कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं को समन देते हुए कहा- स्मृति ईरानी, उनकी बेटी गोवा के बार की मालिक नहीं

कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी पर गोवा में अवैध बार चलाने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ईरानी को मंत्रिमंडल से बर्ख़ास्त करने की मांग की थी, जिसके जवाब में स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश, पवन खेड़ा और नेट्टा डिसूजा के ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा दायर किया है.

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स्मृति ईरानी. (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी पर गोवा में अवैध बार चलाने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ईरानी को मंत्रिमंडल से बर्ख़ास्त करने की मांग की थी, जिसके जवाब में स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश, पवन खेड़ा और नेट्टा डिसूजा के ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा दायर किया है.

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उनकी बेटी के गोवा में रेस्तरां-बार होने संबंधी मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि ईरानी और उनकी बेटी गोवा में किसी भी रेस्तरां-बार की मालिक नहीं हैं, उनके नाम कभी कोई लाइसेंस जारी नहीं किया गया और तीन कांग्रेसी नेताओं द्वारा उनके खिलाफ दिया बयान दुर्भावनापूर्ण और झूठा प्रतीत होता है.

कोर्ट ने कहा है कि कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, पवन खेड़ा, नेट्टा डिसूजा के साथ अन्य ने भाजपा नेता स्मृति ईरानी और उनकी बेटी पर ‘झूठे, तीखे और आक्रामक व्यक्तिगत हमले’ करने की साजिश रची, जो न तो गोवा में रेस्तरां की मालिक हैं और न ही उन्होंने कभी वहां भोजन और पेय पदार्थों के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, जैसा कि आरोप लगाया गया था.

हाईकोर्ट ने कहा कि कांग्रेस के तीन नेताओं द्वारा दिए गए बयान बदनाम करने वाली प्रकृति के और दुर्भावनापूर्ण इरादे से दिए गए फर्जी प्रतीत होते हैं, जिनका मकसद जानबूझकर ईरानी को व्यापक सार्वजनिक उपहास का पात्र बनाना और भाजपा नेता व उनकी बेटी के नैतिक चरित्र व सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाना था.

हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी कांग्रेस के तीन नेताओं के खिलाफ महिला एवं बाल विकास मंत्री ईरानी द्वारा दायर दीवानी मानहानि के मुकदमे में उसके समक्ष रखे गए दस्तावेजों पर गौर करते हुए की.

हाईकोर्ट का 29 जुलाई को दिया गया आदेश सोमवार को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया. अदालत ने अपने आदेश में दीवानी मानहानि मामले में तीनों कांग्रेसी नेताओं को समन जारी किए थे.

हाईकोर्ट ने उनसे केंद्रीय मंत्री और उनकी बेटी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया पोस्ट को हटाने के लिए भी कहा है.

जस्टिस मिनी पुष्कर्णा ने अपने 14 पृष्ठीय आदेश में कहा, ‘मैंने रिकॉर्ड पर लाए गए विभिन्न दस्तावेजों को ध्यान से देखा, विशेष तौर पर 21 जुलाई 2022 को गोवा सरकार और आबकारी आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस, जिसमें किसी एंथनी डिगामा को संबोधित किया गया है, न कि फरियादी या उनके परिवार के किसी सदस्य को.’

उन्होंने कहा, ‘न तो रेस्तरां और न ही जिस जमीन पर रेस्तरां बना है, उन पर वादी या उनकी बेटी का स्वामित्व है. यहां तक कि गोवा सरकार द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस भी वादी या उनकी बेटी के नाम पर नहीं है. इन सभी तथ्यों की वादी द्वारा पेश हलफनामे में पुष्टि की गई है.’

उन्होंने कहा, ‘रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों पर विचार करते हुए यह स्पष्ट दिखता है कि कोई ऐसा लाइसेंस नहीं है, जो कभी वादी या उसकी बेटी के पक्ष में जारी किया गया हो. वादी और उसकी बेटी रेस्तरां की मालिक नहीं हैं. वादी ने प्रथमदृष्टया यह भी सिद्ध किया है कि उन्होंने (ईरानी) या उनकी बेटी ने कभी लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं किया था.’

केंद्रीय मंत्री ईरानी ने उनके और उनकी 18 वर्षीय बेटी के खिलाफ कथित रूप से निराधार और झूठे आरोप लगाने को लेकर कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है.

हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि फरियादी भारत सरकार में एक मंत्री के रूप में एक सम्मानित पद पर आसीन है और अपने सार्वजनिक पद की प्रकृति को देखते हुए, सार्वजनिक क्षेत्र में उसके बारे में किसी भी जानकारी की अत्यधिक चर्चा होती है और उसका विश्लेषण किया जाता है.

