सुप्रीम कोर्ट से फटकार के बाद दिल्ली पुलिस ने कहा- 18 जून को नूपुर शर्मा से पूछताछ की थी

सुप्रीम कोर्ट ने पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए भाजपा की​ निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के साथ-साथ दिल्ली पुलिस को भी फटकार लगाई है. अदालत ने कहा है कि पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं की. इस बीच, सीजेआई एनवी रमना के समक्ष दायर एक पत्र याचिका में नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई प्रतिकूल टिप्पणी को वापस लेने का आग्रह किया गया है. 

नूपुर शर्मा. (फोटो साभार: ट्विटर)

सुप्रीम कोर्ट ने पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए भाजपा की​ निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के साथ-साथ दिल्ली पुलिस को भी फटकार लगाई है. अदालत ने कहा है कि पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं की. इस बीच, सीजेआई एनवी रमना के समक्ष दायर एक पत्र याचिका में नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई प्रतिकूल टिप्पणी को वापस लेने का आग्रह किया गया है.

नूपुर शर्मा. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को फटकार लगाए जाने के कुछ घंटों बाद दिल्ली पुलिस ने कहा कि 18 जून को कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने को लेकर उन्हें नोटिस जारी किया गया था और उसी दिन उनसे पूछताछ की गई थी.

एक समाचार चैनल पर बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद के बारे में की गई शर्मा की टिप्पणी के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हुए थे और कई खाड़ी देशों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. भाजपा ने बाद में उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था. टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में मामला भी दर्ज किया गया है.

इसी पृष्ठभूमि में दिल्ली पुलिस की इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) के डिप्टी पुलिस कमिश्नर  केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने का नोटिस) के तहत शर्मा को 18 जून को नोटिस जारी किया गया था और कानून के मुताबिक उनका बयान दर्ज किया गया था.

उन्होंने कहा कि वह जांच में शामिल हुईं और उसी दिन उनका बयान दर्ज किया गया था.

न्यायालय ने पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर शुक्रवार को नूपुर शर्मा को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि उनकी ‘बेलगाम जुबान’ ने ‘पूरे देश को हिंसा की आग में झोंक दिया’ और ‘देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए वह अकेले जिम्मेदार हैं.’

न्यायालय ने शर्मा की विवादित टिप्पणी को लेकर विभिन्न राज्यों में दर्ज सभी एफआईआर दिल्ली ट्रांसफर किए जाने संबंधी उनकी अर्जी स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणी या तो सस्ता प्रचार पाने के लिए या किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत या किसी घृणित गतिविधि के तहत की.

न्यायालय ने टिप्पणी की, ‘उनका अपनी जुबान पर काबू नहीं है और उन्होंने टेलीविजन चैनल पर गैर-जिम्मेदाराना बयान देकर पूरे देश को आग में झोंक दिया है. फिर भी वह 10 साल से वकील होने का दावा करती हैं. उन्हें अपनी टिप्पणियों के लिए तुरंत पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए थी.’

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी फटकार लगाई कि उसने शर्मा के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं की. शर्मा के वकील ने कहा था कि वह जांच में शामिल हुई थीं.

तब कोर्ट ने शर्मा पर जमकर बरसते हुए कहा, ‘फिर क्या हुआ? जरूर आपके लिए एक रेड कारपेट बिछा होगा.’

सुप्रीम कोर्ट से नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ प्रतिकूल टिप्पणी वापस लेने का आग्रह

इस बीच, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना के समक्ष दायर एक पत्र याचिका में निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई प्रतिकूल टिप्पणी को वापस लेने का आग्रह किया गया है.

टिप्पणी वापस लेने संबंधी पत्र याचिका दिल्ली निवासी अजय गौतम द्वारा दायर की गई है, जो खुद के सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करते हैं. याचिका में जस्टिस रमना से आग्रह किया गया है, ‘नूपुर शर्मा के मामले में टिप्पणियों को वापस लेने के लिए उचित आदेश या निर्देश जारी करें, ताकि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिल सके.’

पत्र याचिका में कहा गया है कि इसे जनहित याचिका के तौर पर देखा जाए और सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणियों को ‘अवांछित’ घोषित किया जाए.

पत्र याचिका में नूपुर शर्मा के खिलाफ दायर सभी मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने का भी अनुरोध किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)