय कर ले कि उपमुख्यमंत्री के पद को सम्मान बताकर देवेंद्र फडणवीस का अपमान करना है या जेपी नड्डा का? क्या यह नड्डा को मज़ाक़ का पात्र बनाना नहीं है कि वे कम से कम उपमुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला लेने लगे हैं?

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बुधवार रात उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद मुंबई के ताज होटल में देवेंद्र फडणवीस को मिठाई खिलाते महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल. (फोटो: पीटीआई)

भाजपा के इस दौर में हर काम मोदी के नाम पर होता है. राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपने रूटीन फ़ैसले के पीछे माननीय प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व को श्रेय देते हैं. महाराष्ट्र के केस में भाजपा कहना क्या चाहती है. वो पहले तय कर ले कि उपमुख्यमंत्री के पद को सम्मान बताकर देवेंद्र फडणवीस का अपमान करना है या जेपी नड्डा का? क्या यह नड्डा को मज़ाक़ का पात्र बनाना नहीं है कि वे कम से कम उपमुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला लेने लगे हैं?

एकनाथ शिंदे के साथ देवेंद्र फडणवीस. (फोटो: पीटीआई)

मुबारक हो, जेपी नड्डा ने फ़ैसला लिया है! नड्डा ने फ़ैसला लिया है!

एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किसका था? क्या भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का? क्या मोदी-शाह माउंट आबू में ‘समर हॉलिडे’ मना रहे थे?

नड्डा का फ़ैसला, नड्डा का फ़ैसला, इस तरह से प्रचारित किया जा रहा है, जैसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पहली बार कोई फ़ैसला लिया है. कोई बता सकता है कि इसके पहले कब नड्डा ने किसी को मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला लिया है?

क्या देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाने के पीछे नड्डा का स्वतंत्र फ़ैसला था? इसके पीछे मोदी-शाह का निर्देश नहीं रहा होगा?

भाजपा के इस दौर में हर काम मोदी के नाम पर होता है. राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपने रूटीन फ़ैसले के पीछे माननीय प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व और निर्देशन को श्रेय देते हैं. मोदी का फ़ैसला होता, तब कहा जाता कि देवेंद्र फडणवीस ने मोदी का आदेश सहर्ष स्वीकार कर लिया. उनसे यह कहने का सुख और सौभाग्य भी छीन लिया गया कि मोदी जैसे महान नेता के आदेश पर वे दूसरे दल के बाग़ी नेता के भी डिप्टी बन सकते हैं, बस यह नहीं पूछेंगे कि शिंदे को क्यों मुख्यमंत्री बनाया जबकि भाजपा के पास 106 विधायक थे.

मैं इस फ़ैसले को किसी की बेइज़्ज़ती के रूप में नहीं देखता लेकिन इस केस में भाजपा कहना क्या चाहती है. भाजपा पहले तय कर ले कि उपमुख्यमंत्री के पद को सम्मान बताकर देवेंद्र फडणवीस का अपमान करना है या जेपी नड्डा का?

क्या जेपी नड्डा को मज़ाक़ का पात्र नहीं बनाया जा रहा है कि वे कम से कम उपमुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला लेने लगे हैं? क्या भाजपा यह कह रही है कि मुबारक हो, जेपी नड्डा ने फ़ैसला लिया है?

106 विधायकों की पार्टी भाजपा मुख्यमंत्री का पद एक ऐसे गुट को देती है, जिसके पास पचास विधायक होने का दावा है. यह अभी एक गुट की अवस्था में है. यह गुट शिवसेना होने का दावा कर रहा है मगर शिवसेना है या नहीं, फ़ैसला नहीं हुआ है.

विधायक दल पार्टी का अंग होता है, पार्टी नहीं. कहीं भाजपा के प्रवक्ता और मोदी सरकार के मंत्री यह भी न कहने लग जाएं कि शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला शिंदे का था! मोदी-शाह का नहीं था.

