विदेशी फंड प्राप्त करने के झूठे आरोप हमारा संस्थान बंद कराने की कोशिश हैं: ऑल्ट न्यूज़

बीते 27 जून को मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी के बाद वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ पर लग रहे विदेशी फंड प्राप्त करने के आरोपों के बीच संस्थान ने एक बयान जारी करके इसका खंडन किया है. धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में ज़ुबैर की गिरफ़्तारी के बाद ये आरोप लगाए गए हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने कहा है कि ये आरोप हमारे द्वारा किए जा रहे बेहद महत्वपूर्ण कार्य को बंद कराने का प्रयास है. हम हमें रोकने के इस प्रयास के ख़िलाफ़ लड़ेंगे और शीर्ष पर आएंगे.

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(फोटो साभार: ट्विटर)

बीते 27 जून को मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी के बाद वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ पर लग रहे विदेशी फंड प्राप्त करने के आरोपों के बीच संस्थान ने एक बयान जारी करके इसका खंडन किया है. धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में ज़ुबैर की गिरफ़्तारी के बाद ये आरोप लगाए गए हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने कहा है कि ये आरोप हमारे द्वारा किए जा रहे बेहद महत्वपूर्ण कार्य को बंद कराने का प्रयास है. हम हमें रोकने के इस प्रयास के ख़िलाफ़ लड़ेंगे और शीर्ष पर आएंगे.

(फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज और इसके मूल संगठन प्रावदा मीडिया फाउंडेशन ने एक बयान जारी करके इन आरोपों का स्पष्ट रूप से खंडन किया है कि उन्हें विदेशी फंड प्राप्त हुआ है.

बयान में लिखा है, ‘हमारा भुगतान मंच जिसके माध्यम से हम दान प्राप्त करते हैं, वह विदेशी स्रोतों से फंड प्राप्त करने की अनुमति नहीं देता है और हमें सिर्फ भारतीय बैंक खातों से ही दान मिला है.’

आगे लिखा है, ‘इन माध्यमों से जुटाया गया सारा दान संगठन के बैंक खाते में जाता है.’

ऑल्ट न्यूज के बयान में उन कुछ ‘सूत्र आधारित’ मीडिया रिपोर्ट का भी जवाब दिया गया है, जिनमें दावा किया गया था कि पुलिस ने पाया है कि दान का पैसा सीधे सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खाते में जा रहा था.

बयान में कहा गया है, ‘यह आरोप झूठा है कि संगठन से जुड़े व्यक्तियों ने अपने व्यक्तिगत खातों में फंड प्राप्त किया है, क्योंकि संगठन से जुड़े व्यक्तियों को केवल मासिक पारिश्रमिक मिलता है.’

संगठन ने कहा है, ‘उन पर निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं, जो कि हमारे द्वारा किए जा रहे बेहद महत्वपूर्ण कार्य को बंद कराने का प्रयास है. हम हमें रोकने के इस प्रयास के खिलाफ लड़ेंगे और शीर्ष पर आएंगे.’

बता दें कि बीते दो जुलाई को दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ एफआईआर में आपराधिक साजिश, सबूत नष्ट करने और विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 के तहत नए आरोप जोड़े हैं. ये आरोप जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दखल का द्वार खोलते हैं.

मोहम्मद जुबैर को बीते 27 जून को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 (किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए किया गया जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और 153 (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच विद्वेष को बढ़ाना) के तहत मामला दर्ज कर गिरफ़्तार किया गया था.

जुबैर की गिरफ्तारी 2018 के उस ट्वीट को लेकर हुई थी जिसमें 1983 में बनी फिल्म ‘किसी से न कहना’ का एक स्क्रीनशॉट शेयर किया गया था.

ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में उल्लेख था, ‘हनुमान भक्त (@balajikijaiin) नामक ट्विटर हैंडल से मोहम्मद जुबैर (@zoo_bear) के ट्विटर हैंडल द्वारा किए गए एक ट्वीट को साझा किया गया था, जिसमें जुबैर ने एक फोटो ट्वीट की थी, जिसमें एक जिस पर साइनबोर्ड पर होटल का नाम ‘हनीमून होटल’ से बदलकर ‘हनुमान होटल’ दिखाया गया था. तस्वीर के साथ जुबैर ने ‘2014 से पहले हनीमून होटल…  2014 के बाद हनुमान होटल…’ लिखा था.’

इस संबंध में दिल्ली पुलिस की एफआईआर के अनुसार, ट्विटर यूजर (@balajikijaiin) ने साल 2018 में जुबैर द्वारा शेयर किए गए एक फिल्म के स्क्रीनशॉट वाले ट्वीट को लेकर लिखा था कि ‘हमारे भगवान हनुमान जी को हनीमून से जोड़ा जा रहा है जो प्रत्यक्ष रूप से हिंदुओं का अपमान है क्योंकि वह (भगवान हनुमान) ब्रह्मचारी हैं. कृपया इस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करें.’

बाद में, यह ट्विटर हैंडल डिलीट कर दिया गया. अब यह हैंडल दोबारा सक्रिय हुआ है, लेकिन जुबैर से संबंधित ट्वीट डिलीट कर दिया गया है.

बीते दो जुलाई को हिंदू देवता के बारे में कथित ‘आपत्तिजनक ट्वीट’ करने के मामले में मोहम्मद जुबैर को अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

(नोट: (5 नवंबर 2022) इस ख़बर को टेक फॉग ऐप का संदर्भ हटाने के लिए संपादित किया गया है. टेक फॉग संबंधी रिपोर्ट्स को वायर द्वारा की जा रही आंतरिक समीक्षा के चलते सार्वजनिक पटल से हटाया गया है.)