द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली

भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने द्रौपदी मुर्मू को देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. 64 वर्षीय मुर्मू इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाली राष्ट्रपति इससे पहले झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं.

New Delhi: Droupadi Murmu after she was sworn-in as the 15th President of India by CJI Justice N V Ramana (L) in the Central Hall of Parliament, in New Delhi, Monday, July 25, 2022. (PTI Photo/Kamal Kishore) (PTI07 25 2022 000067B)

भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने द्रौपदी मुर्मू को देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. 64 वर्षीय मुर्मू इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाली राष्ट्रपति इससे पहले झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं.

नई दिल्ली में सोमवार को सीजेआई जस्टिस एनवी रमना द्वारा द्रौपदी मुर्मू को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई. (फोटोः पीटीआई)

नई दिल्ली: द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई.

64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं.

राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा, ‘मैं भारत के समस्त नागरिकों की आशा-आकांक्षा और अधिकारों के प्रतीक इस पवित्र संसद भवन से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता से अभिनंदन करती हूं. आपकी आत्मीयता, आपका विश्वास और आपका सहयोग, मेरे लिए इस नए दायित्व को निभाने में मेरी बहुत बड़ी ताकत होंगे.’

उन्होंने कहा, ‘भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं. आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है.’

मुर्मू ने कहा, ‘मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है, जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा.’

उन्होंने कहा कि ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का जश्न मना रहा था, तभी उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में उन्हें यह नया दायित्व मिला है.

राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं, जिसका जन्म आजाद भारत में हुआ है. हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है.’

उन्होंने कहा कि इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों – सबका प्रयास और सबका कर्तव्य – पर आगे बढ़ेगा.

मुर्मू ने कहा, ‘राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है. मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है.’

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मुर्मू ने कहा, ‘मुझे इस बात की संतुष्टि है कि जो लोग वर्षों से विकास से वंचित थे – गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी – मुझे अपने प्रतिबिंब के रूप में देख सकते हैं. मेरे नामांकन के पीछे गरीबों का आशीर्वाद है, यह करोड़ों महिलाओं के सपनों और क्षमताओं का प्रतिबिंब है.’

मुर्मू ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले राजघाट स्थित महात्मा गांधी के स्मारक पर सोमवार को सुबह पुष्पांजलि अर्पित की. इसके बाद जब वह राष्ट्रपति भवन पहुंचीं तो निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनका स्वागत किया.

संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह से पहले निवर्तमान राष्ट्रपति और निर्वाचित राष्ट्रपति संसद पहुंचे. उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मंत्रिपरिषद के सदस्य, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संसद सदस्य आदि समारोह में शामिल हुए.

बीते 21 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति बनने के लिए विपक्षी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर पहली आदिवासी और शीर्ष संवैधानिक पद संभालने वाली दूसरी महिला बनने का इतिहास रचा था. उन्हें सिन्हा के 3,80,177 मतों के मुकाबले 6,76,803 मत हासिल हुए थे.

मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था. 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था. 2000 से 2004 तक ओडिशा की बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री बनीं. वर्ष 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और 2021 तक इस पद पर रहीं.

संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी मुर्मू संथाली और उड़िया भाषाओं में एक उत्कृष्ट वक्ता हैं. उन्होंने क्षेत्र में सड़कों और बंदरगाहों जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है.

बेहद पिछड़े और दूरदराज के जिले से ताल्लुक रखने वालीं मुर्मू ने गरीबी और अन्य समस्याओं से जूझते हुए भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक किया और ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में अपना करिअर शुरू किया था.

मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ और दंपति के तीन संतान- दो बेटे और एक बेटी हुईं. मुर्मू का जीवन व्यक्तिगत त्रासदियों से भरा रहा है, क्योंकि 2009 से लेकर 2015 तक की छह वर्षों की अवधि में उन्होंने अपने पति और दोनो बेटों को खो दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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