अगर कहते हैं कि सरकार बनाने और शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के स्तर तक का फ़ैसला मोदी-शाह का था, तब तो जेपी नड्डा का भी एक तरह से उप-मुख्यमंत्रीकरण हो जाता है. भाजपा ने किसी की औक़ात बताने का नया राजनीतिक औज़ार बनाया है, जिसे मैं उप-मुख्यमंत्रीकरण कहता हूं. इसके तहत यह भी है कि मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला जेपी नड्डा नहीं लेते लेकिन उपमुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला जेपी नड्डा लेते हैं.

मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा के प्रवक्ता बता रहे हैं कि देवेंद्र फडणवीस कितने महान हैं. भाजपा में कार्यकर्ता पार्टी के आगे व्यक्ति को पीछे रखता है. क्या शपथ से पहले देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री होने की ख़ुशी में लड्डू खा रहे थे? क्या उन्हें एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भाजपा के नेता लड्डू खिला रहे थे?

बुधवार रात उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद मुंबई के ताज होटल में देवेंद्र फडणवीस को मिठाई खिलाते महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल. (फोटो: पीटीआई)

यहां ध्यान रखने की बात है कि देवेंद्र फडणवीस ने यह क़ुर्बानी अपनी पार्टी के किसी नए नेतृत्व के लिए नहीं दी है. उन एकनाथ शिंदे के लिए दी है, जिनकी पार्टी अभी तय नहीं है. गोदी मीडिया किससे बात कर जश्न मना रहा था कि देवेंद्र ही महाराष्ट्र के नरेंद्र हैं. उसे कौन फ़र्ज़ी ख़बरों की सप्लाई कर रहा था?

अब इस चक्कर में भाजपा शिंदे को महानतम नेता बताना न शुरू कर दे. इस सवाल को दफ़्न ही न कर दे कि दल बदल के पहले फ़ाइव स्टार होटल, चार्टेड विमान पर करोड़ों रुपये शिंदे ने अपनी जेब से दिए या भाजपा ने दिए? भाजपा ने दिए तो क्या पार्टी ने उस हज़ारों करोड़ रुपये के फंड से ख़र्च किए, जो रहस्यमयी इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले हैं? जिन साधनों के इस्तेमाल से एकनाथ शिंदे शिवसेना से निकले हैं, क्या वे भी शिंदे की तरह महान और नैतिक हैं?

मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा के प्रवक्ता कोई भी तर्क चला सकते हैं. यह भी कहने लग जाएंगे कि शिंदे दल बदल जैसा राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने वाले राष्ट्र के प्रथम सैनिक हैं. इसलिए ऐसे सौभाग्य को गंवाना ठीक नहीं होगा. इस सौभाग्य को प्राप्त करने का एकमात्र तरीक़ा है कि देवेंद्र फडणवीस से कहा जाए कि आप शिंदे के चरणों में बैठकर महाराष्ट्र राज्य की सेवा करें और उपमुख्यमंत्री बनें!

कमाल है. मुख्यमंत्री बनने का अवसर शिंदे को और महान बनने का अवसर देवेंद्र को?

देवेंद्र फडणवीस भी इस लेख को पढ़कर रोते-रोते हंसने लग जाएंगे. तब फिर महानता का यह भाव देवेंद्र में खुद से क्यों नहीं पैदा हुआ? ख़ुद ही नड्डा जी से बोल देते कि वे एकनाथ शिंदे जैसे महान नेता के डिप्टी होकर सेवा करना चाहते हैं?

जो शिंदे अपनी पार्टी के न हुए उनके सामने देवेंद्र को उपमुख्यमंत्री बनाकर भाजपा बता रही है कि देवेंद्र केवल पार्टी के हैं! उनके भीतर कोई व्यक्ति और लड्डू खाने की कोई इच्छा है ही नहीं? इतना महान फ़ैसला है तो गोदी मीडिया के एंकर और पत्रकार मायूस क्यों हो गए?

क्रिकेट में कप्तानी का पद छोड़कर खिलाड़ी टीम का हिस्सा हो जाता है. उसी टीम में बिना डिप्टी हुए खेलता है. लेकिन यह जय शाह की बीसीसीआई का मामला नहीं है बल्कि अमित शाह की भाजपा का मामला है. जहां बड़े फ़ैसले मोदी-शाह के इशारे पर लिए जाते हैं.

