बेरोज़गारी दर जून में बढ़कर 7.80 प्रतिशत पर: सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी

आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार, जून महीने में रोज़गार में कमी से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी दर बढ़कर 8.03 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो मई में 7.30 प्रतिशत थी. शहरी क्षेत्रों में स्थिति कुछ बेहतर रही और बेरोज़गारी दर 7.3 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि मई में यह 7.12 प्रतिशत थी.

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Workers walk in front of the construction site of a commercial complex on the outskirts of the western Indian city of Ahmedabad, in this April 22, 2013 file picture. While India has long suffered from a dearth of workers with vocational skills like plumbers and electricians, efforts to alleviate poverty in poor, rural areas have helped stifle what was once a flood of cheap, unskilled labour from India's poorest states. Struggling to cope with soaring food prices, this dwindling supply of migrant workers are demanding - and increasingly getting - rapid increases in pay and benefits. To match story INDIA-ECONOMY/INFLATION REUTERS/Amit Dave/Files (INDIA - Tags: BUSINESS CONSTRUCTION EMPLOYMENT TPX IMAGES OF THE DAY)
(फोटो: रॉयटर्स)

आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार, जून महीने में रोज़गार में कमी से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी दर बढ़कर 8.03 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो मई में 7.30 प्रतिशत थी. शहरी क्षेत्रों में स्थिति कुछ बेहतर रही और बेरोज़गारी दर 7.3 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि मई में यह 7.12 प्रतिशत थी.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: देश में बेरोजगारी दर जून में बढ़कर 7.80 प्रतिशत पर पहुंच गई. पिछले महीने विशेषकर कृषि क्षेत्र में 1.3 करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा, जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ी है.

आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, जून महीने में रोजगार में कमी से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर बढ़कर 8.03 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो मई में 7.30 प्रतिशत थी. शहरी क्षेत्रों में स्थिति कुछ बेहतर रही और बेरोजगारी दर 7.3 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि मई में यह 7.12 प्रतिशत थी.

सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास ने कहा, ‘बिना लॉकडाउन वाले महीने में रोजगार में इतनी कमी सबसे बड़ी गिरावट है. यह मुख्य रूप से गांवों में और मौसमी है. गांवों में कृषि क्षेत्र में गतिविधियां सुस्त हैं और जुलाई में बुवाई शुरू होने के साथ स्थिति पलटने की पूरी उम्मीद है.’

उन्होंने कहा कि आलोच्य महीने में 1.3 करोड़ रोजगार घटे, लेकिन बेरोजगारी में केवल 30 लाख का इजाफा हुआ. व्यास ने कहा कि अन्य कामगार श्रम बाजार से बाहर हुए. कार्यबल में एक करोड़ की कमी आई.

उन्होंने कहा कि यह कमी मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र में हुई है. यह संभवत: काफी हद तक श्रमिकों के पलायन का मामला है, न कि आर्थिक नरमी का.

व्यास ने कहा, ‘यह चिंताजनक है कि इतनी बड़ी संख्या में कामगारों पर मानसून का असर पड़ा है.’ उन्होंने कहा कि दूसरा चिंताजनक आंकड़ा जून, 2022 में वेतनभोगी कर्मचारियों की 25 लाख नौकरियों घटने का है.’

जून में वेतनभोगी नौकरियों में कमी को लेकर भी चिंता बढ़ी है. सरकार ने सशस्त्र बलों की मांग को कम कर दिया और निजी इक्विटी-वित्त पोषित नौकरियों में अवसर भी कम होने लगे. केवल अच्छे मानसून से ये नौकरियां नहीं बच सकती थीं. अर्थव्यवस्था को इस तरह की नौकरियों को बचाने और उत्पन्न करने के लिए निकट भविष्य में तेज गति से वृद्धि की जरूरत है.

आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी की सबसे ऊंची दर हरियाणा में 30.6 प्रतिशत रही. इसके बाद क्रमश: राजस्थान में 29.8 प्रतिशत, असम में 17.2 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 17.2 प्रतिशत और बिहार में 14 प्रतिशत रही.

इससे पहले मई महीने की शुरुआत में  सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने एक अध्ययन जारी कर कहा था कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर और उसकी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए गए ‘लॉकडाउन’ और अन्य पाबंदियों से अप्रैल महीने में 73.5 लाख से अधिक लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा.

इससे अप्रैल में बेरोजगारी दर चार महीने के उच्च स्तर 8 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. रोजगार दर मार्च में 37.56 फीसदी से घटकर अप्रैल में 36.79 फीसदी हो गई थी, जो कि चार महीनों में न्यूनतम थी.

आंकड़ों में यह भी बताया गया था कि जो लोग बेरोजगार थे और अभी तक सक्रिय रूप से नौकरियों की तलाश नहीं कर रहे थे, इनकी संख्या मार्च में 1.60 करोड़ से बढ़कर अप्रैल में 1.94 करोड़ हो गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)