अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अगले हफ़्ते

संविदा आधारित अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना की घोषणा बीते 14 जून को की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने की बात सरकार द्वारा कही गई है.

New Delhi: A view of the Supreme Court, in New Delhi, on Thursday. (PTI Photo / Vijay Verma)(PTI5_17_2018_000040B)
(फोटो: पीटीआई)

संविदा आधारित अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना की घोषणा बीते 14 जून को की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने की बात सरकार द्वारा कही गई है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट सशस्त्र बलों में भर्ती संबंधी केंद्र की ‘अग्निपथ’ योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया.

जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि गर्मी की छुट्टी के बाद शीर्ष अदालत के फिर से खुलने पर याचिकाओं को अगले सप्ताह उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा.

मालूम हो बीते 26 मई को संविदा आ​धारित सैन्य भर्ती से जुड़ी केंद्र की अग्निपथ योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए वर्षों पुरानी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है और इसके लिए संसद की मंजूरी भी नहीं ली गई है.

अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका में 14 जून की अधिसूचना या प्रेस नोट को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की गई है.

इसमें आरोप लगाया गया है कि 14 जून, 2022 को संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत और संसद की मंजूरी के बिना और बिना किसी गजट अधिसूचना के, केंद्र ने वर्षों पुरानी सेना की चयन प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ की और तीनों सशस्त्र बलों के डिवीजन में भर्ती के लिए योजना लागू कर दी.

इससे पहले शीर्ष अदालत में एक अलग याचिका दायर की गई थी, जिसमें केंद्र की अग्निपथ योजना के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन से रेलवे सहित सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

याचिका में केंद्र और उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, हरियाणा और राजस्थान सरकारों को हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

योजना के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों को विफल करने के प्रयास के तहत देश के सैन्य नेतृत्व ने बीते 19 जून को घोषणा की थी कि नई भर्ती योजना के लिए आवेदकों को इस प्रतिज्ञा के साथ एक शपथ-पत्र देना होगा कि उन्होंने किसी भी विरोध, आगजनी या आंदोलन में भाग नहीं लिया है.

गौरतलब है कि ‘अग्निपथ योजना’ की घोषणा बीते 14 जून को की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने का प्रावधान है.

इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. बाद में सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को एक साल के लिए बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था.

हालांकि अभी भी इसे वापस लिए जाने की मांग की जारी है, लेकिन सेना ने भर्ती के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाते हुए इसकी प्रक्रिया जुलाई महीने से शुरू होने की अधिसूचना जारी कर दी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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