एक बाहरी दल के नेता के आगे भाजपा अपने बड़े नेता को कहती है कि आप उनका डिप्टी बनें और भाजपा के प्रवक्ता ऐसे कथा सुना रहे हैं जैसे प्रभु राम के चरणों में भरत होने का अवसर आया है?

क्या वाक़ई भाजपा मानती है कि जनता के बीच तर्क बुद्धि समाप्त हो चुकी है. वह वही मानेगी जो भाजपा कहेगी. उसका अपना दिमाग़ नहीं है. जब और जैसा भाजपा सोचती है, तब और वैसे जनता सोचती है?

भाजपा इस तरह से क्यों प्रचारित कर रही है कि पहली बार पार्टी के अध्यक्ष ने कोई फ़ैसला लिया है? क्या यह अपने अध्यक्ष का मज़ाक़ उड़ाना नहीं है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री या सरकार बनाने का तो नहीं लेकिन उपमुख्यमंत्री किसे बनाना है, इसका फ़ैसला लेने लगे हैं?

ऐसा लग रहा है कि देवेंद्र फडणवीस ने नड्डा की बात मानकर नड्डा को भी महान और प्रभावशाली होने का मौक़ा प्रदान किया है कि इस पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना भी माना जाता है. फिर जो भाजपा के कोटे से बाक़ी मंत्री बनेंगे, उनके बारे में कौन फ़ैसला ले रहा है? वो महान कौन है जिसके बारे में प्रचार नहीं हो रहा?

क्या जेपी नड्डा ने तब भी फ़ैसला लिया था, जब असम में कांग्रेस से आए हिमंता बिस्वा शर्मा को उपमुख्यमंत्री से मुख्यमंत्री बनाया गया? असम में तो चुनाव सर्वानंद सोनेवाल के नेतृत्व में जीता गया. जनता से नहीं कहा गया कि इस बार भाजपा दोबारा सत्ता में आएगी तो हिमंता बिस्वा शर्मा को मुख्यमंत्री बनाएंगे?

ग़नीमत है कि असम में नड्डा ने सोनेवाल को नहीं कहा कि आप अपने डिप्टी रह चुके हिमंता बिस्वा शर्मा के डिप्टी बन जाइए? सोनेवाल को केंद्र में मंत्री बनाया गया.

एकनाथ शिंदे हिमंता बिस्वा शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया से आगे के नेता हैं. एकनाथ के पहले अपनी पार्टी तोड़कर आए इन नेताओं ने पहले भाजपा में रहकर इंतज़ार किया तब सत्ता प्राप्त की.

हिमंता बिस्वा शर्मा को पांच साल उपमुख्यमंत्री बनकर काम करना पड़ा. ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा और केंद्र में मंत्री बनने के पहले लंबा इंतज़ार करना पड़ा. दोनों मोदी के नेतृत्व में सच्चे सेवक बने. एकनाथ शिंदे ने अपने नेतृत्व में भाजपा को सेवक बना दिया. यह उनके राजनीतिक कौशल का कमाल है.

एकनाथ शिंदे समझ गए हैं कि भाजपा को सत्ता चाहिए. सत्ता के लिए भाजपा नैतिकता की राजनीति नहीं करती. तो भाजपा से इसी आधार पर डील की जा सकती है. अपनी शर्तों पर भी भाजपा को मनाया जा सकता है.

और भाजपा ने एकनाथ की शर्तों को मान एक नया द्वार खोला है कि आप पार्टी तोड़कर आएं, हम आपकी सरकार बनाएंगे. अपने नेता को आपका डिप्टी बनाएंगे. हम भाजपा हैं. केवल अपनी सरकार नहीं बनाते बल्कि दूसरों की भी सरकार बनाते हैं. नीतीश कुमार गठबंधन तोड़कर आए तो भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री मान लिया. एकनाथ शिवसेना तोड़कर आए तो भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया.

भाजपा के पास सरकार और मुख्यमंत्री बनाने के कई मॉडल हैं. देवेंद्र को उपमुख्यमंत्री बनाने के साथ उप-मुख्यमंत्रीकरण का भी मॉडल लॉन्च हो गया है.

(मूल रूप से रवीश कुमार के फेसबुक पेज पर प्रकाशित)