रुबैया सईद ने यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान अपने अपहरणकर्ताओं के रूप में की

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद को आठ दिसंबर 1989 को श्रीनगर के लाल डेड अस्पताल के पास से अगवा कर लिया गया था. 13 दिसंबर 1989 को भाजपा द्वारा समर्थित केंद्र की तत्कालीन वीपी सिंह सरकार द्वारा जेकेएलएफ के पांच आतंकियों को रिहा किए जाने के बाद अपहरणकर्ताओं ने उन्हें रिहा कर दिया था. प्रतिबंधित संगठन जेकेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक को हाल ही में आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है.

यासीन मलिक. (फाइल फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद को आठ दिसंबर 1989 को श्रीनगर के लाल डेड अस्पताल के पास से अगवा कर लिया गया था. 13 दिसंबर 1989 को भाजपा द्वारा समर्थित केंद्र की तत्कालीन वीपी सिंह सरकार द्वारा जेकेएलएफ के पांच आतंकियों को रिहा किए जाने के बाद अपहरणकर्ताओं ने उन्हें रिहा कर दिया था. प्रतिबंधित संगठन जेकेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक को हाल ही में आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है.

यासीन मलिक. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद 1989 के अपने अपहरण से जुड़े मामले में शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष पेश हुईं. इस दौरान उन्होंने जेकेएलएफ (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) प्रमुख यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान अपने अपहरणकर्ताओं के रूप में की. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

यह पहली बार है, जब रुबैया को इस मामले में अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था. अपहरणकर्ताओं ने उन्हें पांच आतंकवादियों की रिहाई के बदले अपनी कैद से रिहा किया था.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने तमिलनाडु में रहने वाली रुबैया को अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया है. 1990 के दशक की शुरुआत में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी.

रुबैया ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में मौजूद यासीन मलिक की पहचान अपने एक अपहरणकर्ता के रूप में की. इंडियन एक्सप्रेस ने अधिकारियों के हवाले से बताया है, रुबैया ने मलिक की पहचान वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये की थी, जिसने उसे अपहरण के समय मिनी बस से बाहर खींचने की धमकी दी थी. उन्होंने फिर से उसकी और तीन अन्य की पहचान उनकी तस्वीरों से की, जो अभियोजन पक्ष के साक्ष्य का हिस्सा थीं.

उन्होंने न्यायाधीश से कहा, ‘यही वह व्यक्ति है और इसका नाम यासीन मलिक है. यही वह व्यक्ति है, जिसने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैंने उसका आदेश मानने से इनकार किया तो वह मुझे मिनी बस से घसीटकर बाहर निकालेगा.’

बाद में रुबैया ने अदालत में प्रदर्शित तस्वीरों में भी यासीन मलिक की पहचान अपने एक अपहरणकर्ता के रूप में की. उन्होंने जिन अन्य तीन लोगों की पहचान की, उनके नाम मोहम्मद जमान मीर, मेहराज-उद-दीन शेख और मंजूर अहमद सोफी हैं.

रुबैया को सीबीआई द्वारा अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, जिसने 1990 के दशक की शुरुआत में जांच अपने हाथ में ले ली थी. अदालत ने बचाव पक्ष के वकीलों द्वारा उसकी जिरह के लिए 23 अगस्त की तारीख तय की है.

रुबैया के अपहरण का मामला एक तरह से ठंडे बस्ते में चला गया था. हालांकि, 2019 में राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में यासीन मलिक की गिरफ्तारी के बाद इसकी सुनवाई फिर से शुरू हो गई.

पिछले साल जनवरी में सीबीआई ने विशेष लोक अभियोजक मोनिका कोहली और एसके भट की मदद से रुबैया के अपहरण मामले में यासीन मलिक सहित 10 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे.

रुबैया का अपहरण घाटी के अस्थिर इतिहास की एक प्रमुख घटना माना जाता है. उनकी आजादी के बदले जेकेएलएफ के पांच सदस्यों की रिहाई को आतंकी समूहों का मनोबल बढ़ाने वाले कदम के रूप में देखा गया था, जिन्होंने उस समय सिर उठाना शुरू किया था.

सुनवाई के दौरान रुबैया ने विशेष न्यायाधीश के सामने अपना बयान दर्ज कराया. उन्होंने यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान अपने अपहरणकर्ताओं के रूप में की.

