जम्मू कश्मीर: अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पांच कश्मीरी पंडित, 16 हिंदू/सिख समेत 118 लोग मारे गए

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि 5 अगस्त, 2019 से 9 जुलाई, 2022 तक जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा सुरक्षा बलों के 128 जवान और 118 नागरिक मारे गए हैं. इन 118 लोगोंं में पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिंदू/सिख समुदाय के थे.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि 5 अगस्त, 2019 से 9 जुलाई, 2022 तक जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा सुरक्षा बलों के 128 जवान और 118 नागरिक मारे गए हैं. इन 118 लोगोंं में पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिंदू/सिख समुदाय के थे.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और आतंकवादी हमलों में भी काफी कमी आई है. हालांकि इस पूर्ववर्ती राज्य में 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद आतंकी हमलों में 118 आम नागरिकों मारे गए हैं, जिनमें पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिंदू/सिख समुदाय के थे.

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने यह भी कहा कि जम्मू एवं कश्मीर सरकार के विभिन्न विभागों में 5,502 कश्मीरी पंडितों को सरकारी नौकरी दी गई है और अगस्त 2019 के बाद घाटी से किसी भी कश्मीरी पंडित का पलायन नहीं हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘सरकार की आतंकवाद के प्रति बिलकुल सहन नहीं की नीति है और जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. आतंकवादी हमलों में काफी कमी आई है, जो वर्ष 2018 में 417 से कम होकर वर्ष 2021 में 229 हो गई है.’

राय ने कहा कि 5 अगस्त, 2019 से 9 जुलाई, 2022 तक जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा सुरक्षा बलों के 128 जवान और 118 नागरिक मारे गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘मारे गए 118 नागरिकों में से 5 कश्मीरी पंडित थे और 16 अन्य हिंदू/सिख समुदाय के थे. इस अवधि के दौरान किसी भी तीर्थयात्री की हत्या नहीं हुई है.’

यह पूछे जाने पर कि अगस्त 2019 के बाद देश के अन्य हिस्सों में निवासरत कितने कश्मीरी पंडितों को घाटी में पुन: बसाया गया है, इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री विकास पैकेज (पीएमडीपी) के तहत घाटी में जम्मू एवं कश्मीर सरकार के विभिन्न विभागों में 5,502 कश्मीरी पंडितों को सरकारी नौकरी दी गई है.

उन्होंने कहा, ‘उक्त अवधि के दौरान किसी भी कश्मीरी पंडित के घाटी से पलायन की सूचना नहीं है.’

एक अन्य सवाल के जवाब में राय ने कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान जम्मू एवं कश्मीर में कश्मीरी पंडितों पर हमले की दो घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं, जिनमें एक व्यक्ति की मौत हो गई है और एक अन्य घायल हो गया है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों का उल्लेख करते हुए राय ने कहा कि इनमें मजबूत सुरक्षा और खुफिया ग्रिड, आतंकवादियों के खिलाफ सक्रिय अभियान, रात में गहन गश्त और चेक नाका पर जांच, उचित तैनाती के माध्यम से सुरक्षा व्यवस्था और सुरक्षा बलों द्वारा उच्च स्तर की सतर्कता शामिल है.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 से 30 जून, 2022 तक जम्मू एवं कश्मीर में 108 आम नागरिकों पर हमले हुए.

केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू एवं कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन दो केंद्रशासित क्षेत्रों- जम्मू एवं कश्मीर एवं लद्दाख के रूप में करने की घोषणा की थी.

द्रमुक के राज्यसभा सदस्य एम. षणमुगम के एक सवाल का जवाब देते हुए जिन्होंने पूछा था कि कश्मीर में स्थिति कब तक सामान्य हो जाएगी, ताकि घाटी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू हो सके, गृह राज्यमंत्री ने कहा, ‘सरकार ने जम्मू कश्मीर के सर्वांगीण विकास के लिए कई कदम उठाए हैं. इनमें प्रधानमंत्री विकास पैकेज, 2015 के कार्यान्वयन सहित आईआईटी और आईआईएम की स्थापना, दो नए एम्स और सड़कों, बिजली आदि में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की तेजी से बढ़ावा देना शामिल है.’

उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा जम्मू कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए 28,400 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक नई केंद्रीय योजना लागू की जा रही है, जिससे 4.5 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.’

जम्मू कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया पर, राय ने कहा कि सरकार ने एक परिसीमन आयोग का गठन किया है, जिसने 14 मार्च और 5 मई को यहां के संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर आदेश अधिसूचित किए हैं.

उन्होंने कहा, ‘इसके बाद भारत के चुनाव आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के मतदाताओं की मतदाता सूची में संशोधन शुरू किया है. चुनाव निर्धारित करने का निर्णय आयोग का विशेषाधिकार है.’

अनंतनाग लोकसभा सीट से नेशनल कांफ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि हिंसक घटनाओं और समय के साथ ऐसी घटनाओं में जानमाल के नुकसान के आंकड़ों को सामान्य स्थिति के संकेतक के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि पिछले साल की तुलना में इस साल कम घटनाएं हुई हैं, इससे यह निष्कर्ष नहीं निकलता है कि शांति है, स्थायी शांति की तो बात दूर ही है.’

उन्होंने कहा, ‘फिर से आकांक्षाओं की पूर्ति और विकास के बीच कोई समझौता नहीं हो सकता. शांति के अभाव में विकास संभव नहीं है और अगर हासिल किया गया तो वह टिकाऊ नहीं होगा.’

पीडीपी के प्रवक्ता मोहित भान ने कहा कि पूरे देश को बताया गया था कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जम्मू कश्मीर में उथल-पुथल खत्म हो जाएगी और एक नई सुबह होगी. इसे निरस्त हुए लगभग तीन साल हो चुके हैं और कश्मीर में रक्तपात का कोई अंत नहीं है. इसके अलावा 21 अल्पसंख्यकों की हत्याएं जमीनी स्थिति की गंभीरता को बयां करती हैं और मेरा मानना ​​है कि पिछले दशक में यह सबसे ज्यादा संख्या है.

उन्होंने कहा कि घाटी से रिवर्स माइग्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, कई परिवार पहले ही जम्मू चले गए हैं और अन्य लोग घाटी से बाहर स्थानांतरित करने के लिए विभिन्न कश्मीरी पंडित बस्तियों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ​‘शांति लाने से लेकर कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास तक सरकार को अनुच्छेद 370 निरस्त करने के बाद से किए गए सभी वादों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.​’

जम्मू कश्मीर भाजपा के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद यहां विकास की गति तेज हो गई है. विभिन्न विकास परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है. आतंकवादी हमलों की संख्या में कमी आई है और यहां अब और विरोध प्रदर्शन नहीं हो रहे हैं. आतंकवाद अपने अंतिम चरण में है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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