तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी श्रीकुमार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया

मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार को उनकी पुलिस रिमांड पूरा होने पर अदालत में पेश किया गया था. सरकारी वकील ने बताया कि जांच अधिकारी ने हिरासत की अवधि बढ़ाए जाने की मांग नहीं की. इसलिए उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. सीतलवाड़ ने जेल में सुरक्षा की मांग की है.

Ahmedabad: Social activist Teesta Setalvad comes out of a hospital following her medical examination, after being detained by Gujarat police, in Ahmedabad, Sunday, June 26, 2022. (PTI Photo)(PTI06_26_2022_000067B)

मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार को उनकी पुलिस रिमांड पूरा होने पर अदालत में पेश किया गया था. सरकारी वकील ने बताया कि जांच अधिकारी ने हिरासत की अवधि बढ़ाए जाने की मांग नहीं की. इसलिए उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. सीतलवाड़ ने जेल में सुरक्षा की मांग की है.

तीस्ता सीतलवाड़ को 26 जून को हिरासत में लिए जाने के बाद की एक तस्वीर. (फोटो: पीटीआई)

अहमदाबाद: गुजरात में अहमदाबाद स्थित एक अदालत ने शनिवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. उन्हें 2002 के गुजरात दंगों के मामले में कथित तौर पर साक्ष्य गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों को शनिवार को उनकी पुलिस रिमांड पूरी होने पर एमवी चौहान की मजिस्ट्रियल कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

अहमदाबाद डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (डीसीबी) ने उन्हें पिछले महीने गिरफ्तार किया था. उनकी गिरफ्तारी 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एसआईटी द्वारा मिली क्लीनचिट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखे जाने के ठीक एक दिन बाद हुई थी.

उनकी न्यायिक हिरासत जमानत मिलने तक जारी रहेगी. अब तक कोई जमानत अर्जी दाखिल नहीं की गई है.

विशेष सरकारी वकील अमित पटेल ने बताया कि सीतलवाड़ और श्रीकुमार की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद पुलिस ने उन दोनों को और अवधि के लिए रिमांड में देने की मांग नहीं की.

बता दें कि अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा द्वारा पिछले शनिवार (25 जून) को एक एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद सीतलवाड़ और श्रीकुमार को गिरफ्तार किया गया था.

अभियोजक पटेल ने कहा, ‘जांच अधिकारी ने और अवधि के लिए हिरासत में देने की मांग नहीं की. इसलिए उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.’

इस दौरान, तीस्ता ने अपने वकील एसएम वत्स के माध्यम से जेल के अंदर सुरक्षा की मांग करते हुए एक आवेदन दिया. उन्होंने इस आधार का हवाला दिया कि एनजीओ (सीजेपी) के माध्यम से उनके काम के दौरान कईयों को दोषी ठहराया गया था. उनमें से कई उसी साबरमती केंद्रीय जेल में बंद हैं, जहां न्यायिक हिरासत के दौरान उन्हें रखा जाएगा. इसलिए अगर उन्हें संरक्षण नहीं दिया जाता है तो उन्हें नुकसान पहुंचने की आशंका है.

अभियोजक मितेश अमीन और अमित पटेल ने यह कहते हुए आवेदन का विरोध किया कि वह कोई असाधारण कैदी नहीं हैं. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

गौरतलब है कि सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ एफआईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते 24 जून को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को 2002 के दंगा मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका को खारिज किए जाने के एक दिन बाद 25 जून को दर्ज हुई थी.

एफआईआर में तीनों पर झूठे सबूत गढ़कर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है, ताकि कई लोगों को ऐसे अपराध में फंसाया जा सके जो मौत की सजा के साथ दंडनीय हो.

सीतलवाड़ के एनजीओ ने जकिया जाफरी की कानूनी लड़ाई के दौरान उनका समर्थन किया था. जाफरी के पति एहसान जाफरी, जो कांग्रेस के सांसद भी थे, दंगों के दौरान अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी में हुए नरसंहार में मार दिए गए थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में सीतलवाड़ और उनका एनजीओ जकिया जाफरी के साथ सह-याचिकाकर्ता थे.

सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में उपयोग करना), 120बी (आपराधिक साजिश), 194 (गंभीर अपराध का दोष सिद्ध करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना), 211 (घायल करने के लिए किए गए अपराध का झूठा आरोप) और 218 (लोक सेवक को गलत रिकॉर्ड देना या अपराध की सजा से व्यक्ति या संपत्ति को जब्त होने से बचाना) का जिक्र है.

गुजरात पुलिस के एटीएस ने बीते 25 जून को सीतलवाड़ को मुंबई स्थित उनके आवास से हिरासत में लिया था, जिसके बाद सीतलवाड़ ने पुलिस पर उनके साथ बदसलूकी करने और हाथ में चोट पहुंचाने का आरोप लगाया था. सीतलवाड़ को फिर अहमदाबाद लाया गया और 25 जून को ही शहर की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था.

हिरासत में लेने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को बीते 26 जून और मामले के एक अन्य आरोपी श्रीकुमार को बीते 25 जून को गिरफ्तार किया गया था. वहीं, पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं मामले के तीसरे आरोपी संजीव भट्ट बनासकांठा जिले की पालनपुर जेल में हिरासत में मौत के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. एक अन्य मामले में एक वकील को फंसाने के लिए प्रतिबंधित सामग्री रखवाने का भी आरोप उन पर लगा है.

इन तीनों पर गुजरात दंगों की जांच करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) को गुमराह करने की साजिश रचने का आरोप है, जो गुजरात दंगे और नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री इसमें अगर कोई भूमिका थी, की जांच कर रही थीं.

बीते 26 जून को तीस्ता सीतलवाड़ और राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार को दो जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)