प्रतिबंधित संगठन जेकेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक को बीते मई महीने में आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. मलिक को दो अपराधों – आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (यूएपीए) (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना) – के लिए दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.

बीते 10 मई को जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने 2017 में घाटी में कथित आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में दिल्ली की एक अदालत के समक्ष कड़े गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) सहित सभी आरोपों के लिए दोष स्वीकार कर लिया था.

बहरहाल रुबैया के बयान दर्ज होने से पहले यासीन मलिक इसी मामले में 13 जुलाई को अदालत के समक्ष पेश हुआ था. यासीन ने तब कहा था कि अदालत में भौतिक रूप से उसकी पेशी सुनिश्चित की जाए, ताकि वह गवाहों से सवाल-जवाब कर सके, वरना वह जेल में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ जाएगा.

यासीन मलिक ने अदालत से कहा था कि वह 22 जुलाई तक सरकार के उत्तर की प्रतीक्षा करेगा, जिसके बाद वह अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर देगा.

मई में दिल्ली की विशेष एनआईए अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद से यासीन मलिक उच्च सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल में बंद है. एनआईए ने 2017 में दर्ज आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में यासीन मलिक को 2019 की शुरुआत में गिरफ्तार किया था.

रुबैया को 8 दिसंबर 1989 को श्रीनगर के लाल डेड अस्पताल के पास से अगवा कर लिया गया था. 13 दिसंबर 1989 को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा समर्थित केंद्र की तत्कालीन वीपी सिंह सरकार द्वारा पांच आतंकियों को रिहा किए जाने के बाद अपहरणकर्ताओं ने उन्हें रिहा कर दिया था.

रुबैया का श्रीनगर में एक मिनी बस से अपहरण कर लिया गया था, जब वह लाल डेड मेमोरियल अस्पताल से घर लौट रही थी. यहां वह एक मेडिकल इंटर्न थीं और मुफ्ती मोहम्मद सईद तब वीपी सिंह सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री थे.

मामले के अन्य आरोपियों में अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमान मीर, इकबाल अहमद गंद्रू, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक पहलू, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराज-उद-दीन शेख और शौकत अहमद बख्शी शामिल हैं.

जांच के दौरान अली मोहम्मद मीर, जमान मीर और इकबाल गंद्रू ने एक मजिस्ट्रेट के सामने रुबैया के अपहरण में अपनी भूमिका स्वीकार कर ली थी. इसके अलावा चार अन्य ने सीबीआई के पुलिस अधीक्षक के सामने इकबालिया बयान दिए थे.

पिछले साल जनवरी में अदालत ने कहा था, ‘आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल करते हुए अन्य आरोपियों, मसलन यासीन मलिक, जावेद अहमद मीर और मेहराज-उद-दीन शेख की भूमिकाओं के बारे में भी बताया है, जिसका इस्तेमाल उनके खिलाफ सबूत के रूप में भी किया जा सकता है.’

सीबीआई ने अदालत के समक्ष दायर अपने आरोप-पत्र में इन 10 आरोपियों सहित कुल दो दर्जन लोगों को नामजद किया है, जिनमें से जेकेएलएफ का शीर्ष कमांडर मोहम्मद रफीक डार और मुश्ताक अहमद लोन मारे जा चुके हैं, जबकि 12 फरार हैं.

फरार आरोपियों में हलीमा, जावेद इकबाल मीर, मोहम्मद याकूब पंडित, रियाज अहमद भट, खुर्शीद अहमद डार, बशारत रहमान नूरी, तारिक अशरफ, शफात अहमद शांगलू, मंजूर अहमद, गुलाम मोहम्मद टपलू, अब्दुल मजीद भट और निसार अहमद भट शामिल हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मलिक जनवरी 1990 में श्रीनगर में भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के चार कर्मचारियों की हत्या से संबंधित एक मामले में भी मुकदमे का सामना कर रहा है.

वायुसेना कर्मचारियों की हत्या के अन्य आरोपी अली मोहम्मद मीर, मंजूर अहमद सोफी उर्फ मुस्तफा, जावेद अहमद मीर उर्फ नालका, नानाजी उर्फ सलीम, जावेद अहमद जरगर और शौकत अहमद बख्शी है. इन सभी सात आरोपियों पर टाडा और शस्त्र अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अलावा आपराधिक साजिश और हत्या का आरोप लगाया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)