उसने कहा, ‘प्रतिवादी संख्या 1 से 3 (कांग्रेस नेताओं) ने एक दूसरे और अन्य व्यक्तियों और संगठनों के साथ मिलकर वादी और उसकी बेटी पर झूठे, तीखे और आक्रामक व्यक्तिगत हमलों की साजिश रची है, जिसका एक सामान्य उद्देश्य वादी व उसकी बेटी की बदनामी, अपयश और प्रतिष्ठा, नैतिक चरित्र और सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाना है.’

उच्च न्यायालय ने कहा कि यह माना जाता है कि कांग्रेस नेताओं द्वारा दिए गए बयान बदनाम करने वाली प्रकृति के हैं और दुर्भावनापूर्ण इरादे से दिए गए फर्जी प्रतीत होते हैं, जिनका मकसद अधिकाधिक लोगों तक पहुंच बनाना था, जिससे जानबूझकर वादी को सार्वजनिक उपहास का पात्र बनाया जा सके.

अदालत ने अंतरिम आदेश में निर्देश दिया कि स्मृति और उनकी बेटी के खिलाफ आरोप लगाने वाली सामग्री सोशल मीडिया से हटाई जाए.

अदालत ने निर्देश दिया कि प्रतिवादी अगर 24 घंटों के भीतर आरोपों से जुड़े ट्वीट, रीट्वीट, पोस्ट, वीडियो और तस्वीर हटाने में असफल रहते हैं, तो सोशल मीडिया मंच ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब स्वयं इससे संबंधित सामग्री हटा दें.

स्मृति ईरानी ने मानहानि का वाद कांग्रेस नेताओं द्वारा उनकी बेटी जोइश ईरानी पर गोवा में कथित तौर पर गैर कानूनी बार चलाने का आरोप लगाने और इस मुद्दे को लेकर मंत्री पर हमला करने के बाद दायर किया. कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्मृति को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की थी.

न्यायाधीश ने कहा, ‘अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए दस्तावेज और पत्रकार वार्ता के अंश देखने के बाद, प्रथमदृष्टया मेरी राय है कि निंदात्मक आरोप वास्तविक तथ्यों को सत्यापित किए बिना लगाए गए. प्रतिवादियों द्वारा की गई पत्रकार वार्ता के बाद ट्वीट और रीट्वीट से याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा को बहुत क्षति पहुंची.’

न्यायाधीश ने कहा, ‘यह उचित है कि प्रतिवादी एक से तीन (कांग्रेस नेताओं) को पत्रकार वार्ता में लगाए गए आरोपों को यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर सहित सोशल मीडिया से हटाने का अंतरिम निर्देश दिया जाए.’

इस मामले को अगली सुनवाई के लिए अदालत और रजिस्ट्रार के समक्ष क्रमश: 15 नवंबर और 18 अगस्त को सूचीबद्ध किया गया है.

मालूम हो कि बीते दिनों स्मृति ईरानी की बेटी ज़ोइश द्वारा उत्तरी गोवा के असगांव में संचालित एक रेस्टोरेंट विवादास्पद तरीके से सुर्खियों में आ गया.

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा, पार्टी महासचिव जयराम रमेश और पार्टी के गोवा प्रमुख अमित पाटकर ने दिल्ली और पणजी में प्रेस कॉन्फ्रेंस में ईरानी और उनके परिवार को निशाना बनाते हुए आरोप लगाए थे. विवाद इस बात पर है कि यह रेस्टोरेंट पिछले कुछ समय से एक मृत व्यक्ति के नाम पर शराब लाइसेंस का नवीनीकरण हासिल करता रहा है.

बीते 21 जुलाई को गोवा के आबकारी आयुक्त नारायण एम. ने वकील एरेस रोड्रिग्स द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर ज़ोइश ईरानी द्वारा संचालित ‘सिली सोल्स कैफे एंड बार’ को कारण बताओ नोटिस जारी किया. आरोप है कि शराब लाइसेंस पाने के लिए धोखाधड़ी वाले और मनगढ़ंत दस्तावेज पेश किए गए.

यह नोट किया गया कि लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन 22 जून 2022 को एंथनी डीगामा के नाम पर किया गया था. हालांकि पिछले साल मई में उनकी मौत हो गई थी. कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, ‘लाइसेंस धारक की 17/05/2021 को मृत्यु हो जाने के बावजूद पिछले महीने लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया था.’

कांग्रेस ने कथित कारण बताओ नोटिस की एक प्रति भी साझा करते हुए आरोप लगाया था कि नोटिस देने वाले आबकारी अधिकारी का कथित तौर पर अधिकारियों के दबाव के बाद तबादला किया जा रहा है.

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